12-06-2014,हाजीपुर,ब्रजकिशोर सिंह। मित्रों,इन दिनों यूपी की जो हालत
है उससे आप भी अच्छी तरह से वाकिफ हैं। चारों ओर कत्लो गारद और दंगे।
बलात्कारों की तो जैसे बाढ़ ही आ गई है। यहाँ तक कि पुलिसवाले भी इस
कुकृत्य को बखूबी अंजाम दे रहे हैं और राज्य के डीजीपी इसे रूटीन घटनाओं का
नाम दे रहे हैं। तो क्या पुलिसवाले भी बलात्कार करके उसी रूटीन को पूरा कर
रहे हैं? क्या बलात्कार करना पुलिसवालों की ड्यूटी में शामिल है?
मित्रों, अभी पढ़ने को मिला कि राज्य में यादव थानों पर डीजीपी भी हाथ नहीं डाल सकते क्योंकि तब उनको शिवपाल सिंह यादव की डाँट सुननी पड़ती है। यादव थानों का मतलब उन थानों से है जहाँ के थानेदार यादव हैं। जगह-जगह भाजपा कार्यकर्ताओँ को चुन-चुनकर मारा जा रहा है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो फिर कौन खुलकर भाजपा का झंडा उठाएगा?
मित्रों,कहने का मतलब है कि पूरे यूपी में कानून और संविधान का शासन समाप्त हो गया है और जंगलराज कायम हो गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि केंद्र की मोदी सरकार कब वहाँ राष्ट्रपति शासन लगाएगी और वहाँ की जनता को कंसों के शासन से मुक्ति दिलवाएगी? आखिर किस बात का इंतजार है उसे? अगर मोदी सरकार ने भी राज्यसभा में बहुमत के लिए मुलायम सिंह यादव ते घिनौने हाथों को थाम लिया है तो फिर यूपी की उस जनता का क्या होगा जो दुर्भाग्यवश जन्मना यादव नहीं है? माना कि अभी वहाँ की सरकार को आए दो साल ही हुए हैं लेकिन इतने दिनों में ही वहाँ जिस तरह के हालात बन गए हैं क्या ऐसे में वहाँ की सरकार को उसका कार्यकाल पूरा करने देना वहाँ की जनता के साथ अन्याय और अत्याचार नहीं होगा?
मित्रों,भारत का संविधान कहता है कि राज्यों में कानून और संविधान का शासन चल रहा है या नहीं देखना केंद्र सरकार का काम है। इस काम को पूरा करने के लिए संविधान ने उसे अनुच्छेद 355 और 356 के तहत व्यापक अधिकार दिए हैं। क्या मोदी सरकार को अपने संवैधानिक कर्त्तव्यों का पालन करते हुए राज्य में अविलंब राष्ट्रपति शासन नहीं लगा देना चाहिए? नरेंद्र मोदी ने बार-बार देश को सुशासन देने का वादा किया है फिर यूपी में राष्ट्रपति शासन लगाए बिना यूपी में सुशासन कैसे आएगा? क्या अपने उन कार्यकर्ताओं की रक्षा करना भारत के प्रधानमंत्री बन चुके नरेंद्र मोदी का कर्त्तव्य नहीं है जो अपनी पार्टी के विकास को कार्यकर्ताओं की 5 पीढ़ियों की शहादत और मेहनत का परिणाम बताते नहीं थकते?
(हाजीपुर टाईम्स पर भी प्रकाशित)
मित्रों, अभी पढ़ने को मिला कि राज्य में यादव थानों पर डीजीपी भी हाथ नहीं डाल सकते क्योंकि तब उनको शिवपाल सिंह यादव की डाँट सुननी पड़ती है। यादव थानों का मतलब उन थानों से है जहाँ के थानेदार यादव हैं। जगह-जगह भाजपा कार्यकर्ताओँ को चुन-चुनकर मारा जा रहा है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो फिर कौन खुलकर भाजपा का झंडा उठाएगा?
मित्रों,कहने का मतलब है कि पूरे यूपी में कानून और संविधान का शासन समाप्त हो गया है और जंगलराज कायम हो गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि केंद्र की मोदी सरकार कब वहाँ राष्ट्रपति शासन लगाएगी और वहाँ की जनता को कंसों के शासन से मुक्ति दिलवाएगी? आखिर किस बात का इंतजार है उसे? अगर मोदी सरकार ने भी राज्यसभा में बहुमत के लिए मुलायम सिंह यादव ते घिनौने हाथों को थाम लिया है तो फिर यूपी की उस जनता का क्या होगा जो दुर्भाग्यवश जन्मना यादव नहीं है? माना कि अभी वहाँ की सरकार को आए दो साल ही हुए हैं लेकिन इतने दिनों में ही वहाँ जिस तरह के हालात बन गए हैं क्या ऐसे में वहाँ की सरकार को उसका कार्यकाल पूरा करने देना वहाँ की जनता के साथ अन्याय और अत्याचार नहीं होगा?
मित्रों,भारत का संविधान कहता है कि राज्यों में कानून और संविधान का शासन चल रहा है या नहीं देखना केंद्र सरकार का काम है। इस काम को पूरा करने के लिए संविधान ने उसे अनुच्छेद 355 और 356 के तहत व्यापक अधिकार दिए हैं। क्या मोदी सरकार को अपने संवैधानिक कर्त्तव्यों का पालन करते हुए राज्य में अविलंब राष्ट्रपति शासन नहीं लगा देना चाहिए? नरेंद्र मोदी ने बार-बार देश को सुशासन देने का वादा किया है फिर यूपी में राष्ट्रपति शासन लगाए बिना यूपी में सुशासन कैसे आएगा? क्या अपने उन कार्यकर्ताओं की रक्षा करना भारत के प्रधानमंत्री बन चुके नरेंद्र मोदी का कर्त्तव्य नहीं है जो अपनी पार्टी के विकास को कार्यकर्ताओं की 5 पीढ़ियों की शहादत और मेहनत का परिणाम बताते नहीं थकते?
(हाजीपुर टाईम्स पर भी प्रकाशित)
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