बुधवार, 28 मई 2025

लालू के लाल

मित्रों, बिहार की राजनीति में इन दिनों तूफान आया हुआ है। कारण यह है कि बिहार का सबसे बड़ा राजपरिवार नैतिक दिखने की कोशिश कर रहा है। ये वही राजपरिवार है जिसने सत्ता के नशे में कभी नैतिकता के परवाह तक नहीं की। जो मन में आया किया, बिहार में सामाजिक न्याय के नाम पर जंगल राज चलाया, किसी भी डाक्टर, जज, प्रोफेसर, व्यापारी का अपहरण करवा दिया, आईएएस की पत्नी तक का सालों साल बलात्कार करवाया, चंदा बाबू के बेटे को जिंदा तेजाब के टैंकर में डलवा दिया, अनपढ़ पत्नी को आठ साल के लिए बिहार जैसे पिछड़े राज्य का मुख्यमंत्री बना दिया, सीताराम केसरी के बुज़ुर्ग भाई को नग्न करके नचवा दिया, डीएम से तंबाकू लगवाया, कुल मिलाकर एक खुशहाल राज्य को पूरी तरह से बर्बाद करके रख दिया । मित्रों, उस समय ऐसा लगता था कि बिहार में या तो बंदर शासन कर रहा है या फिर कोई पागल या शैतान। बिहार में लालू और बालू के सिवाय कुछ नहीं बचा था। फिर सत्ता बदली और बिहार में अपेक्षाकृत अच्छा शासन आया. आश्चर्य है कि आज बिहार का हिरन्यकश्यप, बिहार का रावण नैतिकता की दुहाई दे रहा है. दरअसल उनके बड़े बेटे तेजप्रताप यादव ने कांड कर दिया है. शादीशुदा तेजप्रताप ने घोषणा कर दी है कि उनका अनुष्का यादव नाम की युवती के साथ १२ सालों से प्रेम चल रहा है. सवाल उठता है कि अगर ऐसा था तो लालू परिवार को अनुष्का के साथ ही तेजप्रताप की शादी करनी चाहिए थी. फिर अतिप्रतिष्ठित पूर्व मुख्यमंत्री दारोगा राय की पोती के साथ तेजप्रताप की शादी क्यों की? क्यों उस लड़की की जिंदगी बर्बाद की? मित्रों, लालू जी अगर सत्ता में होते तो शायद अब तक ऐश्वर्या जीवित भी नहीं होती क्योंकि तब उनके पास एक-से-एक हत्यारे और गुंडे उपलब्ध थे, बस एक ईशारा काफी होता. परंतु हाय रे दुर्भाग्य! एक तो बेचारे विपक्ष में हैं और उस पर प्रदेश में चुनाव सिर पर है। अगर राजपरिवार सत्ता में होता तो शायद लालू जी ताल ठोंक कर कह देते उनके बेटे ने जो किया ठीक किया, वही नैतिकता है, वही अनुकरणीय है‌। छोटे बेटे ने एक ईसाई लड़की से विवाह किया, गोपालक के घर में गोमांसभक्षक आई तब तो लालूजी ने कुछ नहीं कहा फिर तेज प्रताप के मामले में कार्रवाई का दिखावा क्यों? छोटका ने किया तो रासलीला और बड़का ने किया तो कैरेक्टर ढीला? वैसे लालूजी के पास कौन-सा कैरेक्टर था? लालूजी भी तो नेता के नाम पर काला धब्बा हैं, घोटाला किंग. दोषसिद्ध, सजायाफ्ता. ऐसे में उनकी कार्रवाई को लेकर यही कहा जा सकता है कि छलनी दूसे शूप के जिसमें खुद हजारों छेद है. वैसे ईश्वरभक्त तेजप्रताप का कालनेमि निकलना भी बिहारी जनमानस के लिए कम दुखद नहीं है. अंत में हम लालू परिवार को पुत्र जन्म की बधाई देते हैं और आशा करते हैं कि ये बच्चा बड़ा होकर लालू यादव नहीं बनेगा.

