बुधवार, 6 नवंबर 2024

बिहार कोकिला शारदा दी को श्रद्धांजलि

मित्रों, बिहार कोकिला शारदा सिन्हा इतनी जल्दी हमसे दूर चली जाएंगी और वो भी छठ पर्व के दौरान शायद ही किसी ने सोंचा था। वो शारदा सिन्हा ही थीं जिनके गाए हुए छठ गीतों को सुनकर हम सभी बड़े हुए हैं। अकस्मात कुछ दिन पहले समाचारों में आया कि वो गंभीर रूप से बीमार हैं। साथ ही यह भी पता चला कि उनके पति ब्रजकिशोर सिन्हा जी के सितम्बर में गुजर जाने का उनको गहरा सदमा लगा है जो शारदा दी जैसी कोमल और मधुर स्वभाव वाली महिला के लिए स्वाभाविक भी था। मित्रों, हमारा तो उनसे कभी आमना-सामना नहीं हुआ लेकिन सोशल मीडिया के माध्यम से उनके साथ यदा-कदा विचारों का आदान-प्रदान हो जाता था। जहां तक मुझे याद आ रहा है जब हम नौ-दस साल के थे तब पहली बार उनके गाए छठ गीत सुनने का सौभाग्य मिला था। हमारे जिले की भाषा बज्जिका में गाया उनका गीत केरबा जे फरेला धऊड़ से ओई पर सुगा मडराए, मारबऊ से सुगबा धनुष से सुगा गिरे मुरझाए गीत तो इतना लोकप्रिय हुआ कि बाद में महाराष्ट्रवासी अनुराधा पोडवाल ने भी उसे गाया। साथ ही पनिया के जहाज से पल्टनिया बनी अईह गीत भी फिजाओं में गूंजने लगा था। अब जाकर पता चला कि यह गीत गिरमिटिया प्रथा के विरूद्ध गाया गया था। मित्रों, इतना ही नहीं उनके गाए विवाह-गीतों के बिना शायद ही बिहार में कोई विवाह संपन्न होता था। फिर चाहे वो बबुआ देत काहे गारी बता द बबुआ गीत हो या अवध नगरिया से अईले दोनों भईया हाय रे जियरा या फिर कहवां से सिया दुल्हनिया पड़ेला झिरझिर बुनिया गीत हो। मित्रों, पहले पहल हम शारदा दी को भोजपुरी गायिका समझते थे लेकिन बाद में पता चला कि उन्होंने तो बिहार की समस्त भाषाओं में गीत गाए हैं फिर चाहे भोजपुरी हो या मैथिली,अंगिका,मगही या बज्जिका. मैंने प्यार किया फिल्म में उनके द्वारा गाए गीत कहे तोसे सजना तोहरे सजनिया को भला कोई भूल सकता है क्या? क्या गरिमा, क्या सुर पर पकड़ थी शारदा दी की, अद्भुत! उन्होंने कभी भोजपुरी, मैथिली या अन्य किसी भी आंचलिक भाषा कोई अश्लील गीत नहीं गाया। बल्कि भगवान ने जितना दिया उतने में ही संतुष्ट रहीं। जब-जब बिहार सरकार ने विश्वविद्यालय शिक्षकों के प्रति अन्याय किया शारदा दी ने मिथिला विश्वविद्यालय के एक विश्वविद्यालय शिक्षक के रूप में उसका तीव्रतम विरोध किया। मित्रों, कुछ दिनों पहले ही शारदा दी ने एक गजल सोशल मीडिया पर डाला था जिसमें उनको अपने बेटे-बेटियां के साथ मिलकर आज जाने की जिद न करो, मेरे पहलू में बैठे रहो गाते हुए देखा जा सकता था लेकिन तब हमें क्या पता था कि वो खुद इतनी जल्दी जाने की जिद कर देंगी। आज बिहार का उपवन सूना हो गया। वैसे जबतक धरती रहेगी बिहार-कोकिला के गाए गीत बिहार के हर घर में और हर आंगन में गूंजते रहेंगे‌‌। शारदा दी को हमारी ओर से विनम्र श्रद्धांजलि। अलविदा दीदी!

कोई टिप्पणी नहीं: