मित्रों, यह बहुत अच्छी बात है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भाजपा के कांग्रेसीकरण की चिंता है. अब बिना आग के धुआँ तो उठता नहीं है इसलिए प्रधानमंत्री जी को कुछ तो जरूर ऐसा दिखा होगा जिसने उनको चिंतित कर दिया.
मित्रों, आपने भी इतिहास पढ़ा है और जानते हैं कि पृथ्वीराज ने मोहम्मद गोरी को हराने के बाद उच्चादर्शों का पालन करते हुए जीवनदान दे दिया था लेकिन जब गोरी ने पृथ्वीराज को हराया तब उसने आदर्शवाद का प्रदर्शन नहीं किया बल्कि कमीनापंथी की. पृथ्वीराज को अँधा कर दिया और उसके अन्तःपुर की स्त्रियों के साथ घनघोर अमानुषिक अत्याचार किया जैसा कि पिछले दिनों आईएसआईएस ने यजीदी महिलाओं के साथ किया है.
मित्रों, इसके बाद भी हिन्दू राजे-महाराजे लम्बे समय तक आदर्शवादी बने रहे जिसका लाभ मुस्लिम हमलावरों ने जमकर उठाया. पहली बार महाराणा प्रताप ने इस सच्चाई को समझा और गोरिल्ला या छापामार विधि से युद्ध की शुरुआत की. बाद में शिवाजी, छत्रसाल और गुरु गोविन्द सिंह ने भी इसे अपनाया और मुग़ल साम्राज्य की जड़ें हिला दीं.
मित्रों, कहने का तात्पर्य यह है कि जब आपका सामना निहायत कमीनों से हो तब आप आदर्शवादी नहीं बने रह सकते. कहना न होगा युद्धिष्ठिर को भी धर्म की जीत के लिए छल का सहारा लेना पड़ा था. लेकिन इसके बावजूद वे युद्धिष्ठिर ही बने रहे थे दुर्योधन नहीं बने थे.
मित्रों, हम जानते हैं कि भाजपा का सामना भी दुष्टों से है जिसकी अगुवाई कांग्रेस कर रही है. आज कांग्रेस भ्रष्टाचार, अहंकार, वंशवाद, तुष्टिकरण, चापलूसी का पर्याय बनकर रह गयी है. बहुत-से कांग्रेसी इनदिनों स्वाभाविक तौर पर भाजपा में आ रहे हैं. जाहिर है कि उनके साथ कांग्रेस संस्कृति जिसके लक्षणों का वर्णन हमने पिछली पंक्ति में किया है भी भाजपा में आ रही है. इसके अलावा सत्ता में रहने पर हर दल में स्वतः कई तरह के दोष उत्पन्न हो जाते हैं.
मित्रों, सवाल उठता है कि भाजपा को कांग्रेसीकरण से बचाने की जिम्मेदारी किसके ऊपर है? जाहिर है कि खुद मोदी और शाह पर. बनाना-बिगाड़ना सबकुछ तो उनके हाथों में ही है फिर मोदी जी किससे इस बीमारी से बचने की अपील कर रहे हैं और क्यों?
मित्रों, अभी भारी संख्या में केंद्र सरकार ने रिक्तियों की घोषणा की है. उनमें से लगभग हर विभाग के बारे में पैसे लेकर सीट बेचने की शिकायतें आ रही हैं. एसएससी के खिलाफ तो बच्चों को अनशन तक करना पड़ा है. यही तो है कांग्रेस संस्कृति जिसको समाप्त करने का वादा मोदी जी ने किया था. मोदी जी को यह देखना होगा कि इस तरह के और हर तरह से भ्रष्टाचार का अंत कैसे हो. उनको ऐसा होना चाहिए की भाषा बंद करनी होगी और ऐसा ही होगा की भाषा अपनानी होगी. ऐसी भाषा तो मनमोहन सिंह बोला करते थे और उनको शोभा भी देती थी क्योंकि उनके पास सीमित शक्ति थी और वे कठपुतली मात्र थे लेकिन मोदी जी के साथ तो ऐसा नहीं है फिर वही भाषा क्यों?
