गुरुवार, 14 अक्तूबर 2010

वोटों के लुटेरों से सावधान

 बिहारी मतदाताओं,हमारे राज्य में प्रथम चरण के मतदान में अब कुछ ही दिन शेष हैं.नेताओं का आपके दरवाजों पर आना जारी होगा.आप यथार्थ शुभचिंतकों और वोटों के लुटेरों में फर्क करिए अन्यथा आप फ़िर से लूटे जायेंगे और चुनाव-दर-चुनाव यह सिलसिला चलता रहेगा.जिस तरह एक-एक ईंट के जुड़ने से घर बनता है और निर्माण की मजबूती ईटों की गुणवत्ता पर निर्भर करता है, उसी तरह हमारा राज्य कैसा होगा यह हम मतदाताओं के निर्णय पर निर्भर करता है.हमारा राज्य इसलिए गरीब नहीं है क्योंकि इसके पास पैसा नहीं है बल्कि राज्य की स्थितियां कहीं-न-कहीं हमारे द्वारा जनप्रतिनिधियों के चयन पर प्रश्न चिन्ह लगाती है.भूतकाल में हम मतदाताओं ने जो गलतियाँ की हैं वर्तमान उसी का प्रतिफल है और उसी प्रकार राज्य का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि हम इस चुनाव में कितनी बुद्धिमानी से वोट डालते हैं.वैसे आप खुद भी सही-गलत उम्मीदवारों में फर्क कर सकते हैं लेकिन मैं भी इस मामले में आपकी सहायता करना चाहूँगा.सबसे पहले तो आप यह देखें कि उम्मीदवार आपराधिक प्रवृत्ति का तो नहीं है.अगर ऐसा हो तो हरगिज ऐसे व्यक्ति को मत न दें.अगर ऐसा आदमी आपका विधायक बन जाता है तो आप खुद अपनी समस्याओं को उसके पास ले जाने से डरेंगे और क्षेत्र का विकास नहीं हो पायेगा.फ़िर आप उम्मीदवार की शैक्षिक योग्यता देखें.उसके बाद आपको यह देखना चाहिए कि उम्मीदवार के बारे में उसके गाँव के लोगों की क्या राय है.क्या वह ईमानदार है या झूठा-बेईमान है?कहीं उसने गलत तरीके से धन-संपत्ति अर्जित तो नहीं किया है.अगर ऐसा हो तो ऐसे व्यक्ति को हरगिज वोट न दें.नहीं तो वह निश्चित रूप से  भविष्य में सार्वजनिक राशि का गबन करेगा और उसे वोट देकर आप भी उसके पापों में भागीदार बन जायेंगे.कई उम्मीदवार और नेता आपको जाति-धर्म के नाम पर बरगलाने का प्रयास भी करेंगे.आप सिर्फ गुण-दोष के आधार पर वोट दीजिए और भावनात्मक बहकावे में नहीं आएं.कई बार आपके वोट को पैसों या शराब या कोई अन्य वस्तु की रिश्वत देकर खरीदने की कोशिश भी की जाती है.मत दान करने की वस्तु है न कि बेचने की.अगर आप इसे बेच देते हैं तब आप आपके मत से विजयी होनेवाले उम्मीदवार के दुष्कृत्यों पर ऊंगली उठाने का नैतिक अधिकार खो देते हैं.अगर आपको किसी भी तरीके से वोट डालने से रोका जाता है तो उसका विरोध करें और चुनाव पर्यवेक्षकों को इसकी सूचना दें.वोट देना आपका जन्मसिद्ध अधिकार है और अपने इस अधिकार की यथासंभव रक्षा करें.अपने विवेक का इस्तेमाल करें और बुद्धिमानी से मतदान का प्रयोग करें.

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