मित्रों,हर अच्छे-बुरे आदमी का विरोध होता है,प्रत्येक उचित-अनुचित बात की निंदा भी की जाती है;अन्ना का भी हुआ और हो रहा है.लोकतंत्र का तो मतलब ही है विरोध करने की आजादी लेकिन यह आजादी तभी तक देय है जब तक कि विरोध अहिंसक हो.लोकतंत्र में विरोध का एकमात्र मतलब होता है तर्क द्वारा मतभिन्नता प्रदर्शित करना,अपने विचारों के माध्यम से विरोधी पर दबाव बनाना.विरोध का यह मतलब हरगिज नहीं होता कि जिससे आप सहमत नहीं हैं उसकी हत्या ही कर दें.परन्तु लोकतंत्र के ढाई-तीन सौ सालों के इतिहास में लिंकन,केनेडी,मार्टिन लूथर किंग,ओल्फ पाल्मे,अनवर सादात,इंदिरा गाँधी,राजीव गाँधी,प्रेमदास,जयवर्धने,शेख मुजीब,बुरहानुद्दीन रब्बानी जैसे सैंकड़ों ऐसे जननेता रहे हैं जिनकी संसार के अलग-अलग हिस्सों में समय-समय पर उनके धुर विरोधियों ने हत्या कर दी.
मित्रों,इन छोटी-सी सूची में मैंने महात्मा गाँधी को इसलिए स्थान नहीं दिया क्योंकि वे इन सबमें विशिष्ट थे.गाँधी ने कभी हिंसा को उचित नहीं माना और अहिंसा के बल पर ही मानव इतिहास के सबसे रक्तरंजित कालखंड में दुनिया की सबसे शक्तिशाली सत्ता से सफलतापूर्वक लोहा लिया.गाँधी के बारे में कभी किसी ने कल्पना तक नहीं की थी कि उनकी हत्या भी हो सकती है.गाँधी ने यह जानते हुए भी कि उनसे विचारधारात्मक मतभेद रखनेवाले लोग उनके खून के प्यासे हो रहे हैं कभी सरकारी सुरक्षा स्वीकार नहीं की.वे हमेशा लोगों से बेख़ौफ़ होकर मिलते रहे जिसका फायदा उठाया उन लोगों ने जो उनकी हत्या करना चाहते थे.गाँधी की हत्या से देश को कितना नुकसान हुआ आज हम इसका अच्छी तरह से मूल्यांकन कर सकते हैं.अगर हम सिर्फ सोंचने के लिए भी सोंचें तो अगर गाँधी की हत्या नहीं हुई होती तो शायद वर्तमान भारत की हालत इतनी बुरी नहीं होती.
मित्रों,दुर्भाग्यवश आज भारत फिर से उसी प्रस्थान बिंदु पर आ खड़ा हुआ है जहाँ वह ३० जनवरी,१९४८ को खड़ा था.दिल्ली पुलिस और इंटेलिजेंस ब्यूरो को ऐसी सूचनाएं मिल रही हैं कि कुछ अज्ञात लोग और संगठन देश के शुद्धिकरण में लगे अन्ना हजारे की हत्या की साजिश रच रहे हैं.अन्ना भी गाँधी की ही तरह अत्यंत सरल हैं और हर किसी को उपलब्ध हैं.ऐसे में कोई भी व्यक्ति भीड़ का हिस्सा बनकर उनके निकट पहुँच कर उन पर जानलेवा हमला कर सकता है.दिल्ली पुलिस को इस आशय का एक गुमनाम पत्र मिला है जिसमें धमकी दी गयी हैं कि अगर अन्ना ने अपनी गतिविधियों पर विराम नहीं लगाया तो ५०० युवाओं का ग्रुप उन पर एचआईवी संक्रमित सूईयों द्वारा रामलीला मैदान में प्रस्तावित अनशन के समय हमला कर सकता है.उधर सरकारी ख़ुफ़िया एजेंसी इंटेलिजेंस ब्यूरो के अनुसार आईएसआई ने भी अन्ना की हत्या की साजिश रची है और इस पापकर्म को अंजाम तक पहुँचाने की जिम्मेदारी सौंपी है पाकिस्तान के सबसे खतरनाक आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया मौलाना मसूद अजहर को.यह वही मौलाना अजहर है जिसको कंधार विमान अपहरण के समय यात्रियों के बदले रिहा किया गया था.इसी तरह के कुछ और भी संकेत मिले हैं जिनसे पता चलता है कि अन्ना की जान को वास्तव में खतरा है.
मित्रों,हो सकता है कि इस तरह के संकेत और ख़ुफ़िया चेतावनियाँ पूरी तरह से पुख्ता नहीं हों लेकिन हमारा देश अभी इस स्थिति में नहीं है कि वह अन्ना की जान को लेकर किसी भी तरह का जोखिम उठाए.अन्ना की जिंदगी अनमोल है क्योंकि देश की आजादी के बाद पहली बार हमारे देश को ऐसा नेतृत्व मिला है जिसके जुझारूपन और दृढ़ता के चलते भारतवासियों में व्यवस्था-परिवर्तन की उम्मीद जगी है.इसलिए टीम अन्ना और सरकार को अन्ना की अचूक सुरक्षा-व्यवस्था के लिए प्रयास करने चाहिए.साथ ही बेशक उनकी सुरक्षा-व्यवस्था बढ़ाई जानी चाहिए लेकिन इस बात का ख्याल रखते हुए कि इससे अन्ना को जनसाधारण के साथ सीधा संपर्क कायम करने में बाधा उत्पन्न नहीं हो.साथ ही हम सवा अरब भारतीयों की ओर से देश के भीतर और बाहर स्थित अन्ना और भारतवर्ष के दुश्मनों को यह भी बता देना चाहते हैं कि अब तक भारत की जो जनता सो रही थी अब वो जाग गयी है और अब पवित्र भारतभूमि से भ्रष्टाचार को मिटने से कोई भी नहीं रोक सकता,चाहे अन्ना हमारे समक्ष सशरीर उपस्थित रहें या न रहें.
