हाजीपुर,ब्रजकिशोर सिंह। मित्रों,आपने जहाँ कहीं भी सड़क-पुल-नाली का काम चल रहा होगा कृपया धीरे चलें,कार्य प्रगति पर है लिखा हुआ बोर्ड जरूर देखा होगा। आपने कभी सोंचा है कि जहाँ पर ये सुनहरे अक्षर लिखे होते हैं क्या वहाँ सचमुच कार्य प्रगति पर होता है या कार्य ही प्रगति पर होता है?
मित्रों,हाजीपुर को ही लीजिए। यहाँ की गलियों में पिछले तीन-चार सालों से नाली-निर्माण का कार्य चल रहा था। तब जगह-जगह आपको ये शब्द पढ़ने को मिल जाते। लेकिन अब न तो नालियों का कहीं अता-पता है और न ही इन अतिप्रचलित शब्दों का। 80 करोड़ की नाली-निर्माण योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है। इसी बीच नगर-परिषद में नए चेयरमैन का आगमन हुआ। कुछ दिनों तक अखबारों में मोटे-मोटे अक्षरों में छपा कि नगर पार्षदों की बैठक में ठेकेदार कंपनी को डाँट सुनाई गई और चेतावनी के साथ काम जल्द-से-जल्द पूरा करने को कहा गया लेकिन जैसा कि शुरू से ही सरसरी निगाह से देखने से ही पता चल रहा था कि यह नाली कतई सफल नहीं होनेवाली है और नाली निर्माण के नाम पर पैसे नाली में बहाए जा रहे हैं आज कहीं भी पूरे हाजीपुर में उक्त निर्माण कंपनी द्वारा बनाई गई नालियों का कहीं नामो-निशान तक नहीं है।
मित्रों,इसी तरह से हाजीपुर में इन दिनों उसी तरह से लगातार सड़क बनते रहते हैं जैसे कि भारत की राजधानी दिल्ली में बनते रहते हैं। अंतर बस इतना है कि दिल्ली में दुरूस्त सड़कों को फिर से दुरूस्त किया जाता है जबकि हाजीपुर की सड़कें चूँकि पानी में घुलनशील होती हैं इसलिए हर साल बरसात के बाद विलुप्त हो जाती हैं। फिर से टेंडर,फिर से निर्माण और फिर से तख्ते पर वही ईबारत।
मित्रों,सवाल उठता है कि आखिर कब तक हम यूँ ही धीरे चलते रहेंगे प्रगति की प्रतीक्षा में? कब वास्तव में हमारा देश-प्रदेश प्रगति पर होगा? नहीं समझे क्या? मित्र,वास्तव में जब कार्य प्रगति पर होता है तो कार्य प्रगति पर होता ही नहीं है बल्कि भ्रष्टाचार प्रगति पर होता है। एक उदाहरण और ले लीजिए। अभी वैशाली जिले में बाढ़ आई हुई है। जिले के देसरी प्रखंड के भिखनपुरा पंचायत में राखी के आसपास की रात में बांध में रिसाव होने लगा। शायद चूहों की कारस्तानी थी। रात में कोई कहाँ जाता सरकार को ढूंढ़ने सो गाँव के लोगों ने खुद ही रातभर जगकर मिट्टी भर दिया। दिन निकलने के बाद गंडक प्रोजेक्ट के जूनियर इंजीनियर आए 80 हजार रुपये लेकर और अपने एक चहेते दलाल को बाँटने के लिए देकर चले गए। दलाल तो ठहरा दलाल और फिर पैसे के भी तो पाँव होते हैं सो पैसे लेकर रफूचक्कर हो गया। हालाँकि वहाँ किसी ने इस बात का बोर्ड नहीं लगाया था कि कार्य प्रगति पर है लेकिन फिर भी भ्रष्टाचार प्रगति पर था।
मित्रों,हमारे देश में हम जगे रहें या सोये,दिन हो या रात। हर समय भ्रष्टाचार प्रगति पर होता है क्योंकि हर समय कहीं-न-कहीं रोड-पुल-नाली-बांध-स्कूल-अन्य सरकारी भवन आदि बनता रहता है। वैसे भ्रष्टाचार तो हमारे भारत के नस-नस में है लेकिन पैसों का गबन यदि किसी क्षेत्र में सबसे ज्यादा होता है तो वो है यही आधारभूत संरचना का क्षेत्र। आपके राज्य में क्या हालत है पता नहीं लेकिन हमारे बिहार में तो इस क्षेत्र में सालोंभर मार्च लूट मची रहती है। कहने को तो बिहार में हर साल मई-जून तक भारी मात्रा में सड़कें-पुल बनाकर राज्य की जीडीपी में भारी वृद्धि कर दी जाती है। दावे किए जाते हैं कि बिहार प्रदेश नंबर वन बन गया है लेकिन जुलाई-अगस्त में वह जीडीपी बरसात के पानी में बह जाती है।
मित्रों,मेरी चुनौती है कि सब्सिडी-नरेगा-इंदिरा आवास का पैसा सीधे लाभान्वितों के खाते में डाल कर मोदी सरकार ने इन क्षेत्रों में तो भ्रष्टाचार को रोक दिया लेकिन अगर वो आधारभूत संरचना में लूट को रोक सके तो जानें। वैसे भी रोड-पुल-नाली-बांध-स्कूल-अन्य सरकारी भवनों का निर्माण राज्यों के अधिकार-क्षेत्र में आते हैं। वैसे जिन राज्यों में भाजपा की सरकार है वहाँ की वास्तविकता भी यही है कि भाजपा-शासित अधिकतर राज्यों में भ्रष्टाचार ही प्रगति पर है। हाँ,केद्र सरकार द्वारा हो रहे निर्माण-कार्यों में स्थिति जरूर अपेक्षाकृत अच्छी है।
मित्रों,हाजीपुर को ही लीजिए। यहाँ की गलियों में पिछले तीन-चार सालों से नाली-निर्माण का कार्य चल रहा था। तब जगह-जगह आपको ये शब्द पढ़ने को मिल जाते। लेकिन अब न तो नालियों का कहीं अता-पता है और न ही इन अतिप्रचलित शब्दों का। 80 करोड़ की नाली-निर्माण योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है। इसी बीच नगर-परिषद में नए चेयरमैन का आगमन हुआ। कुछ दिनों तक अखबारों में मोटे-मोटे अक्षरों में छपा कि नगर पार्षदों की बैठक में ठेकेदार कंपनी को डाँट सुनाई गई और चेतावनी के साथ काम जल्द-से-जल्द पूरा करने को कहा गया लेकिन जैसा कि शुरू से ही सरसरी निगाह से देखने से ही पता चल रहा था कि यह नाली कतई सफल नहीं होनेवाली है और नाली निर्माण के नाम पर पैसे नाली में बहाए जा रहे हैं आज कहीं भी पूरे हाजीपुर में उक्त निर्माण कंपनी द्वारा बनाई गई नालियों का कहीं नामो-निशान तक नहीं है।
मित्रों,इसी तरह से हाजीपुर में इन दिनों उसी तरह से लगातार सड़क बनते रहते हैं जैसे कि भारत की राजधानी दिल्ली में बनते रहते हैं। अंतर बस इतना है कि दिल्ली में दुरूस्त सड़कों को फिर से दुरूस्त किया जाता है जबकि हाजीपुर की सड़कें चूँकि पानी में घुलनशील होती हैं इसलिए हर साल बरसात के बाद विलुप्त हो जाती हैं। फिर से टेंडर,फिर से निर्माण और फिर से तख्ते पर वही ईबारत।
मित्रों,सवाल उठता है कि आखिर कब तक हम यूँ ही धीरे चलते रहेंगे प्रगति की प्रतीक्षा में? कब वास्तव में हमारा देश-प्रदेश प्रगति पर होगा? नहीं समझे क्या? मित्र,वास्तव में जब कार्य प्रगति पर होता है तो कार्य प्रगति पर होता ही नहीं है बल्कि भ्रष्टाचार प्रगति पर होता है। एक उदाहरण और ले लीजिए। अभी वैशाली जिले में बाढ़ आई हुई है। जिले के देसरी प्रखंड के भिखनपुरा पंचायत में राखी के आसपास की रात में बांध में रिसाव होने लगा। शायद चूहों की कारस्तानी थी। रात में कोई कहाँ जाता सरकार को ढूंढ़ने सो गाँव के लोगों ने खुद ही रातभर जगकर मिट्टी भर दिया। दिन निकलने के बाद गंडक प्रोजेक्ट के जूनियर इंजीनियर आए 80 हजार रुपये लेकर और अपने एक चहेते दलाल को बाँटने के लिए देकर चले गए। दलाल तो ठहरा दलाल और फिर पैसे के भी तो पाँव होते हैं सो पैसे लेकर रफूचक्कर हो गया। हालाँकि वहाँ किसी ने इस बात का बोर्ड नहीं लगाया था कि कार्य प्रगति पर है लेकिन फिर भी भ्रष्टाचार प्रगति पर था।
मित्रों,हमारे देश में हम जगे रहें या सोये,दिन हो या रात। हर समय भ्रष्टाचार प्रगति पर होता है क्योंकि हर समय कहीं-न-कहीं रोड-पुल-नाली-बांध-स्कूल-अन्य सरकारी भवन आदि बनता रहता है। वैसे भ्रष्टाचार तो हमारे भारत के नस-नस में है लेकिन पैसों का गबन यदि किसी क्षेत्र में सबसे ज्यादा होता है तो वो है यही आधारभूत संरचना का क्षेत्र। आपके राज्य में क्या हालत है पता नहीं लेकिन हमारे बिहार में तो इस क्षेत्र में सालोंभर मार्च लूट मची रहती है। कहने को तो बिहार में हर साल मई-जून तक भारी मात्रा में सड़कें-पुल बनाकर राज्य की जीडीपी में भारी वृद्धि कर दी जाती है। दावे किए जाते हैं कि बिहार प्रदेश नंबर वन बन गया है लेकिन जुलाई-अगस्त में वह जीडीपी बरसात के पानी में बह जाती है।
मित्रों,मेरी चुनौती है कि सब्सिडी-नरेगा-इंदिरा आवास का पैसा सीधे लाभान्वितों के खाते में डाल कर मोदी सरकार ने इन क्षेत्रों में तो भ्रष्टाचार को रोक दिया लेकिन अगर वो आधारभूत संरचना में लूट को रोक सके तो जानें। वैसे भी रोड-पुल-नाली-बांध-स्कूल-अन्य सरकारी भवनों का निर्माण राज्यों के अधिकार-क्षेत्र में आते हैं। वैसे जिन राज्यों में भाजपा की सरकार है वहाँ की वास्तविकता भी यही है कि भाजपा-शासित अधिकतर राज्यों में भ्रष्टाचार ही प्रगति पर है। हाँ,केद्र सरकार द्वारा हो रहे निर्माण-कार्यों में स्थिति जरूर अपेक्षाकृत अच्छी है।
1 टिप्पणी:
ये किस्तों में चलने वाला अनवरत भ्रष्टाचार है और जानबूझ कर चलने दिए जाने के लिए छोड़ दिया गया है । सामयिक सटीक और सार्थक पोस्ट
एक टिप्पणी भेजें