मित्रों, जब भी स्वतंत्रता और गणतंत्र दिवस आता है हमारे भीतर देशभक्ति
का सोडा वाटर जैसा जोश उमड़ने लगता है. इधर दिन गुजरा और उधर जोश गायब. इन
दो दिन हम खूब नारे लगाते हैं भारत माता की जय. मानों हमारे नारे लगाने से
ही भारत माता की जय हो जाएगी और हमारा देश दुनिया का सिरमौर बन जाएगा. अगर
ऐसा होता तो आज हमारा देश शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, प्रति व्यक्ति आय,
परिवहन आदि प्रत्येक क्षेत्र में पिछड़ा हुआ नहीं होता. चीन और भारत की एक
समय एक बराबर जीडीपी थी आज उनकी हमारी से चार गुना से भी ज्यादा है. क्योंकि
चीन के लोग सिर्फ नारे नहीं लगाते बल्कि राष्ट्र और राष्ट्र निर्माण के
प्रति सच्ची निष्ठा रखते हैं. हमारी तरह सिर्फ अधिकारों की बात नहीं करते
बल्कि उससे कहीं ज्यादा निष्ठा के साथ अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं.
मित्रों, सिर्फ नारों से अगर देश का विकास होना होता तो बेशक हमारा देश सबसे आगे होता. हमारे-आपके घर के पास सड़क बनती है, स्कूल बनते हैं, शौचालय बनते है हम कभी यह देखने नहीं जाते कि निर्माण की गुणवत्ता कैसी है, इंजिनियर, ठेकेदार कोई अपने कर्तव्यों पर ध्यान नहीं देता, अस्पतालों में मरीज जमीन पर पड़े-पड़े कराहते रहते हैं डॉक्टर और नर्स गायब रहते हैं, बैंकों में बिना कमिशन दिए लोन नहीं मिलता, जज घूस लेकर फैसला सुनाते हैं, शिक्षक पढ़ाते नहीं है, ट्रेनों में बेटिकट यात्रा करना वीरता मानी जाती है, अधिकारी दरिद्र को नारायण तो क्या इन्सान तक नहीं मानते. शोचनीय है कि जब हममें से कोई अपने कर्तव्यों का पालन करेगा ही नहीं तो देश चीन से कैसे टक्कर लेगा? उस पर तुर्रा यह कि हमें देश में हर चीज दुरुस्त चाहिए और मुफ्त में चाहिए. सडकों पर दुर्घटनाओं के शिकार तड़पते रहते हैं हम ध्यान तक नहीं देतेऔर लोग आते-जाते रहते हैं क्योंकि मरनेवाला हमारा सगा नहीं होता, छेड़खानी होती रहती है लेकिन हम चुप रहते हैं क्योंकि लड़की हमारी कोई नहीं होती है. तथापि अगर हमारा कोई अपना इस तरह की परिस्थितियों में फंस जाता है तो हम इंसानियत की दुहाई देने लगते हैं कि लोगों ने अस्पताल क्यों नहीं पहुँचाया, छेड़खानी का विरोध क्यों नहीं किया?
मित्रों, कहने का तात्पर्य यह है कि हम निहायत स्वार्थी थे, हैं और रहेंगे. संकट जब तक हमारे अपनों पर नहीं आता, जब तक हम सीधे-सीधे प्रभावित न हों हम आखें मूंदे रहते है. हम बोलेंगे नहीं मौका मिलने पर जमकर भ्रष्टाचार भी करेंगे लेकिन हमें सरकारी सेवाएँ दुरुस्त और भ्रष्टाचारमुक्त चाहिए. आज सरकार सबकुछ निजी क्षेत्र के हवाले करती जा रही है, कल शायद हमारे पास स्वच्छ पानी पीने और स्वच्छ हवा में साँस लेने की भी आजादी नहीं रहेगी, सबकुछ बड़ी-बड़ी कंपनियों के हाथों में होगा लेकिन हम बेफिक्र है और इन्टरनेट पर व्यस्त हैं. अभी ही देश की ८० फीसदी से भी ज्यादा संपत्ति १० प्रतिशत सबसे धनी लोगों के पास है और सरकार की कृपा से अमीरी-गरीबी के बीच की खाई रोजाना बढती ही जा रही है. जैसे-जैसे सरकार विभिन्न क्षेत्रों से अपना हाथ खीचेगी, सरकारी प्रतिष्ठानों के साथ spoil and sell अर्थात पहले बर्बाद करो फिर बेच दो की नीति पर चलती रहेगी हमारे जीवन से जुड़े हर पहलू पर निजी क्षेत्र का कब्ज़ा बढ़ता जाएगा. हमारी आजादी खतरे में है और हम बेखबर हैं इन्टरनेट पर पर व्यस्त हैं. हमारे पास
रात के २ बजे तक कुछ भी सोचने का समय नहीं है.
मित्रों, जब तक हम इस तरह की सोंच रखेंगे हो ली भारतमाता की जय. तब तक तो भारत नीचे से ही नंबर एक आता रहेगा, तब तक चीन और पाकिस्तान हमें आंख दिखाते रहेंगे चाहे हम कितनी भी बड़ी सेना क्यों न खडी कर लें क्योंकि देश का बल सेना नहीं होती जनता होती है जनसामान्य की देश के प्रति निष्ठा होती है. तो मित्रों, संविधान में वर्णित मौलिक अधिकारों के साथ मौलिक कर्तव्यों को भी जानिए, उनका पालन करिए, सरकारी नीतियों के प्रति सजग रहिए और फिर लगाईए नारा-भारत माता की जय!
मित्रों, सिर्फ नारों से अगर देश का विकास होना होता तो बेशक हमारा देश सबसे आगे होता. हमारे-आपके घर के पास सड़क बनती है, स्कूल बनते हैं, शौचालय बनते है हम कभी यह देखने नहीं जाते कि निर्माण की गुणवत्ता कैसी है, इंजिनियर, ठेकेदार कोई अपने कर्तव्यों पर ध्यान नहीं देता, अस्पतालों में मरीज जमीन पर पड़े-पड़े कराहते रहते हैं डॉक्टर और नर्स गायब रहते हैं, बैंकों में बिना कमिशन दिए लोन नहीं मिलता, जज घूस लेकर फैसला सुनाते हैं, शिक्षक पढ़ाते नहीं है, ट्रेनों में बेटिकट यात्रा करना वीरता मानी जाती है, अधिकारी दरिद्र को नारायण तो क्या इन्सान तक नहीं मानते. शोचनीय है कि जब हममें से कोई अपने कर्तव्यों का पालन करेगा ही नहीं तो देश चीन से कैसे टक्कर लेगा? उस पर तुर्रा यह कि हमें देश में हर चीज दुरुस्त चाहिए और मुफ्त में चाहिए. सडकों पर दुर्घटनाओं के शिकार तड़पते रहते हैं हम ध्यान तक नहीं देतेऔर लोग आते-जाते रहते हैं क्योंकि मरनेवाला हमारा सगा नहीं होता, छेड़खानी होती रहती है लेकिन हम चुप रहते हैं क्योंकि लड़की हमारी कोई नहीं होती है. तथापि अगर हमारा कोई अपना इस तरह की परिस्थितियों में फंस जाता है तो हम इंसानियत की दुहाई देने लगते हैं कि लोगों ने अस्पताल क्यों नहीं पहुँचाया, छेड़खानी का विरोध क्यों नहीं किया?
मित्रों, कहने का तात्पर्य यह है कि हम निहायत स्वार्थी थे, हैं और रहेंगे. संकट जब तक हमारे अपनों पर नहीं आता, जब तक हम सीधे-सीधे प्रभावित न हों हम आखें मूंदे रहते है. हम बोलेंगे नहीं मौका मिलने पर जमकर भ्रष्टाचार भी करेंगे लेकिन हमें सरकारी सेवाएँ दुरुस्त और भ्रष्टाचारमुक्त चाहिए. आज सरकार सबकुछ निजी क्षेत्र के हवाले करती जा रही है, कल शायद हमारे पास स्वच्छ पानी पीने और स्वच्छ हवा में साँस लेने की भी आजादी नहीं रहेगी, सबकुछ बड़ी-बड़ी कंपनियों के हाथों में होगा लेकिन हम बेफिक्र है और इन्टरनेट पर व्यस्त हैं. अभी ही देश की ८० फीसदी से भी ज्यादा संपत्ति १० प्रतिशत सबसे धनी लोगों के पास है और सरकार की कृपा से अमीरी-गरीबी के बीच की खाई रोजाना बढती ही जा रही है. जैसे-जैसे सरकार विभिन्न क्षेत्रों से अपना हाथ खीचेगी, सरकारी प्रतिष्ठानों के साथ spoil and sell अर्थात पहले बर्बाद करो फिर बेच दो की नीति पर चलती रहेगी हमारे जीवन से जुड़े हर पहलू पर निजी क्षेत्र का कब्ज़ा बढ़ता जाएगा. हमारी आजादी खतरे में है और हम बेखबर हैं इन्टरनेट पर पर व्यस्त हैं. हमारे पास
रात के २ बजे तक कुछ भी सोचने का समय नहीं है.
मित्रों, जब तक हम इस तरह की सोंच रखेंगे हो ली भारतमाता की जय. तब तक तो भारत नीचे से ही नंबर एक आता रहेगा, तब तक चीन और पाकिस्तान हमें आंख दिखाते रहेंगे चाहे हम कितनी भी बड़ी सेना क्यों न खडी कर लें क्योंकि देश का बल सेना नहीं होती जनता होती है जनसामान्य की देश के प्रति निष्ठा होती है. तो मित्रों, संविधान में वर्णित मौलिक अधिकारों के साथ मौलिक कर्तव्यों को भी जानिए, उनका पालन करिए, सरकारी नीतियों के प्रति सजग रहिए और फिर लगाईए नारा-भारत माता की जय!