मित्रों,इन छोटी-सी सूची में मैंने महात्मा गाँधी को इसलिए स्थान नहीं दिया क्योंकि वे इन सबमें विशिष्ट थे.गाँधी ने कभी हिंसा को उचित नहीं माना और अहिंसा के बल पर ही मानव इतिहास के सबसे रक्तरंजित कालखंड में दुनिया की सबसे शक्तिशाली सत्ता से सफलतापूर्वक लोहा लिया.गाँधी के बारे में कभी किसी ने कल्पना तक नहीं की थी कि उनकी हत्या भी हो सकती है.गाँधी ने यह जानते हुए भी कि उनसे विचारधारात्मक मतभेद रखनेवाले लोग उनके खून के प्यासे हो रहे हैं कभी सरकारी सुरक्षा स्वीकार नहीं की.वे हमेशा लोगों से बेख़ौफ़ होकर मिलते रहे जिसका फायदा उठाया उन लोगों ने जो उनकी हत्या करना चाहते थे.गाँधी की हत्या से देश को कितना नुकसान हुआ आज हम इसका अच्छी तरह से मूल्यांकन कर सकते हैं.अगर हम सिर्फ सोंचने के लिए भी सोंचें तो अगर गाँधी की हत्या नहीं हुई होती तो शायद वर्तमान भारत की हालत इतनी बुरी नहीं होती.
मित्रों,दुर्भाग्यवश आज भारत फिर से उसी प्रस्थान बिंदु पर आ खड़ा हुआ है जहाँ वह ३० जनवरी,१९४८ को खड़ा था.दिल्ली पुलिस और इंटेलिजेंस ब्यूरो को ऐसी सूचनाएं मिल रही हैं कि कुछ अज्ञात लोग और संगठन देश के शुद्धिकरण में लगे अन्ना हजारे की हत्या की साजिश रच रहे हैं.अन्ना भी गाँधी की ही तरह अत्यंत सरल हैं और हर किसी को उपलब्ध हैं.ऐसे में कोई भी व्यक्ति भीड़ का हिस्सा बनकर उनके निकट पहुँच कर उन पर जानलेवा हमला कर सकता है.दिल्ली पुलिस को इस आशय का एक गुमनाम पत्र मिला है जिसमें धमकी दी गयी हैं कि अगर अन्ना ने अपनी गतिविधियों पर विराम नहीं लगाया तो ५०० युवाओं का ग्रुप उन पर एचआईवी संक्रमित सूईयों द्वारा रामलीला मैदान में प्रस्तावित अनशन के समय हमला कर सकता है.उधर सरकारी ख़ुफ़िया एजेंसी इंटेलिजेंस ब्यूरो के अनुसार आईएसआई ने भी अन्ना की हत्या की साजिश रची है और इस पापकर्म को अंजाम तक पहुँचाने की जिम्मेदारी सौंपी है पाकिस्तान के सबसे खतरनाक आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया मौलाना मसूद अजहर को.यह वही मौलाना अजहर है जिसको कंधार विमान अपहरण के समय यात्रियों के बदले रिहा किया गया था.इसी तरह के कुछ और भी संकेत मिले हैं जिनसे पता चलता है कि अन्ना की जान को वास्तव में खतरा है.
मित्रों,हो सकता है कि इस तरह के संकेत और ख़ुफ़िया चेतावनियाँ पूरी तरह से पुख्ता नहीं हों लेकिन हमारा देश अभी इस स्थिति में नहीं है कि वह अन्ना की जान को लेकर किसी भी तरह का जोखिम उठाए.अन्ना की जिंदगी अनमोल है क्योंकि देश की आजादी के बाद पहली बार हमारे देश को ऐसा नेतृत्व मिला है जिसके जुझारूपन और दृढ़ता के चलते भारतवासियों में व्यवस्था-परिवर्तन की उम्मीद जगी है.इसलिए टीम अन्ना और सरकार को अन्ना की अचूक सुरक्षा-व्यवस्था के लिए प्रयास करने चाहिए.साथ ही बेशक उनकी सुरक्षा-व्यवस्था बढ़ाई जानी चाहिए लेकिन इस बात का ख्याल रखते हुए कि इससे अन्ना को जनसाधारण के साथ सीधा संपर्क कायम करने में बाधा उत्पन्न नहीं हो.साथ ही हम सवा अरब भारतीयों की ओर से देश के भीतर और बाहर स्थित अन्ना और भारतवर्ष के दुश्मनों को यह भी बता देना चाहते हैं कि अब तक भारत की जो जनता सो रही थी अब वो जाग गयी है और अब पवित्र भारतभूमि से भ्रष्टाचार को मिटने से कोई भी नहीं रोक सकता,चाहे अन्ना हमारे समक्ष सशरीर उपस्थित रहें या न रहें.
1 टिप्पणी:
आपका पोस्ट अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट "खुशवंत सिंह" पर आपकी प्रतिक्रियायों की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी । धन्यवाद ।
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