शनिवार, 22 मई 2021
जाओ रे मोदी तुम जाओ रे
मित्रों, मोदी सरकार को सत्ता में आए ७ साल हो चुके हैं. ऐसे में पर्याप्त समय बीत चुका है जब सरकार के कामकाज का मूल्यांकन किया जा सके. दुर्भाग्यवश मेरे जैसे कट्टर मोदी समर्थक को भी कहना पड़ रहा है कि मोदी सरकार में सरकार और भारतीय जनता पार्टी का तंत्र सिर्फ चुनाव के लिए काम कर रहा है। सरकार तो जैसे मिस्टर इंडिया हो गई है। रामभक्तों की सरकार में सबकुछ रामभरोसे छोड़ दिया गया है।
मित्रों, इस समय सरकार के समक्ष चुनौतियों के तीन मोर्चे खुले हुए हैं और तीनों पर यह सरकार विफल है। पहला मोर्चा है कोरोना का पूर्वानुमान लगाकर उससे निबटने की तैयारी करना. दूसरा मोर्चा अर्थव्यवस्था को ढहने से बचाना है और तीसरा मोर्चा है सीमा पर चीन को मुंहतोड़ जवाब देना. कोरोना के खिलाफ पूर्वानुमान और तदनुसार तैयारी करने के मामले में तो हालत ऐसी रही कि एक तरफ कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे थे वहीँ दूसरी तरफ प्रधानमंत्री जी और उनका पूरा दल-बल बेफिक्र होकर पूरे जोरशोर से बंगाल में चुनाव प्रचार कर रहा था. प्रधानमंत्री अपनी रैलियों में उमडनेवाली भीड़ को देखकर फूले नहीं समा रहे थे. जबतक प्रधानमंत्री की समझ में स्थिति की भयावहता आती तब तक काफी देर हो चुकी थी. जहाँ तक अर्थव्यवस्था का प्रश्न है तो निर्मला जी के वित्त मंत्री रहते उसी तरह इसमें सुधार की कोई सम्भावना ही नहीं है जैसे किसी फुटबॉल मैच को बेकार गोलकीपर के होते नहीं जीता जा सकता है. रही बात चीन से निबटने की तो चीन भूटान में गाँव पर गाँव बसाता जा रहा है और केंद्र सरकार सिर्फ यह कहने के अलावा और कुछ नहीं कर पा रही है कि कोई घुसपैठ नहीं हुई है. केंद्र सरकार का यही रवैया चीन के लद्दाख में घुसपैठ को लेकर भी है. अन्य मोर्चों जैसे आईपीसी को बदलना, न्यायिक प्रक्रिया और भारतीय प्रशासनिक सेवा में सुधार करना, जनसँख्या नियंत्रण कानून बनाना, समान नागरिक संहिता लागू करवाना आदि की दिशा में तो केंद्र सरकार पूरी तरह से विफल है ही.
मित्रों, फिर आप कहेंगे कि मोदी तो १८ घंटे काम करते हैं. काम तो करते हैं. बस मीटिंग आयोजित करने का काम करते हैं. मीटिंग पर मीटिंग, मीटिंग पर मीटिंग। होना जाना कुछ भी नहीं। इस सरकार में किसी की कोई जवाबदेही नहीं है। बस एक अव्वल दर्जे का अभिनेता एकतरफा भाषणबाजी किए जा रहा है। कभी-कभी रोने भी लगता है बिना ग्लिसरीन लगाए. कोरोना से पूरे देश में और मुसलमानों के हाथों बंगाल में जिनके परिजन मर रहे हैं वे जानें। सरकार तो बस एक ही काम कर रही है आंकड़े छिपाने का काम। पागलों की तरह देश चलाया जा रहा है। यहां तक कि बंगाल का राज्यपाल सड़कों पर रो रहा है। यह कैसी बेबसी है और काहे की बेबसी है? नेताओं वाली या अभिनेताओं वाली? मोदी भी बापू की तरह देश के लिए हानिकारक बनते जा रहे हैं। वो एक ऐसी गाय बन गये हैं जो बस खूंटे पर मौजूद है. दूध नहीं देती, बच्चे भी नहीं देती सिर्फ गोबर देती है।
मित्रों, देश में ऐसा पहली बार ऐसा हुआ है कि विधायकों को केंद्रीय सुरक्षा देनी पड़ी है। अमित शाह जी ने खाना खाया निकल लिए अब उन झोपड़ी वालों को शांतिप्रिय मजहब वालों से बचाएगा कौन? राज्यपाल के काफिले पर हमला हो गया। ममता राजधर्म नहीं निभा रही है तो कम से कम मोदी को तो निभाना चाहिए। और अगर नहीं निभा सकते तो अपना झोला उठाएं और निकल लें। दूसरे को आने दें। भाजपा में योग्य नेताओं की कोई कमी नहीं है. मोदी जी देश को और देश के समय को बर्बाद मत कीजिए। मोदी जी आपको याद होगा कि आप किन परिस्थितियों में गुजरात के मुख्यमंत्री बनाए गए थे? गुजरात भूकंप से तबाह हो गया था और केशुभाई राहत और पुनर्निर्माण का काम ठीक से नहीं चला पा रहे थे. आज देश कोरोना से तबाह हो चुका है और आप पूरी तरह से विफल साबित हो चुके हैं.
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1 टिप्पणी:
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