08-08-2014,हाजीपुर,ब्रजकिशोर
सिंह। मित्रों,हमने कुछ महीने पहले पढ़ा था कि अमेरिका में किसी की लिखी
हुई चिट्ठी अपने गन्तव्य तक लगभग 100 साल बाद पहुँची लेकिन हमारी बिहार
पुलिस और खासकर वैशाली पुलिस तो उस चिट्ठी से भी ज्यादा सुस्त है। हमने 16
जुलाई को लिखा था कि एफआईआर दर्ज करा के पछता रहा है पारस
और बताया था कि 11 जुलाई की रात को चोरी हुई और 16 तारीख तक पुलिस का कहीं
अता-पता नहीं था जबकि पारस का पड़ोसी होने के नाते मैं कई-कई बार वैशाली
के पुलिस अधीक्षक सुरेश प्रसाद चौधरी से बात कर चुका था। हमने आपको यह भी
बताया था कि संभावित चोर नत्थू साह पारस को सपरिवार जान से मारने की धमकी
दे रहा था जिसके चलते उसने चोरी के बाद 15 दिनों तक डर के मारे दुकान तक
नहीं खोली थी। बाद में मेरे द्वारा हिम्मत देने के बाद बेचारे ने दुकान
खोलना शुरू किया।
मित्रों,यह बड़े ही हर्ष का विषय है कि आज हमारी उम्मीद के विपरीत घटना के पूरे एक महीने के बाद हाजीपुर नगर थाना की पुलिस प्रकट हुई। इससे पहले कल ही मुझे पारस ने बता दिया था कि थाने से उसके मोबाईल पर फोन आया था। दुर्भाग्यवश जब पुलिस आई तब मैं घर पर नहीं था वरना मुझे भी नगर थाना के देवतुल्य पुलिसवालों का देवदुर्लभ दर्शन प्राप्त करने का सुअवसर प्राप्त हो जाता। मैंने तो समझा था कि अब पुलिस चोरी की तफ्तीश करने कभी आएगी ही नहीं लेकिन आश्चर्य कि पुलिस आई। आकर पूछताछ की। किस पर शक है पूछा और संभावित चोर नत्थू साह के घर की ओर रवाना हो गई फिर क्या हुआ क्या पता क्या खबर!? होगा क्या यह जरूर हमें पता है कि कुछ भी नहीं। अब चोरी के एक महीने बाद पुलिस को न तो कोई सबूत नहीं मिलेगा और न ही कोई चोरी का सामान। अब तक तो चोर ने कब का नगदी को ठिकाना लगा दिया होगा और बिस्कुट,पावरोटी और दालमोट खा गया होगा और साबुनों से नहा गया होगा।
मित्रों,सवाल उठता है कि फिर पुलिस आई ही क्यों? पारस ने आज शाम मुझे बताया कि उसने भी अनुसंधान अधिकारी से यही सवाल पूछा था तो वह बोला कि उसे तो पता ही नहीं था कि आपके यहाँ चोरी भी हुई है। हद हो गई पारस ने 12 जुलाई को एफआईआर के लिए आवेदन दिया और 13 जुलाई को केस नं.-575/14 दर्ज भी कर लिया गया,14 जुलाई के हिन्दुस्तान अखबार में समाचार प्रकाशित भी हुआ,खुद मैंने पहले थाने को और बाद में एसपी को फोन कर तत्परता दिखाने का अनुरोध किया फिर भी दारोगा जी को कल तक पता ही नहीं चला कि चोरी हुई है। फिर किसी भी घटना के बाद उनको कैसे तत्काल पता चलवाया जाए? बड़ी उलझन है। क्या आप पाठकों के पास कोई उपाय है,कोई युक्ति है?
(हाजीपुर टाईम्स पर भी प्रकाशित)
मित्रों,यह बड़े ही हर्ष का विषय है कि आज हमारी उम्मीद के विपरीत घटना के पूरे एक महीने के बाद हाजीपुर नगर थाना की पुलिस प्रकट हुई। इससे पहले कल ही मुझे पारस ने बता दिया था कि थाने से उसके मोबाईल पर फोन आया था। दुर्भाग्यवश जब पुलिस आई तब मैं घर पर नहीं था वरना मुझे भी नगर थाना के देवतुल्य पुलिसवालों का देवदुर्लभ दर्शन प्राप्त करने का सुअवसर प्राप्त हो जाता। मैंने तो समझा था कि अब पुलिस चोरी की तफ्तीश करने कभी आएगी ही नहीं लेकिन आश्चर्य कि पुलिस आई। आकर पूछताछ की। किस पर शक है पूछा और संभावित चोर नत्थू साह के घर की ओर रवाना हो गई फिर क्या हुआ क्या पता क्या खबर!? होगा क्या यह जरूर हमें पता है कि कुछ भी नहीं। अब चोरी के एक महीने बाद पुलिस को न तो कोई सबूत नहीं मिलेगा और न ही कोई चोरी का सामान। अब तक तो चोर ने कब का नगदी को ठिकाना लगा दिया होगा और बिस्कुट,पावरोटी और दालमोट खा गया होगा और साबुनों से नहा गया होगा।
मित्रों,सवाल उठता है कि फिर पुलिस आई ही क्यों? पारस ने आज शाम मुझे बताया कि उसने भी अनुसंधान अधिकारी से यही सवाल पूछा था तो वह बोला कि उसे तो पता ही नहीं था कि आपके यहाँ चोरी भी हुई है। हद हो गई पारस ने 12 जुलाई को एफआईआर के लिए आवेदन दिया और 13 जुलाई को केस नं.-575/14 दर्ज भी कर लिया गया,14 जुलाई के हिन्दुस्तान अखबार में समाचार प्रकाशित भी हुआ,खुद मैंने पहले थाने को और बाद में एसपी को फोन कर तत्परता दिखाने का अनुरोध किया फिर भी दारोगा जी को कल तक पता ही नहीं चला कि चोरी हुई है। फिर किसी भी घटना के बाद उनको कैसे तत्काल पता चलवाया जाए? बड़ी उलझन है। क्या आप पाठकों के पास कोई उपाय है,कोई युक्ति है?
(हाजीपुर टाईम्स पर भी प्रकाशित)
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