सोमवार, 15 अगस्त 2016

जश्ने आजादी विथ डिफरेंस की शुभकामनाएँ

मित्रों,आज भारत अपना 70वाँ स्वतंत्रता दिवस मना रहा है जबकि कल पाकिस्तान अपना जन्मदिन मना चुका है। एक लंबे समय के बाद भारत में राष्ट्रवादी सरकार सत्ता में है। वैसे तो मोदी सरकार के कार्यकाल में यह तीसरा स्वाधीनता दिवस है लेकिन इस बार यह दिन अलग-सा है। यह जश्ने आजादी विथ डिफरेंस इसलिए नहीं है क्योंकि अभी केंद्र में खुद को पार्टी विथ डिफरेंस कहनेवाली पार्टी की सरकार है बल्कि इस बार सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरे भारतीय उपमहाद्वीप की फिजाँ बदली-बदली सी है।
मित्रों,शायद यह भारत के इतिहास की पहली जश्ने आजादी है जब पाकिस्तान हम पर हावी नहीं है बल्कि हम उस पर हावी हैं। यह भारत के इतिहास की पहली जश्ने आजादी है जब एकसाथ पाकिस्तान के कई भागों में हिंदुस्तान जिंदाबाद, पाकिस्तान मुर्दाबाद और मोदी-मोदी के नारे लगाए जा रहे हैं। शायद यह हमारी पहली जश्ने आजादी है जब भारत का गृह मंत्री कह रहा है कि हम पाकिस्तान से बातचीत तो करेंगे लेकिन सिर्फ पीओके पर। शायद ऐसा पहली बार हुआ है जब भारत का प्रधानमंत्री कह रहा है कि हम पाकिस्तान से पीओके प्राप्त करेंगे और साथ ही पाकिस्तान को बलुचिस्तान पर भी जवाब देना होगा। शायद ऐसा पहली बार हुआ है जब पाकिस्तान का झंडा लहरानेवालों और पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगानेवाले गद्दारों को मस्जिदों में घुस-घुसकर कूटा जा रहा है। शायद भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी भारतीय सरकार की कूटनीति से चीन सकते में है और किंकर्त्तव्यविमूढ़ दिख रहा है। शायद भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब समान नागरिक संहिता को लागू करने की दिशा में केंद्र सरकार ने पहल की है। शायद भारत में ऐसा पहली बार हुआ है जब अरहर की दाल चने की दाल से सस्ती है। शायद भारत में ऐसा पहली बार हुआ है जब पीएम खुलेआम कालाधन रखनेवालों को चेतावनी दे रहा हो। शायद भारत में ऐसा पहली बार हुआ है जब सब्सिडी का पैसा सीधे लाभुकों के खाते में जा रहा है। आज सऊदी अरब भारत के आग्रह को घमंड में आकर अनसुना नहीं करता बल्कि अपने पास से पैसे देकर अन्याय के शिकार भारतीय मजदूरों की मदद करता है। यह भी पहली बार हुआ है जब अमेरिका के राष्ट्रपतीय चुनावों में भारत का प्रधानमंत्री मुद्दा बना हुआ है जबकि एक समय था जब भारत के पीएम के अमेरिका दौरे को अमेरिकी अखबार पहले पृष्ठ पर जगह तक नहीं देते थे। निश्चित रूप से आज भारत इतिहास में पहली बार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और जीडीपी विकास दर में दुनिया का शिरमौर है।
मित्रों,जाहिर है कि मात्र दो सालों में मोदी सरकार ने भारत के मान को वैश्विक स्तर पर नई ऊँचाइयाँ दी है। आज विदेशों को भारतीय होना शर्म का नहीं बल्कि गर्व का विषय है। परन्तु कुछ मामलों में आज भी चिराग तले अंधेरा की स्थिति बनी हुई है। हमारी शिक्षा-व्यवस्था ध्वस्त होकर परीक्षा-व्यवस्था में तब्दील हो चुकी है,स्वास्थ्य-व्यवस्था खुद बीमार है,राजधानी दिल्ली तक में कानून-व्यवस्था की स्थिति चिंताजनक है,रेलवे पटरी से उतर चुकी है और आज की ट्रेनें कल आ रही हैं,विदेशों से कालाधन वापस लाने की रफ्तार काफी धीमी है,न्याय पाना आज भी दुश्वार है,किसान के हाथ आज भी खाली हैं और वो आज भी आत्महत्या कर रहा है। दुर्भाग्यवश आज भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में ज्यादातर मंत्री नाकारा हैं। जहाँ यूपीए की सरकार का मूल मंत्र दाग अच्छे हैं था वहीं इस सरकार का मूल मंत्र नालायक लायक हैं बन गया है। अच्छा है कि योग्य मगर वयोवृद्ध नेताओं को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया है लेकिन सवाल उठता है कि आखिर स्मृति ईरानी ने शिक्षा मंत्री के रूप में ऐसे कौन-से झंडे गाड़ दिए कि उनको प्रोन्नति देकर कपड़ा मंत्रालय दे दिया गया? जिन प्रकाश जावड़ेकर को खराब प्रदर्शन के कारण मंत्रिमंडल से हटाने की बात हो रही थी उनको कैसे शिक्षा मंत्री बना दिया गया? कदाचित हमारे प्रधानमंत्री अभी तक यह समझ ही नहीं पाए हैं कि सरकार चलाना टीम वर्क होता है और सिर्फ कप्तान अकेले किसी भी टीम को जीत नहीं दिला सकता। शायद वे अभी तक यह भी नहीं समझ पाए हैं कि जनता की उनसे कितनी अपेक्षाएँ हैं और अगर इसी तरह उनकी सरकार उपर्लिखित विषयों में समय रहते कोई काम नहीं करती है तो फिर अगले चुनावों में जीत के लिए उनको अंतिम गेंद पर छक्का नहीं मारना होगा बल्कि एक ही गेंद पर शतक मारना होगा जो क्रिकेट की दुनिया के साथ-साथ राजनीति की दुनिया में भी कदापि संभव नहीं।

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