मित्रों, आपने भी इतिहास पढ़ा है और जानते हैं कि पृथ्वीराज ने मोहम्मद गोरी को हराने के बाद उच्चादर्शों का पालन करते हुए जीवनदान दे दिया था लेकिन जब गोरी ने पृथ्वीराज को हराया तब उसने आदर्शवाद का प्रदर्शन नहीं किया बल्कि कमीनापंथी की. पृथ्वीराज को अँधा कर दिया और उसके अन्तःपुर की स्त्रियों के साथ घनघोर अमानुषिक अत्याचार किया जैसा कि पिछले दिनों आईएसआईएस ने यजीदी महिलाओं के साथ किया है.
मित्रों, इसके बाद भी हिन्दू राजे-महाराजे लम्बे समय तक आदर्शवादी बने रहे जिसका लाभ मुस्लिम हमलावरों ने जमकर उठाया. पहली बार महाराणा प्रताप ने इस सच्चाई को समझा और गोरिल्ला या छापामार विधि से युद्ध की शुरुआत की. बाद में शिवाजी, छत्रसाल और गुरु गोविन्द सिंह ने भी इसे अपनाया और मुग़ल साम्राज्य की जड़ें हिला दीं.
मित्रों, कहने का तात्पर्य यह है कि जब आपका सामना निहायत कमीनों से हो तब आप आदर्शवादी नहीं बने रह सकते. कहना न होगा युद्धिष्ठिर को भी धर्म की जीत के लिए छल का सहारा लेना पड़ा था. लेकिन इसके बावजूद वे युद्धिष्ठिर ही बने रहे थे दुर्योधन नहीं बने थे.
मित्रों, हम जानते हैं कि भाजपा का सामना भी दुष्टों से है जिसकी अगुवाई कांग्रेस कर रही है. आज कांग्रेस भ्रष्टाचार, अहंकार, वंशवाद, तुष्टिकरण, चापलूसी का पर्याय बनकर रह गयी है. बहुत-से कांग्रेसी इनदिनों स्वाभाविक तौर पर भाजपा में आ रहे हैं. जाहिर है कि उनके साथ कांग्रेस संस्कृति जिसके लक्षणों का वर्णन हमने पिछली पंक्ति में किया है भी भाजपा में आ रही है. इसके अलावा सत्ता में रहने पर हर दल में स्वतः कई तरह के दोष उत्पन्न हो जाते हैं.
मित्रों, सवाल उठता है कि भाजपा को कांग्रेसीकरण से बचाने की जिम्मेदारी किसके ऊपर है? जाहिर है कि खुद मोदी और शाह पर. बनाना-बिगाड़ना सबकुछ तो उनके हाथों में ही है फिर मोदी जी किससे इस बीमारी से बचने की अपील कर रहे हैं और क्यों?
मित्रों, अभी भारी संख्या में केंद्र सरकार ने रिक्तियों की घोषणा की है. उनमें से लगभग हर विभाग के बारे में पैसे लेकर सीट बेचने की शिकायतें आ रही हैं. एसएससी के खिलाफ तो बच्चों को अनशन तक करना पड़ा है. यही तो है कांग्रेस संस्कृति जिसको समाप्त करने का वादा मोदी जी ने किया था. मोदी जी को यह देखना होगा कि इस तरह के और हर तरह से भ्रष्टाचार का अंत कैसे हो. उनको ऐसा होना चाहिए की भाषा बंद करनी होगी और ऐसा ही होगा की भाषा अपनानी होगी. ऐसी भाषा तो मनमोहन सिंह बोला करते थे और उनको शोभा भी देती थी क्योंकि उनके पास सीमित शक्ति थी और वे कठपुतली मात्र थे लेकिन मोदी जी के साथ तो ऐसा नहीं है फिर वही भाषा क्यों?
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