मित्रों, होली को अभी कई दिन बांकी हैं
लेकिन बिहार में तो कई हफ्ते पहले से होली शुरू है. मुजफ्फरपुर के धरमपुर
गाँव के बच्चों के साथ तो गजब की होली खेली गई है,खून की होली. पूरी तरह से
सर्वधर्मसमभाव जो भाजपा का मूल मंत्र है का पालन करते हुए यह होली खेली गई
है. हिन्दू-मुसलमान दोनों ही समुदाय के ९ बच्चों के जिस्म को लाल टेसू रंग
में दलित भाजपा नेता मनोज बैठा ने इस कदर सराबोर कर दिया कि बेचारे हमेशा
के लिए नींद की आगोश में सो गए. उनकी माँ-उनके पापा रो-रो कर उनको जगा रहे
हैं, दुहाई दे रहे हैं कि अब वे किसके लिए जीएंगे लेकिन बच्चे इतने ढीठ हैं
कि सुन ही नहीं रहे. कई बच्चे अस्पताल में हैं और राम जाने कि उनमें से
कितने वहां से वापस घर आएंगे.
मित्रों,
मैं सुशासन बाबू से जिनकी बिहार में बड़ी हनक है से विनती करता हूँ कि
हुज़ूर आप कोशिश करिए न जगाने की. आपकी बात बिहार में कौन काट सकता है फिर
ये तो बच्चे ठहरे सरकार. सरकार विपक्ष के कई नेता आकर जा चुके हैं मगर
बच्चों ने उनकी तो मानी नहीं. आप इस बार भी नहीं आएँगे क्या सरकार? पिछली
बार जब गोपालगंज में बच्चे मिड डे मिल खाकर सो गए थे तब भी तो आप नहीं आए
थे?सरकार कसम से आप आते तो बच्चे उठ बैठते और आपसे सवाल पूछते कि सरकार
ने तो छोटे पौधों के काटने पर भी रोक लगा रखी है फिर कोई हमको चीटियों की
तरह मसलकर कैसे मार सकता है? सरकार आप तो जानते होंगे कि बच्चे अब सरकारी
स्कूलों में पढने नहीं जाते क्योंकि वो तो होती ही नहीं है वे बेचारे तो
खाना खाने के लालच में जाते हैं मगर उनको कहाँ पता होता है कि स्कूल का
खाना उनके लिए बलि के बकरे के आगे रखा अक्षत साबित हो सकता है. सरकार सुना
था कि आपने बिहार में शराबबंदी कर रखी है, फिर उस नेताजी ने कहाँ से पी ली?
सरकार क्या आपने सत्ता पक्ष के नेताओं को इस बंदी से छूट दे दी है?
सरकार आपने अभी तक हमारी जान की और हमारे माँ-बाप के अरमानों की कोई कीमत नहीं लगाई? सरकार लगाईये न कीमत. हमें भी तो पता चले कि हमारे खून की कीमत क्या है. सरकार अभी तक आपने जाँच की घोषणा भी नहीं की है. सरकार जाँच का नाटक भी तो होना चाहिए. ऐसा रस्म रहा है दस्तूर रहा है जनाब. सीबीआई कैसी रहेगी? सृजन घोटाले की तरह पूरा लीपा-पोती कर देगी जनाब. विशेषज्ञता है इसको इसमें. सालों साल बीत जाएंगे मगर नतीजा नहीं आएगा. फिर आप न्यायिक जाँच करवा लीजिएगा, फिर एसआईटी और फिर फिर से सीबीआई और अंत में नो वन किल्ड जेसिका.
सरकार आपने अभी तक हमारी जान की और हमारे माँ-बाप के अरमानों की कोई कीमत नहीं लगाई? सरकार लगाईये न कीमत. हमें भी तो पता चले कि हमारे खून की कीमत क्या है. सरकार अभी तक आपने जाँच की घोषणा भी नहीं की है. सरकार जाँच का नाटक भी तो होना चाहिए. ऐसा रस्म रहा है दस्तूर रहा है जनाब. सीबीआई कैसी रहेगी? सृजन घोटाले की तरह पूरा लीपा-पोती कर देगी जनाब. विशेषज्ञता है इसको इसमें. सालों साल बीत जाएंगे मगर नतीजा नहीं आएगा. फिर आप न्यायिक जाँच करवा लीजिएगा, फिर एसआईटी और फिर फिर से सीबीआई और अंत में नो वन किल्ड जेसिका.
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