सोमवार, 25 मार्च 2013

मांगी सूचना मौत मिली


मित्रों,सुशासन की सरकार बिहार के निवासियों को सूचना का अधिकार अद्वितीय तरीके से प्रदान कर रही है। उनको सूचना मांगने का अनन्य अधिकार तो दे दिया गया है लेकिन सूचना पाने का अधिकार नहीं दिया गया है अलबत्ता कोई सूचनार्थी अगर सूचना मांगने की गुस्ताखी करने बावजूद जीवित या बिना जेल गए रह जाए तो उसे जरूर सुशासन का शुक्रगुजार होना चाहिए। इस बार सूचना मांगने की सजा पाई है एक अधिवक्ता रामकुमार ठाकुर ने। मुजफ्फरपुर जिले के मनियारी थाना के पुरुषोत्तमपुर गांव में शनिवार 23 मार्च की शाम घात लगाए अपराधियों ने जिले के रतनौली गांव निवासी सिविल कोर्ट के अधिवक्ता रामकुमार ठाकुर की गोली मारकर हत्या कर दी। अधिवक्ता रामकुमार ठाकुर ने अपने ही ग्रामीण रतनौली पंचायत के मुखिया राजकुमार सहनी से सरकारी योजनाओं की जानकारी आरटीआई से मांगने का अक्षम्य अपराध किया था। उम्मीद के मुताबिक ही सूचना उपलब्ध नहीं हुई थी। दैनिक जागरण,मुजफ्फरपुर के अनुसार अधिवक्ता बिहार मनरेगा वाच संगठन से भी जुड़े थे। मुखिया व उनके समर्थकों द्वारा कई बार उन्हें धमकी भी दी जा चुकी थी। जिसकी शिकायत थाने में भी की गई थी। लेकिन, थाना स्तर से उनके आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। अधिवक्ता ने अपनी सुरक्षा को लेकर पुलिस के वरीय अधिकारियों व मुख्यमंत्री तक को आवेदन दिया। कार्रवाई नहीं हुई और अंतत: वे अपराधियों के निशाने पर चढ़ गए। इतना ही नहीं थानेदार ने ईलाज के लिए ग्रामीणों द्वारा ले जाए जा रहे घायल अधिवक्ता को पुलिस जीप पर बिठा लिया और डेढ़ घंटा रास्ते में ही लगा दिया जिससे अधिवक्ता की जान चली गई।
                         मित्रों,बिहार में सुशासन किस तरह से काम कर रहा है मैं समझता हूँ कि यह उदाहरण देने के बाद बताने की आवश्यकता ही नहीं रह गई है। मैंने खुद भी कई-कई बार सूचना मांग कर देखा है मगर कभी मुझे सूचना प्राप्त नहीं हुई। मैं गारंटी के साथ नहीं कह सकता कि मुझ पर भी कभी जानलेवा हमला नहीं होगा या फिर मुझे कभी झूठे मुकदमे का सामना नहीं करना पड़ेगा। वास्तव में वर्तमान बिहार में लोकशाही का शासन है ही नहीं बल्कि नौकरशाही का निरंकुश शासन है जिस पर नियंत्रण करना न तो नीतीश कुमार उद्देश्य है और न तो अभीष्ट ही अर्थात् प्राथमिकता सूची में कहीं है ही नहीं।

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