शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2016

वाराणसी से रूम के 600 रुपये दिए बिना ही निकल लिए केजरीवाल

वाराणसी (सं.सू.)। रविदास जयंती पर काशी पहुंचे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल स्पेशल सुइट का किराया दिए बिना ही वापस लौट गए। केजरीवाल पर सुइट के 600 रुपये देने अभी बाकी हैं। लेकिन यह चुकाए बिना ही वह वहां से निकल गए।

इससे पहले आप और बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच हुई मारपीट-पथराव मामले में दोनों तरफ से लंका थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है। सोमवार को संत रविदास जयंती के मौके पर बनारस आए दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल का काफिला नेवादा इलाके से गुजरते समय आप व बीजेपी कार्यकर्ता भिड़ गए थे। आप के जिला संयोजक अब्दुल्ला खान की ओर से दी गई तहरीर पर पुलिस ने बीजेपी पार्षद के पति विनीत सिंह, अजय गुप्ता, किशोर, अजित सिंह, रंजीत सिंह और गोलू के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। अब सुइट के 600 रुपये दिए बिना ही वापस आने पर विरोधियों को उन्हें घेरने का एक और मिल गया है।

मंगलवार, 23 फ़रवरी 2016

बिहार में किसका राज,कानून का या राजवल्लभों का?


हाजीपुर,ब्रजकिशोर सिंह। मित्रों,मैंने करीब दो साल पहले एक आलेख लिखा था 'मेरी सरकार खो गई है हुजूर'। वह आलेख भी बिहार और बिहार की कथित सरकार के बारे में था। तब से लेकर आज तक मुझे बिहार में सरकार की तलाश थी जो अब समाप्त हो गई है। क्योंकि उसकी जगह राज्य में अब नई सरकार आ गई है-अपराधियों की सरकार। इस सरकार में न तो कोई कोर्ट है,न ही कोई सुनवाई होती है,फैसला ऑन द स्पॉट,फटाफट।
मित्रों,दीगर अहवाल यह है कि जबसे बिहार में नई सरकार का गठन हुआ है बिहार में अपराधियों की तो जैसे बहार ही आ गई है और बिहार के मुख्यमंत्री इन दिनों कौआ टरटराता है और धान सूखता रहता है नामक अतिप्रसिद्ध बिहारी कहावत को चरितार्थ करने में लगे हैं। मुख्यमंत्री जी लगभग रोजाना पुलिस अधिकारियों के साथ कानून-व्यवस्था को लेकर मीटिंग कर रहे हैं और रोजाना बिहार की स्थिति और भी बुरी से बुरी होती जा रही है। अब यह भी लगने लगा है कि या तो मुख्यमंत्री सिर्फ दिखावे के लिए मीटिंग करते हैं या फिर इतने कमजोर हो गए हैं कि दारोगा तक पर भी उनकी डाँट-फटकार का कोई प्रभाव नहीं हो रहा। मगर सवाल उठता है कि नीतीश कुमार जी ऐसा क्यों कर रहे हैं या बिहार में ऐसा क्यों हो रहा है?
मित्रों,अभी भी बृजनाथी के हत्यारों का कोई अता-पता नहीं है। सत्तारूढ़ दल का कोई विधायक लड़की का अपहरण कर रहा है तो कोई ट्रेन में छेड़खानी तो कोई 30000 रू. में अपनी सबसे छोटी संतान से भी छोटी लड़की खरीदकर रातभर पोर्न वीडियो देख-देखकर बलात्कार कर रहा है। इधर,नीतीश कुमार जी जाहिर तौर पर तो राज्य में कानून का राज होने की माला जप रहे हैं लेकिन हो यह रहा है कि बारी-बारी से उन सभी बिगड़ैल विधायकों से संबंधित मामलों की लीपा-पोती कर दी जा रही है। पहले सिद्धार्थ,फिर सरफराज और अब राजवल्लभ। लगता है जैसे पुलिस और सरकार का एकमात्र कार्य सत्तारूढ़ दल के अपराधी विधायकों की सेवा करना है। कानून के रखवाले कानून तोड़नेवालों को ही कानून के शिकंजे से बचाने में लगे हैं लेकिन मुख्यमंत्री जी का हमेशा की तरह मानना,कहना यही है कि राज्य में कानून का राज था, है और रहेगा। नीतीश कहते हैं कि बलात्कारी राजवल्लभ यादव को स्पीडी ट्रायल चलाकर सजा दिलवाई जाएगी लेकिन उनकी सरकार राजवल्लभ को पकड़ती ही नहीं है या पकड़ ही नहीं पाती है फिर कैसे चलेगा स्पीडी ट्रायल?
मित्रों,नीतीश जी चाहे जितनी भी गलथेथरी (कुतर्क देना) करते रहें वास्तविकता तो यही है कि राज्य में इन दिनों अगर सबसे ज्यादा कोई लाचार है तो वह यह बेचारा कानून-व्यवस्था ही है। रोज ही राज्य में कानून-व्यवस्था के साथ छेड़खानी हो रही है,अपहरण हो रहा है,हत्या हो रही है और बलात्कार हो रहा है और करनेवाले कोई और नहीं बल्कि नीतीश कुमार के समर्थक विधायक ही है। बिहार इन दिनों जंगलराज एक बार फिर से जंगलराज की चपेट में है। एक बार फिर से बिहार में कानून का नहीं बल्कि राजवल्लभों का राज है।

रविवार, 14 फ़रवरी 2016

क्या नीतीश विपक्षविहीन बिहार का निर्माण कर रहे हैं?


हाजीपुर,ब्रजकिशोर सिंह। मित्रों,जैसी कि हमने 8 नवंबर को मतों की गिनती के दिन ही अपने आलेख में भविष्यवाणी की थी कि अब बिहार में कानून-व्यवस्था की स्थिति इतनी बुरी होनेवाली है कि लोग लालू-राबड़ी राज यानि जंगलराज को भी भूल जाएंगे। यूँ तो नई सरकार के शपथ-ग्रहण करने के पहले से ही राज्य में अपराधियों का तांडव शुरू हो गया था लेकिन अब जो हो रहा है वह अगर यूँ ही चलता रहा तो निकट भविष्य में बहुत जल्दी ही बिहार विपक्षविहीन हो जाएगा क्योंकि सारे विपक्षी नेताओं की हत्या करवा दी जाएगी,कर दी जाएगी।
मित्रों,लोकतंत्र में विपक्ष का भी अपना महत्त्व होता है। विपक्ष सत्ता पक्ष को निरंकुश होने से रोकता है लेकिन लगता है कि लंबे समय तक विपक्ष की राजनीति कर चुके लालू-नीतीश को बिहार में विपक्ष चाहिए ही नहीं। तभी तो सत्ता पक्ष द्वारा कदाचित पृष्ठपोषित अपराधी एक के बाद एक विपक्षी नेताओं की हत्या करते जा रहे हैं। आश्चर्य का विषय तो यह है कि राघोपुर में 1995 से ही लालू-राबड़ी परिवार के खिलाफ लगातार चुनाव लड़नेवाले बृजनाथी सिंह की राजधानी पटना में एके-47 से सरेआम दिनदहाड़े हत्या कर दी जाती है और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव जो अभी राघोपुर से विधायक भी हैं बयान देते हैं कि लोजपा में अपराधियों की भरमार है। सवाल उठता है कि अपराधी किस पार्टी में नहीं हैं? सवाल यह भी उठता है कि जो राजनेता सीधे-सीधे अपराधी नहीं हैं क्या वे बेड़ा-मौका काम आने के लिए अपराधियों का लालन-पालन नहीं करते? आखिर ऐसे कौन-से लोग बृजनाथी सिंह की हत्या के पीछे थे कि हत्या के दस दिन बाद भी पुलिस ने कोई गिरफ्तारी नहीं की है और अंधेरे में ही तलवार भाँज रही है? क्या यह हत्या सीधे-सीधे बिहार के उपमुख्यमंत्री ने करवाई है? उपमुख्यमंत्री ने हत्या के बाद जिस तरह की प्रतिक्रिया दी है उससे तो यह शक और भी पुख्ता हो जाता है।
मित्रों,इतना ही नहीं पिछले 48 घंटों में एनडीए के दो और ऐसे नेताओं की हत्या 'अज्ञात' अपराधियों द्वारा कर दी गई है जिन्होंने पिछले दिनों संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में महागठबंधन के खिलाफ चुनाव लड़ा था। इनमें से एक तो मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष भी थे और एक समय लालू के हनुमान रहे शिवानंद तिवारी के बेटे राहुल के खिलाफ चुनाव लड़े थे। इनकी हत्या के बाद भी राहुल तिवारी की प्रतिक्रिया ठीक वैसी ही रही जैसी कि बृजनाथी सिंह की हत्या के बाद बिहार के उपमुख्यमंत्री की थी। इन श्रीमान् का कहना था कि मरनेवाले की पृष्ठभूमि को भी देखना चाहिए। तो क्या सत्तापक्ष ने इस तरीके से बिहार को अपराधमुक्त बनाने का निर्णय लिया है? क्या कोई शरीफ या बिना राजनैतिक पृष्ठभूमि वाला व्यक्ति बिहार में चुनाव जीत सकता है? क्या राहुल तिवारी के पिताजी या खुद राहुल तिवारी ने शाहपुर विधानसभा क्षेत्र में बड़ी संख्या में अपराधियों को प्रश्रय नहीं दे रखा है? अपराधियों का पालन ठीक लेकिन अपराधियों का चुनाव लड़ना गलत यह कौन-सा नैतिक सिद्धांत है?
मित्रों,मैं पूछता हूँ कि क्या नीतीश कुमार या तेजस्वी यह बताएंगे कि ये दोनों हत्याएँ किसने की और पुलिस उनको कब तक गिरफ्तार कर लेगी? या फिर उन्होंने बिहार के अपराधियों को विपक्षी नेताओं का आखेट करने की खुली छूट दे दी है जैसी छूट भारतीयों को मारने की कभी अंग्रेजों को प्राप्त थी या फिर जैसी कि राज्य में नीलगायों के बारे में हाल में दी गई है? अगर ऐसा है तो मुबारक हो भारतीय लोकतंत्र को न्याय के साथ विकास! और वर्ष 2020 के विधानसभा चुनावों में सभी सीटों पर निर्विरोध जीत के लिए महागठबंधन को अग्रिम बधाई! आज मैं बिहार की महान जनता को कुछ नहीं कहूंगा क्योंकि जब उसने विकास और विनाश में से विनाश का पथ प्रचंड बहुमत से चुना है तो फिर राज्य का विनाश ही होगा। बोया पेड़ बबूल का तो आम कहाँ से होय!