मित्रों, इन दिनों भारतीय क्रिकेट टीम द. अफ्रीका के दौरे पर है. तीन टेस्ट मैचों की श्रृंखला में भारत पहले दोनों मैच हारकर बाहर हो चुका है लेकिन भारतीय कप्तान को इसका जरा भी मलाल नहीं है और वे अपने आलोचकों के ऊपर ही भड़क रहे हैं.
मित्रों, ठीक यही हालत इस समय भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की है. नाच न जाने आँगन टेढ़ा और अगर कोई नाचने पर टिपण्णी कर दे तो बंटाधार. पहले टेस्ट मैच में भुवनेश्वर कुमार ने शानदार प्रदर्शन किया तो कोहली ने उन्हें अगले मैच में बाहर ही बैठा दिया. न तो मोदी और न ही कोहली को ही पता है कि उनको करना क्या है और उनको चाहिए क्या. अपनी जिद में दोनों ने अच्छे खिलाडियों और नेताओं को बाहर बिठा रखा है मगर चाहते हैं कि टीम हर मैच को जीते. टीम मोदी में शामिल जो लोग ख़ामोशी से अपना काम रहे हैं वे हाशिए पर हैं और जो मोदी की ठकुरसुहाती छोड़ और कुछ नहीं कर रहे या नहीं कर सकते वे मजे में हैं. कोहली तो रेफरी तक से होटल के कमरे में जाकर झगड़ने लगते हैं. वैसे यह काम अभी टीम मोदी नहीं बल्कि विपक्ष कर रहा है जो बार-बार चुनाव आयोग और ईवीएम पर आरोप लगाता रहता है.
मित्रों, भारतीय क्रिकेट टीम और मोदी टीम दोनों में ही आपको ऐसे लोग मिल जाएंगे जो सिर्फ इस कारण से टीम में हैं क्योंकि वे मोदी और कोहली को पसंद हैं भले ही उनका प्रदर्शन कितना भी ख़राब क्यों न हो. कोहली और मोदी दोनों ही कदाचित चाहते हैं कि सिर्फ उनको ही वाहवाही मिले और कोई उनसे अच्छा खेलने या प्रदर्शन करने की हिमाकत न करे जबकि क्रिकेट मैच खेलना हो या देश को चलाना दोनों टीम वर्क होता है और इसके लिए अच्छी टीम की आवश्यकता होती है.
मित्रों, इस समय शेयर बाजार पूरे उफान पर है लेकिन मेरा हमेशा से मानना रहा है कि शेयर बाजार अर्थव्यवस्था का आईना नहीं हो सकता। ऐसा हमने तब भी कहा था जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे. एक बार फिर से कर्णाटक में भाजपा दूसरे दलों से नेताओं का आयात करने में जुट गई है जैसा कि वो हर राज्य के चुनाव से पहले करती है. मोदी जी और भाजपा को समझना पड़ेगा कि येन-केन-प्रकारेण सिर्फ चुनाव-दर-चुनाव जीत लेने से देश न तो बदल जाएगा और न ही आगे हो जाएगा. यह घनघोर निराशाजनक है कि मोदी भी वोट बैंक की गन्दी राजनीति के कीचड़ में कूद गए हैं. काम बहुत कम हो रहा है और दिखावा बहुत ज्यादा. शोर मचाकर और आक्रामकता दिखाकर मोदी कोहली की तरह यह साबित करने में लगे हैं कि सब कुछ शानदार है जबकि परिणाम बता रहे हैं कि हालात चिंताजनक है.
मित्रों, वैसे प्रदर्शन के मामले में दोनों टीमों की हालत बिलकुल उलट है. जहाँ मोदी की विदेश नीति शानदार है वहीँ टीम कोहली का विदेशों में प्रदर्शन शून्य रहा है वहीँ टीम कोहली का घरेलू मैदानों पर प्रदर्शन अच्छा है लेकिन टीम मोदी का आतंरिक क्षेत्रों में प्रदर्शन चिंताजनक है. गंगा माँ आज भी मोदी जी को बुला रही हैं किन्तु भाजपा स्वयं गंगा बन गई है डुबकी लगाई नहीं कि भ्रष्टाचारी से परम पवित्र हो गए देश तो बदला नहीं भाजपा जरूर बदल गयी. मंदी और बेरोजगारी पहले से भी ज्यादा है, सरकारी कर्मियों तक को कई-कई महीनों तक वेतन नहीं मिल रहा, बैंक ब्याज देने के बदले खाता खाली कर रहे हैं, चारों तरफ भुखमरी है लेकिन मोदी सरकार कह रही है आप खुश होईए क्योंकि आप मोदी राज में रह रहे हैं. जैसे कोहली कहते हैं कि आप खुश होईए क्योंकि आपके देश की क्रिकेट टीम का कप्तान मेरे जैसा महान खिलाडी है भले ही टीम शर्मनाक तरीके से मैच हारती रहे.
मित्रों, ठीक यही हालत इस समय भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की है. नाच न जाने आँगन टेढ़ा और अगर कोई नाचने पर टिपण्णी कर दे तो बंटाधार. पहले टेस्ट मैच में भुवनेश्वर कुमार ने शानदार प्रदर्शन किया तो कोहली ने उन्हें अगले मैच में बाहर ही बैठा दिया. न तो मोदी और न ही कोहली को ही पता है कि उनको करना क्या है और उनको चाहिए क्या. अपनी जिद में दोनों ने अच्छे खिलाडियों और नेताओं को बाहर बिठा रखा है मगर चाहते हैं कि टीम हर मैच को जीते. टीम मोदी में शामिल जो लोग ख़ामोशी से अपना काम रहे हैं वे हाशिए पर हैं और जो मोदी की ठकुरसुहाती छोड़ और कुछ नहीं कर रहे या नहीं कर सकते वे मजे में हैं. कोहली तो रेफरी तक से होटल के कमरे में जाकर झगड़ने लगते हैं. वैसे यह काम अभी टीम मोदी नहीं बल्कि विपक्ष कर रहा है जो बार-बार चुनाव आयोग और ईवीएम पर आरोप लगाता रहता है.
मित्रों, भारतीय क्रिकेट टीम और मोदी टीम दोनों में ही आपको ऐसे लोग मिल जाएंगे जो सिर्फ इस कारण से टीम में हैं क्योंकि वे मोदी और कोहली को पसंद हैं भले ही उनका प्रदर्शन कितना भी ख़राब क्यों न हो. कोहली और मोदी दोनों ही कदाचित चाहते हैं कि सिर्फ उनको ही वाहवाही मिले और कोई उनसे अच्छा खेलने या प्रदर्शन करने की हिमाकत न करे जबकि क्रिकेट मैच खेलना हो या देश को चलाना दोनों टीम वर्क होता है और इसके लिए अच्छी टीम की आवश्यकता होती है.
मित्रों, इस समय शेयर बाजार पूरे उफान पर है लेकिन मेरा हमेशा से मानना रहा है कि शेयर बाजार अर्थव्यवस्था का आईना नहीं हो सकता। ऐसा हमने तब भी कहा था जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे. एक बार फिर से कर्णाटक में भाजपा दूसरे दलों से नेताओं का आयात करने में जुट गई है जैसा कि वो हर राज्य के चुनाव से पहले करती है. मोदी जी और भाजपा को समझना पड़ेगा कि येन-केन-प्रकारेण सिर्फ चुनाव-दर-चुनाव जीत लेने से देश न तो बदल जाएगा और न ही आगे हो जाएगा. यह घनघोर निराशाजनक है कि मोदी भी वोट बैंक की गन्दी राजनीति के कीचड़ में कूद गए हैं. काम बहुत कम हो रहा है और दिखावा बहुत ज्यादा. शोर मचाकर और आक्रामकता दिखाकर मोदी कोहली की तरह यह साबित करने में लगे हैं कि सब कुछ शानदार है जबकि परिणाम बता रहे हैं कि हालात चिंताजनक है.
मित्रों, वैसे प्रदर्शन के मामले में दोनों टीमों की हालत बिलकुल उलट है. जहाँ मोदी की विदेश नीति शानदार है वहीँ टीम कोहली का विदेशों में प्रदर्शन शून्य रहा है वहीँ टीम कोहली का घरेलू मैदानों पर प्रदर्शन अच्छा है लेकिन टीम मोदी का आतंरिक क्षेत्रों में प्रदर्शन चिंताजनक है. गंगा माँ आज भी मोदी जी को बुला रही हैं किन्तु भाजपा स्वयं गंगा बन गई है डुबकी लगाई नहीं कि भ्रष्टाचारी से परम पवित्र हो गए देश तो बदला नहीं भाजपा जरूर बदल गयी. मंदी और बेरोजगारी पहले से भी ज्यादा है, सरकारी कर्मियों तक को कई-कई महीनों तक वेतन नहीं मिल रहा, बैंक ब्याज देने के बदले खाता खाली कर रहे हैं, चारों तरफ भुखमरी है लेकिन मोदी सरकार कह रही है आप खुश होईए क्योंकि आप मोदी राज में रह रहे हैं. जैसे कोहली कहते हैं कि आप खुश होईए क्योंकि आपके देश की क्रिकेट टीम का कप्तान मेरे जैसा महान खिलाडी है भले ही टीम शर्मनाक तरीके से मैच हारती रहे.
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