सोमवार, 21 जनवरी 2013

मूर्खिस्तान की काग-रेस पार्टी की जय

नोट-यह आलेख पूरी तरह से कल्पना पर आधारित नहीं है। कृपया इस आलेख को पढ़ते समय बुद्धि और दिमाग का प्रयोग न करें क्योंकि इसे लिखते समय मैंने भी इनका प्रयोग नहीं किया है।
मित्रों,हमारे देश मूर्खिस्तान की ओर से आपका सादर अभिनन्दन। पक्षीराज उल्लू जी को शत-शत नमन। दोस्तों,हमारे देश मूर्खिस्तान में भी इन दिनों आपके हिन्दुस्तान की तरह ही मिलते-जुलते नामवाली काग-रेस पार्टी का शासन है। हमारे देश में भी लोकतंत्र है मगर कुछ अल्हदा। हमारे यहाँ वोट उम्मीदवारों की बुद्धिमानी को देखकर नहीं दिया जाता बल्कि हमारे संविधान में ही काफी बुलंद अक्षरों में लिखा हुआ है कि लोकतंत्र मूर्खों का,मूर्खों द्वारा और मूर्खों के लिए शासन है इसलिए हम जब भी वोट डालते हैं तो यह देखकर कि हमारे उम्मीदवारों में से सबसे विकट मूर्ख कौन है।
                    मित्रों,हमारे देश का वर्तमान प्रधानमंत्री जगमोहन सिंह देश का सबसे मूर्ख व्यक्ति है। आपका प्रधानमंत्री जहाँ भाषण खत्म होने के बाद पूछता है कि ठीक है यह भाषण से पहले ही पूछ लेता है कि उसका भाषण अतिमूर्खतापूर्ण है न? जहाँ आपके देश में घोटाला होने के बाद जाँच करवाई जाती है या नहीं करवाई जाती है वहीं हमारे मूर्खिस्तान में घोटाला होने से पहले ही इस बात की जाँच करवाई जाती ही किस-किस विभाग में घोटाला होने की कितनी संभावनाएँ हैं और फिर उन मंत्रियों को दंडित किया जाता है जिनके विभागों में घोटालों की संभावनाएँ कम होती हैं या नहीं होती हैं। हमारे मूर्खिस्तान के लोगों का इस वेदवाक्य में अटूट विश्वास है कि बिना घोटाले के विकास नहीं हो सकता,जितना ज्यादा घोटाला उतना ही ज्यादा विकास। हमारे देश में कोई सरकार जितनी ज्यादा जनविरोधी कदम उठाती है उसे उतना ही अच्छा माना जाता है।
                मित्रों,हमारे मूर्खिस्तान में लोगों को सूचना नहीं मिलने का अधिकार प्राप्त है। इसके तहत जनता को सूचना मांगने का और अधिकारियों को उनको किसी-न-किसी बहाने टरका देने या जेल भेज देने का अनन्य अधिकार दिया गया है। हमारे देश के बहार राज्य में इन दिनों अधिकारियों व कर्मचारियों को इस आधार पर प्रोन्नति दी जाती है या फिर सर्वश्रेष्ठ कर्मचारी-अधिकारी होने का पुरस्कार दिया जाता है कि उसने कितने जागरूक लोगों को जेल भेजवाया या कितनी घूस खाई। दिखावे के लिए जरूर साल में एकाध ऐरे-गैरे की थोड़ी-बहुत सम्पत्ति जब्त कर ली जाती है लेकिन उनको जेल नहीं भेजा जाता। बाद में उनकी जब्त सम्पत्ति को कोर्ट की मूर्खता का पूरा लाभ देते हुए बाईज्जत वैध तरीके से कमाई गई घोषित कर दिया जाता है।
                    मित्रों,हमारे महान मूर्खिस्तान के पास बहुत-बड़ी सेना है। हमारे सैनिकों को सिर कटवाने की पूरी छूट दी गई है लेकिन उनको पड़ोसी नापाकिस्तान के सैनिकों को खरोंच तक लगाने की मनाही है। हमारे देश पर बार-बार हमारे पड़ोसी नापाकिस्तान और चील आतंकी हमले करते रहते हैं,उनके सैनिक हमारी सीमा में घुसते रहते हैं लेकिन हम कभी बुरा नहीं मानते बल्कि हमारे यहाँ इन घुसपैठियों का कांग्लादेशी घुसपैठियों की तरह अतिथि-सत्कार किया जाता है। वो कहते हैं न कि अतिथि देवो भव। हमने गलती से अपने एक अतिथि कसाबू को फाँसी पर लटका दिया था और तभी से 21 नवंबर को उस महान कसाबू जी (हमारी दूर-दूर तक आपके हिन्दुस्तान के महानतम नेताओं दिग्विजय सिंह या सुशील कुमार शिंदे से कोई रिश्तेदारी नहीं है) की अतिमहान आत्मा की याद में हमारे यहाँ राष्ट्रीय शोक दिवस मनाया जाता है।
                            मित्रों,जैसा कि हमने अपने इस मूर्खतापूर्ण आलेख के आरंभ में ही आपको बताया था कि हमारे देश में इन दिनों आपके हिन्दुस्तान की कांग्रेस पार्टी की ही तरह काग-रेस पार्टी का शासन है। सौभाग्यवश इस पार्टी की प्रधान भी एक विदेशी मूल की महिला है। उसने अपने नेताओं को आदेश दे रखा है कि चाहे जो भी बोलो एक स्वर में बोलो और हमेशा आक्रामक रहो। चूँकि इस पार्टी के लोग हमेशा एक स्वर में काग की तरह काँव-काँव करते रहते हैं इसलिए इस पार्टी का नाम काग-रेस पार्टी है। चूँकि हमारे प्यारे मूर्खिस्तान में दिमाग और बुद्धि का उपयोग करना दंडनीय अपराध है इसलिए काग-रेस पार्टी के नेताओं ने आपरेशन करवा कर अपना दिमाग निकलवा दिया है। कौन रिस्क ले और क्यों रिस्क ले? न रहेगा दिमाग और न रहेगी कोई गलती होने की संभावना। इस काग-रेस पार्टी ने अभी कल ही बिना बुद्धिवाले निश्चिंतन शिविर में अध्यक्ष जी के इकलौते पुत्र और पार्टी के सबसे बड़े प्रतिभावान और संभावनाशील मूर्ख श्री श्री 108 राहु बकलोली जी को पार्टी का उपाध्यक्ष बनाया है। हम मानते हैं कि हमारे देश के लिए वह दिन काफी गौरवशाली होगा जब हमारे देश की महामूर्ख जनता उनको अपना प्रधानमंत्री चुनेगी और इस तरह हमारा देश फिर से विकास की दौड़ में नीचे से अव्वल हो जाएगा।
                     मित्रों,इन दिनों एक बार फिर दुनियाभर के राजनीति-शास्त्र के शोधार्थी हमारे मूर्खिस्तान का रूख कर रहे हैं और पता लगा रहे हैं कि हमारे यहाँ लोकतंत्र इतना फल-फूल कैसे रहा है। आखिर हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र जो ठहरे। आपसे एक मूर्खतापूर्ण लेकिन विनम्र निवेदन है कि आप भी अन्य आगंतुकों की तरह सीमा चेक-पोस्ट पर अपना दिमाग और बुद्धि हमारे सीमा-रक्षकों को सौंपकर ही हमारे देश में प्रवेश करें अन्यथा अगर आपने हमारे महान श्री श्री अनंत मूर्खिस्तान में बुद्धि या दिमाग का प्रयोग किया तो आपके साथ कभी भी,कहीं भी और कुछ भी अनपेक्षित हो सकता है।

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