बुधवार, 21 मई 2025

उड़ता बिहार

मित्रों, एक पेड़ पर एक कौआ सपरिवार रहता था। उसी पेड़ के एक कोटर में एक सांप कहीं से आकर रहने लगा। वो सांप कौए के सारे अण्डों-बच्चों को खा जाता था. कौआ काफी परेशान रहने लगा. उसी पेड़ के समीप नेवले का बिल था. कौए ने एक युक्ति लगाई और नेवले के बिल से सांप के कोटर तक के पूरे रास्ते में मछली के टुकड़े डाल दिए. युक्ति ने काम भी किया. मछली के टुकड़े खाते हुए नेवला सांप के कोटर तक पहुँच गया और सांप को मार डाला. लेकिन इस दौरान उसने कौए के घोंसले को भी देख लिया और अब से जब भी मादा कौआ अंडे देती नेवला उसे खा जाता. अब कौए के सामने पहले से भी विकराल समस्या मुंह बाए खडी थी जिसका कोई समाधान उसे सूझ नहीं रहा था. मित्रों, इन दिनों बिहार की भी कुछ ऐसी ही स्थिति है. पहले बिहार सरकार ने गली-गली में शराब की दुकानें खुलवाई. पूरे बिहार की जवानी नशे में लड़खड़ाने लगी. फिर अचानक शराबबंदी कर दी. शराब तो बंद हो गई यद्यपि तस्करी होकर तो अब भी आ रही है और मिल भी रही है फिर भी शराब पीनेवाले कम जरूर हो गए लेकिन धीरे-धीरे बिहार में स्मैक, हिरोइन, हशीश, गांजा, चरस जैसे अन्य सूखे नशीले पदार्थों ने उसका स्थान ले लिया और स्थिति पहले से भी भयावह हो गई. जो जवानी पहले लड़खड़ा रही थी अब उड़ने लगी है। पूरी-की-पूरी पीढ़ी खराब हो रही है। देह-दुनिया से बेसुध युवक आज के बिहार में महानगर से लेकर गांवों तक में विक्षिप्तों की तरह भटकते दिखाई दे जाते हैं. मैं बहुत-से प्रतिष्ठित परिवारों के ऐसे युवाओं और किशोरों को जानता हूँ जो माँ-बाप की डांट-फटकार से तंग आकर आत्महत्या तक कर चुके हैं. उनमें से कई तो अपने घरों के इकलौते चिराग थे. कई परिवारों की खुशियों को यह नए प्रकार का नशा खा चुका है और कई परिवारों की खुशियों को अभी खाता जा रहा है. मित्रों, सवाल उठता है कि जबकि बिहार में शराब बंदी नहीं थी और शराब पीना वैध था तब तो बिहार सरकार ने उसे रोक दिया लेकिन सूखा नशा तो पहले से ही अवैध है अब वो इसे कैसे रोकेगी? जो नशा बिहार के युवाओं के नसों में धीरे-धीरे उतर रही और उनको अपना गुलाम बना रही है उससे अब कैसे निबटेगी? उपाय तो निकालना पड़ेगा. बिहार की कृषि जलवायु-परिवर्तन और नीलगायों के चलते पहले से ही नष्ट हो चुकी है अगर बिहार की जवानी भी किसी काम की नहीं रही तो बिहार तो पूरी तरह से बर्बाद ही हो जाएगा. हमने कई साल पहले बनी एक फिल्म उड़ता पंजाब में पंजाब को उड़ते हुए देखा था. वास्तव में मैं कभी पंजाब नहीं गया. और अब अपनी आँखों से बिहार को उड़ते हुए देख रहा हूँ और सत्ता के नशे में डूबी बिहार सरकार का इस तरफ थोडा-सा भी ध्यान नहीं है. पुडिया यानि सूखा नशा शराब से भी कहीं बड़ी समस्या बन चुकी है मगर बिहार के सर्वज्ञानी शाहे बेखबर को कोई खबर ही नहीं है.

शुक्रवार, 16 मई 2025

विष के दांत

मित्रों, भारत और पाकिस्तान के बीच अल्पकालिक युद्ध रूक चुका है। वैसे इसे मुठभेड़ भी कहा जा सकता है और युद्ध भी लेकिन इसने पाकिस्तान को जो चोट पहुंचाई है निश्चित रूप से बतौर प्रधानमंत्री मोदी वहां की पीढ़ियां याद रखेंगी। दुनिया के इतिहास में ऐसा बहुत कम बार देखा गया है कि कोई अघोषित युद्ध जो वास्तव में युद्ध ही था मात्र तीन दिनों में ही समाप्त हो जाए. इस युद्ध में पाकिस्तान जमकर बेनकाब हुआ और उसे भारतीय सेना ने तो बेनकाब किया ही खुद वहां की जनता ने भी भारत द्वारा किए गए हमलों के बाद की स्थिति के वीडियोज अपलोड कर कम शर्मिंदा नहीं किया. टाम कूपर जैसे दिग्गज रक्षा विशेषज्ञों ने तो यहां तक कहा है कि यह विश्व इतिहास का सबसे एकतरफा युद्ध था। मित्रों, इस तीन दिवसीय मुठभेड़ ने कंगाल पाकिस्तान की कमजोर सामरिक स्थिति को पूरी तरह से बेपर्दा करके रख दिया. पाकिस्तान की न तो कोई मिसाइल और न ही कोई ड्रोन भारत की सतह को छू पाया. सबको भारत की वायु रक्षा प्रणाली ने आसमान में ही नष्ट कर दिया. दूसरी तरफ भारत ने पाकिस्तान की रक्षा प्रणाली को तो पूरी तरह से तहस-नहस तो किया ही साथ ही मुज़फ्फराबाद, लाहौर, नूर खान, रावलपिंडी, पेशावर, करांची, बहावलपुर आदि सारे स्थानों पर मनवांछित हमले कर पाकिस्तान को पूरी तरह से घुटनों पर ला दिया. यहाँ तक कि पाकिस्तान के लिए भारत की अभेद्य वायु सुरक्षा प्रणाली के कारण लड़ाकू विमानों को उसकी अपनी सीमा में उड़ा पाना भी दूभर हो गया. एक तरफ जहाँ पूर्वी सीमा पर पाकिस्तान को भारत पीट रहा था वहीं पश्चिमी सीमा पर बलूचों और तालिबान के समक्ष पाकिस्तानी सेना कहीं भी नहीं टिक पा रही थी. ईधर भारत ने नदियों के पानी का भी रणनीतिक उपयोग शुरू कर रख था। विदित हो कि कुछ दिन पहले ही भारत ने सिन्धु जल संधि को सिन्धु नदी में डूबो दिया था यह कहकर कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते. मित्रों,जब ऐसा माना जा रहा था कि युद्ध निर्णायक मोड़ पर पहुँचने वाला है तभी अमेरिका के बडबोले राष्ट्रपति डोनाल्ड टर्र टर्र ट्रम्प ने सोशल मीडिया के माध्यम से बताया कि भारत और पाकिस्तान संघर्ष विराम करनेवाले हैं. साथ ही उन्होंने इसको करवाने का श्रेय भी ले लिया. लेकिन जब भारत के प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि हमें मध्यस्थ की जरुरत नहीं और वो भारत के साथ न्यूक्लियर ब्लैकमेल नहीं होने देंगे तब श्रीमान टर्र टर्र ट्रम्प ने पलटी मार दी और कहा है उन्होंने संघर्ष विराम नहीं करवाया, हमने तो झूठ बोला था. वैसे हमले को रोकने को लेकर पाकिस्तान के नूर खान से कई सारी कहानियां हवाओं में तैर रही हैं. कुछ-न-कुछ हुआ हो जरूर है जिसे दुनिया से छिपाया जा रहा है. मित्रों, अब रही बात उनकी जिनके बचे-खुचे जीवन का एकमात्र उद्देश्य मोदी जी और मोदी जी की सरकार की आलोचना करना है तो इस सन्दर्भ मुझे एक कहानी याद आ रही है. उस समय भारत की धरती पर बैगन का नया-नया आगमन हुआ था. अकबर भोजन करने बैठा तो देखा कि थाली में बैगन का भुर्ता है. उसने बीरबल से कहा कि बीरबल बैगन बहुत अच्छी चीज है. बीरबल ने छूटते ही कहा कि जी हुजुर आप बजा फरमा रहे हैं. कुछेक पल के बाद अकबर ने अपनी बात से पलटते हुए कहा कि बीरबल बैगन बहुत ख़राब चीज है. बीरबल ने फिर से कहा कि बादशाह सलामत सही कह रहे हैं. तब अकबर ने कहा कि बैगन अच्छा है या ख़राब तुम किस तरफ हो? बीरबल ने मुस्कुराते हुए कहा कि हुजुर हम तो आपकी तरफ हैं, बैगन हमारा रिश्तेदार थोड़े न है उससे हमारा क्या लेना-देना. मित्रों, ठीक यही बात मोदी विरोधियों पर लागू होती है. मोदी ने पाकिस्तान पर हमला नहीं किया तो कष्ट, कर दिया तो कष्ट, हमला लम्बा खिंचा तो कष्ट और हमला रोक दिया तो कष्ट. इनका कष्ट तो जाता ही नहीं है. कई सारे कांग्रेस नेताओं और डफली मण्डली के बयानों को देखकर तो शक भी होने लगा कि वो भारतीय हैं या पाकिस्तानी. इस बीच बहुत सारी ऐसी पाकिस्तानी महिलाएं भी सामने आई जो दशकों से भारत में अवैध रूप से रहकर थोक में बच्चे पैदा कर रही थीं. मित्रों, अंत में मैं कहना चाहूँगा कि विष के दांत टूट गये हैं लेकिन सांप अभी भी जिंदा है। देखना है कि यह सांप फिर से विषदंत उगाता है या फिर केंचुआ बनकर अंतत: मृत्यु को प्राप्त होता है। अगर कांग्रेस फिर से जीतती है तो इसके विषदंत का फिर से उगना निश्चित है और अगर भाजपा की सरकार कुछ दशकों तक बनी रहती है तो या तो यह नापाक देश दुनिया के नक्शे से ही गायब हो जाएगा या फिर खंडित होकर मरियल केंचुए में परिवर्तित हो जाएगा यह भी निश्चित है.