शनिवार, 13 नवंबर 2021

भारत आंशिक रूप से मुस्लिम राष्ट्र है

मित्रों, क्या आप किसी देश में वैसा होने की सोंच भी सकते हैं जैसा कि भारत में हुआ. जिस देश का बंटवारा धर्म के नाम पर हुआ उस देश में उन्हीं बहुसंख्यकों को संवैधानिक तौर पर दोयम दर्जे का नागरिक बना दिया गया जिनकी पाकिस्तान के नाम पर न सिर्फ लाखों वर्ग किमी जमीन छीन ली गयी बल्कि लाखों की संख्या में कत्लेआम हुआ. और यह सब हुआ उस आदमी के नाम पर जो बस नाम का हिन्दू था. उसका नाम था मोहन दास करमचंद गाँधी. और हुआ भी उस आदमी की हाथों जो खुद को शिक्षा से ईसाई, संस्कृति से मुस्लिम और दुर्भाग्य से हिन्दू कहता था. यानि कथित पंडित जवाहर लाल नेहरु. मित्रों,अब जब गुरु-चेले दोनों हिन्दुओं से वैरभाव रखते हों तो विचित्र संविधान का निर्माण तो होना ही था. मैं दावे के साथ कहता हूँ कि ऐसा किसी देश के संविधान में नहीं लिखा गया है कि बहुसंख्यक अपने स्कूलों में अपने धर्मग्रंथों का पठन-पाठन नहीं कर सकते लेकिन अल्पसंख्यक ऐसा कर सकते हैं. इतना ही नहीं कानून बनाकर मुसलमानों को जमकर बच्चे पैदा करने की छूट दी गयी जबकि हिदुओं के दूसरा विवाह करने पर रोक लगा दी गई. मुसलमानों को इस बात की भी छूट दी गई कि वे शरीयत का पालन करते रहें. हिन्दुओं के लिए अलग विधान और मुसलमानों के लिए अलग विधान वाह रे संविधान. मित्रों, १९८६ में जब सर्वोच्च न्यायालय ने शरीयत के खिलाफ फैसला दिया तो उसी नेहरु के नाती जिसने भारत के हिन्दुओं को धोखा देने के लिए अपना नाम हिन्दुओं वाला रखा हुआ था मगर शादी ईसाई लड़की से और ईसाई विधि से की थी ने संसद से कानून बनाकर भारत में फिर से शरीयत को सुनिश्चित कर दिया. मित्रों, बाद में सोनिया-मनमोहन की सरकार ने लाल किले से घोषणा ही कर दी कि भारत के संसाधनों पर पहला हक़ अल्पसंख्यकों का है? फिर कहने की कुछ बचा ही कहाँ. सीधे-सीधे हिन्दुओं को दोयम दर्जे का नागरिक कह दिया गया जबकि उनको दोयम दर्जे का नागरिक २६ जनवरी १९५० को ही बना दिया गया था, बस घोषणा २००४ में १५ अगस्त को की गई. मित्रो, यह कितने आश्चर्य की बात है कि हिन्दू मंदिरों पर सरकार का हक़ है फिर भी हिन्दू पुजारी भूखों मर रहे हैं और अगर दक्षिणा में से १०-बीस रूपये जेब में रख लेते हैं तो उनके खिलाफ मुकदमा हो जाता है जबकि मस्जिदों पर सरकार का कोई अधिकार नहीं फिर भी ईमामों को प्रति माह हजारों रूपये का वेतन खुद सरकार देती है. मैं दावे के साथ कहता हूँ कि पूरे भारत में कहीं भी मुसलमानों को हज के लिए सब्सिडी नहीं दी जाती. पैसा मंदिरों का, हिन्दुओं का और हवाई यात्रा मुसलमान कर रहे. मित्रों, इतना ही नहीं पिछले दिनों कांग्रेस पार्टी के नेताओं के उसी प्रकार से पंख निकल आए हैं जैसे कि मौत आने पर चींटियों के निकल आते हैं. पहले सलमान खुर्शीद, फिर राशिद अल्वी, फिर दिग्विजय सिंह और अंत में राहुल गाँधी. कांग्रेस के इन सारे दिग्गज नेता एक के बाद एक हिन्दुओं और हिन्दू संस्कृति को गालियाँ देने में लगे हैं. कोई हिन्दुओं की तुलना दुनिया के सबसे बड़े राक्षस जेहादियों के साथ कर रहा है तो कोई रामभक्तों को ही राक्षस बता रहा है तो कोई हिन्दू धर्म और उसकी आत्मा हिंदुत्व को ही अलग बता रहा है. मित्रों, अभी आजकल में छत्रपति शिवाजी के राज्य महाराष्ट्र में शांति मार्च निकालने के नाम पर जिस प्रकार हिन्दुओं की दुकानों और सम्पत्त्तियों को मुसलमानों ने नुकसान पहुँचाया है और जिस तरह पुलिस मूकदर्शक बनी खुद वीडियो बनाती देखी गयी उससे तो यही साबित होता है कि भारत भी अब पाकिस्तान बन चुका है. शिवसेना को तो अब अपना नाम अली सेना कर लेना चाहिए. मित्रों, भारत को जो आंशिक रूप से २६ जनवरी १९५० से ही मुस्लिम राष्ट्र है अगर पूर्ण रूप से मुस्लिम राष्ट्र बनने से रोकना है तो सबसे पहले अल्पसंख्यक मंत्रालय को समाप्त करना चाहिए और सबके साथ एक समान नीति अपनायी जानी चाहिए, समान नागरिक संहिता लागू करना चाहिए. हमें मोदी जी से इस मामले में इसलिए भी उम्मीद है क्योंकि उन्होंने २०१४ में वादा किया था कि अब तक देश में जो चलता आ रहा है वो नहीं चलेगा.

1 टिप्पणी:

ब्रजकिशोर सिंह ने कहा…


Delhi Riots केस में 10 लोगों पर आरोप तय, Court ने कहा- हिंदू समुदाय के लोगों को देश छोड़ने के लिए मजबूर करना था मकसद
Court on Delhi Riots: पुलिस के अनुसार 10 आरोपियों ने 25 फरवरी 2020 को दिल्ली के भागीरथी विहार इलाके में हिंसा और लूटपाट की और हिंदू समुदाय के सदस्यों की संपत्तियों को आग लगा दी थी.

By: अंकित गुप्ता, एबीपी न्यूज | Updated : 17 Dec 2021 11:17 AM (IST)

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Delhi riots: Court frames charges against 10 says wants to create fear in hindu community

दिल्ली दंगे पर कोर्ट की बड़ी टिप्पणी

Delhi Riots Case: दिल्ली की एक स्थानीय अदालत ने फरवरी 2020 में हुए दंगों के मामले में 10 लोगों के खिलाफ आरोप तय किया है. कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि जिस तरीके से वहां हालात बनाए गए, वह हिंदू समुदाय के लोगों को डरा कर उनको देश छोड़ने के लिए मजबूर करने, लूटपाट और उनकी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने और आगजनी करने के इरादे से जुटे थे. पुलिस के अनुसार 10 आरोपियों ने 25 फरवरी 2020 को दिल्ली के भागीरथी विहार इलाके में हिंसा और लूटपाट की और हिंदू समुदाय के सदस्यों की संपत्तियों को आग लगा दी.

एडिशनल सेशन जज वीरेंद्र भट ने गवाहों के बयानों पर भरोसा करते हुए कहा, 'पेश की गई सामग्री पहली नजर में खुलासा करती है कि आरोपी एक गैरकानूनी सभा के सदस्य थे, जिसे हिंदू समुदाय के लोगों में भय व दहशत पैदा करने, उन्हें देश छोड़ने के लिए धमकाने और आगजनी व लूट के मकसद से बनाया गया था.'

जज ने 13 दिसंबर के आदेश में मोहम्मद शाहनवाज, मोहम्मद शोएब, शाहरुख, राशिद, आजाद, अशरफ अली, परवेज, मोहम्मद फैसल, राशिद और मोहम्मद ताहिर के खिलाफ आरोप तय किए. इनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148, 436, 452, 454, 392, 427 और 149 के तहत आरोप तय किये गए हैं.

प्राथमिकी जगदीश प्रसाद नाम के शख्स की शिकायत पर दर्ज की गई थी, जिसमें कहा गया था कि दंगाइयों ने उनके बेटे की वाहन पुर्जों की दुकान को जला दिया था. प्रसाद ने यह दावा भी किया था कि भीड़ ने दुकान में पेट्रोल बम फेंका, जिससे वह जल गई. प्रसाद ने कहा कि वह अपने दो भाइयों के साथ पीछे के गेट से भागकर जान बचाने में सफल रहा.