मंगलवार, 22 अक्टूबर 2024

चीन हारा सुनीता भी हारी

मित्रों, काफी दिन पहले मैंने एक फिल्म देखी थी जिसमें विलेन के पास उसका आदमी खबरें लेकर आता है और पूछता है कि उसके पास दो खबरें हैं एक अच्छी और एक बुरी, आप पहले किसे सुनना चाहेंगे? और जाहिर तौर पर विलेन पहले अच्छी खबर सुनाने को बोलता है। मित्रों, ठीक उसी तरह आज मेरे पास एक अच्छी और बुरी खबर है। वैसे बचपन में जब हमारे पास खाने के लिए अच्छी और ज्यादा अच्छी चीज़ होती थी तब हम तो पहले अच्छी और बाद में ज्यादा अच्छी चीज खाते थे। खैर हम भी आपको पहले अच्छी खबर सुनाते हैं। मित्रों, हुआ यह है कि हमारा पुराना दुश्मन चीन लद्दाख में भारत-तिब्बत सीमा पर साल 2020 वाली पुरानी स्थिति बहाल करने के लिए राजी हो गया है। ऐसा पहली बार हुआ है कि चीन आगे बढ़कर पीछे हट जाए। ऐसा भारत सरकार और भारतीय सेना की दृढ़ता और बेजोड़ कूटनीति के चलते संभव हो सका है। हम बिहारियों के लिए यह उपलब्धि और भी ज्यादा गर्व करने लायक है क्योंकि गलवान में शहीद होनेवाले अधिकतर जवान बिहार रेजिमेंट के थे। मित्रों, दरअसल चीन पुराने और नये भारत के अंतर को समझ नहीं पाया। अमेरिका, इंग्लैंड और कनाडा भी समझ नहीं पा रहे हैं। नया भारत न केवल आंखों में आंखें डालकर बात करना जानता है बल्कि उसे शत्रुओं की आंखें निकालकर गोटी खेलना भी न केवल आता है भाता भी है। न केवल भारत ने सीमा पर चीन को ईंट का जवाब पत्थर से दिया बल्कि वैश्विक कूटनीति में भी ऐसा धोबिया पछाड़ लगाया कि चीन को दिन में ही तारे नजर आने लगे। जहां मनमोहन सरकार के लिए सोनिया परिवार ही सबकुछ था मोदी सरकार के लिए देश ही सबकुछ है। बस इतनी-सी बात चीन की समझ में नहीं आई और उसने इसलिए मुंह की खाई। मित्रों, जो लोग गरीबों को कीड़े-मकोड़े से ज्यादा नहीं समझते उनके लिए दूसरी खबर कोई मायने नहीं रखती लेकिन मेरे लिए इसकी अहमियत पहली खबर से कम नहीं है. हुआ यह है कि सुनीता जिन्दगी के लिए लड़ते-लड़ते हार गई है और उसका देहांत हो गया है. आप कहेंगे कौन-सी सुनीता, देश में तो रोजाना लाखो सुनीता मरती है. लीजिए आपकी याददाश्त भी भारतीय जनता की तरह कमजोर निकली. बता दें कि वर्ष 2022 में 11 जुलाई को मुजफ्फरपुर जिले की सकरा थाना क्षेत्र के बाजी राउत गांव की 35 वर्षीय सुनीता देवी जो चमार जाति से आती है के पेट में दर्द हुआ तो इलाज के लिए उसे डॉक्टर पवन कुमार के क्लिनिक लाया गया. डॉक्टर ने उसे गर्भाशय निकालने के लिए ऑपरेशन की सलाह दी. बरियारपुर स्थित शुभकांत क्लिनिक में 3 सितंबर 2022 को सुनीता के गर्भाशय का ऑपरेशन किया गया था, जो झोलाछाप डॉक्टर पवन कुमार ने किया था. उसने इस ऑपरेशन के लिए 30 हजार रुपए लिए थे. इसके बाद भी जब सुनीता की दिक्कत दूर नहीं हुई और पेट में दर्द होता रहा तो 5 सितंबर को सुनीता की तबीयत खराब होने पर उसे श्रीकृष्ण चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल लाया गया. यहां 7 सितंबर 2022 को जांच के बाद पता चला कि उसकी दोनों किडनी निकाल ली गई है. बता दें कि वर्ष 2022 में गलत ऑपरेशन का शिकार हुई सुनीता जो दो साल से डायलिसिस पर थी बीते साल सीएम नीतीश कुमार से भी मिली थी. इसके बाद सीएम नीतीश ने 5 लाख का चेक भी सरकार की ओर से दिया था. वहीं, बीते महीने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा से भी की किडनी लगवाने की मांग की थी, लेकिन उनकी यह मांग अधूरी ही रह गई और अब उसने दम तोड़ दिया. मित्रों, मैं पूछता हूँ कि बिहार और भारत सरकार का अरबों रूपयों का बजट किस काम का जब वो किसी गरीब सुनीता की जान न बचा सके? सुनीता और उसके परिवार को जो भोगना पड़ा और भविष्य में जो भोगना पड़ेगा उसके लिए दोषी कौन है? हमारा लचर कानून और उससे भी ज्यादा लचर और भ्रष्ट व्यवस्था? मैं चीन के खिलाफ भारत की बढ़त का स्वागत करता हूँ और तहे दिल से स्वागत करता हूँ लेकिन मैं सुनीता की हत्या की भारी मन से निंदा भी करता हूँ. क्योंकि हमारा तंत्र इतना ज्यादा भ्रष्ट हो चुका है कि कोई नहीं जानता कि कब किसे सुनीता बना दिया जाए. फिर किडनी तो गरीबों के कथित मसीहा लालू यादव की भी ख़राब हुई थी लेकिन उनके पास आज अरबों रूपये हैं इसलिए वो स्वस्थ हो गए लेकिन गरीब सुनीता को तो देर-सबेर मरना ही था ना, सो वो मर गयी और आगे भी मरती रहेगी यही तो लोकतंत्र है.

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