शनिवार, 21 अगस्त 2010
फील गुड की बीमारी अब यूपीए सरकार की बारी
कहते हैं कि जब चींटी की मौत आती है तब उसके पंख लग जाते हैं और जब सरकार को जाना होता है तब क्या होता है?जहाँ तक भारत का सवाल है तो यहाँ किसी भी सरकार के पतन का सबसे बड़ा लक्षण है उसका फील गुड का शिकार हो जाना.यह बीमारी ज्यादातर सरकारों को शासन के छठे वर्ष में होती है.वाजपेयी सरकार को भी हुई थी और अब शासन के छठे वर्ष में ही यू.पी.ए. सरकार को हुई है.इन दिनों सरकारी भोंपू आकाशवाणी पर एक गीत बार-बार गाया जा रहा है-
अब दुनिया में यही बस सुनात है कि देश हमार आगे जात है;
अब दुश्मन की भी क्या बिसात है कि देश हमार आगे जात है.
न जाने किस सूचकांक के आधार पर ऐसा दावा किया जा रहा है.तमाम विकास सूचकांकों में हम नीचे से प्रथम आनेवालों में से और ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की भ्रष्ट देशों की सूची में हम सबसे ऊपर से प्रथम आनेवालों में से हैं.कहीं यह फील गुड न्यूज़ वीक द्वारा हमारे सबसे अकर्मण्य और अक्षम लेकिन विद्वान प्रधानमंत्री को दुनिया का सबसे सम्मानित नेता बताने से तो नहीं उपजी है.पैसे की जरूरत सबको है,मीडिया कर्मियों और मीडिया संस्थानों को भी.हो सकता है कि मनमोहन जी के लिए यह सम्मान ख़रीदा गया हो.जहाँ तक इस गीत की दूसरी पंक्ति में दुश्मनों की बिसात की खिल्ली उडाई गई है तो इसे सरकार का बडबोलापन ही कहा जाना चाहिए क्योंकि इस सरकार से तो आतंरिक दुश्मन माओवादी ही नहीं संभल रहे और लगभग आधे भारत पर उनकी सत्ता चलती है.बाह्य शत्रु चीन लगातार घुसपैठ करता रहता है उसके आगे तो हमारी सरकार का मुंह तक नहीं खुलता,आँख मिलाने की बात तो दूर रही.लेकिन हमारी सरकार अपने से कई गुना मजबूत देश को शत्रु कैसे मान सकती है वो तो शायद नन्हे-मुन्ने पाकिस्तान की बात कर रही है लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि पाकिस्तान सालों से जो हमें आँखें दिखा रह है वह चीन के बल पर ही दिखा रहा है वरना पाकिस्तान तो कभी भारत के पासंग में था ही नहीं.जब अमेरिका ने पाकिस्तान को परमाणु समझौते से मना कर दिया तब भारत को चिढाने के लिए ही चीन ने उससे ऐसा समझौता किया.इसलिए इन दिनों आकाशवाणी से प्रसारित किया जा रहा यह गाना झूठ की नींव पर खड़े हवामहल के समान है और चुनाव तक अगर यही हाल रहा तो यह खुशफहमी चुनाव के बाद सरकार को कहीं की नहीं छोड़ेगी.इन दिनों फील गुड का गुण धारण करनेवाला एक और गाना सरकारी भोंपू यानी आकाशवाणी पर बज रहा है.गाने के बोल कुछ इस प्रकार हैं-
भारत निर्माण का सपना बुना,तरक्की हुई कई गुना.
कैसी तरक्की और किसकी तरक्की और कैसा सपना और किसका सपना.वाजपेयी सरकार ने जो आधारभूत संरचना विकसित करने का कार्य शुरू किया था उसे तो इस सरकार ने सत्ता में आते ही रद्दी की टोकरी में डाल दिया.हमारा पड़ोसी चीन इस मामले में हमसे मीलों ही नहीं कई हजार मील आगे जा चुका है.देश में आज भी बिजली की भारी कमी है और हम लगातार पंचवर्षीय योजनाओं में बिजली और कृषि सहित सभी क्षेत्रों में लक्ष्य प्राप्त करने में असफल हो रहे हैं.तरक्की हुई है तो कांग्रेस पार्टी के फंड में हुई है और इस मामले में वह बांकी दलों से काफी आगे है.सभी कांग्रेसियों के बीच गाड़ियों और पैसों की रेवड़ी बांटी जा रही है.हमारे उपनिषदों में एक कथा है जिसमें देवासुर संग्राम में विजयी होने के बाद देवता फीलगुड के शिकार हो गए और आमोद-प्रमोद में लिप्त हो गए.तब उन्हें जागृत करने के लिए ब्रह्म प्रकट हुए और देवताओं को उनके कर्तव्यों का भान कराया.आज कलियुग में सरकार का दिमाग ठिकाने लगाने के लिए ब्रह्म तो स्वयं आने से रहे लेकिन जनता सरकार को उसकी इस खुशफहमी के लिए जरूर दण्डित करेगी अगर हमारी सरकार तब तक फील गुड की खुमारी से बाहर नहीं आई तो.राजस्थान से इसकी शुरुआत हो भी चुकी है.
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें