हाजीपुर,ब्रजकिशोर सिंह। मित्रों,अब कुछ ही दिन बचे हैं जब भारत में
रक्तहीन क्रांति को हुए एक साल पूरे हो जाएंगे। एक साल पहले भारत ने
कांग्रेस की फूट डालो और शासन करो की नीति को पूरी तरह से नकारते हुए
नरेंद्र मोदी की सबका साथ सबका विकास की नीति पर अपनी मुहर लगाई थी।
मित्रों,दूसरी तरफ दिल्ली में केजरीवाल सरकार के सौ दिन भी दो-तीन दिन में ही पूरे हो जाएंगे। जहाँ नरेंद्र मोदी ने शपथ-ग्रहण से पहले ही काम करना शुरू कर दिया था वहीं दिल्ली में केजरीवाल सरकार के काम शुरू करने का अभी भी इंतजार हो रहा है। हम यह तो नहीं कह सकते कि मोदी सरकार ने एक साल में ही उतना काम कर दिया है जितना कि उसको 5 साल में करना था लेकिन हम यह जरूर दावे के साथ कह सकते हैं कि मोदी सरकार ने पिछले एक साल में उतना काम तो जरूर किया है जितना कि एक साल में कर पाना किसी भी सरकार के लिए संभव था और जब आगाज अच्छा होता है तो अंजाम भी अच्छा ही होता है।
मित्रों,आपको याद होगा कि मोदी सरकार ने पहला फैसला लिया था कालाधन पर एसआईटी के गठन का। फिर भारत के इतिहास में पहली बार मेक इन इंडिया अभियान का आगाज किया गया । फिर लाई गई प्रधानमंत्री जनधन योजना और तत्पश्चात् एलपीजी सब्सिडी को सीधे ग्राहकों के खातों में डालने की शुरुआत की गई। और अब लाई गई है 12 रुपये सालाना वाली लाजवाब प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना एवं प्रधानमंत्री जीवन सुरक्षा बीमा योजना । आगे उम्मीद की जानी चाहिए सारी सब्सिडी आधारित योजनाओं की सब्सिडी सीधे लाभान्वितों के खातों में डाल दी जाएगी और इस तरह दिल्ली से चला 1 रुपये में से 1 रुपया ही लाभुकों तक पहुँचेगा न कि 15 पैसे। इसी तरह ऐसी उम्मीद भी की जानी चाहिए कि निकट-भविष्य में पूरी सरकार हमारे मोबाईल में होगी,हमारी मुट्ठी में होगी। सबकुछ ऑटोमैटिक, न तो रिश्वत देनी पड़ेगी और न ही टेबुल-टेबुल दौड़ना ही पड़ेगा। जहाँ तक कालेधन का सवाल है तो संस्कृत का एक श्लोक तो आपने पढ़ा ही होगा कि पुस्तकेषु तु या विद्या परहस्तगतं धनं। आपतकाले समुत्पन्ने न सा विद्या न तद्धनमं।। इसलिए अगर मोदी सरकार देसी-विदेशी कालाधन के निर्माण पर ही रोक लगा दे तो देश का कायाकल्प हो जाएगा। इसके लिए आयकर विभाग को चुस्त-दुरूस्त बनाना होगा और आयकर अधिकारियों की सम्पत्ति की जाँच करवानी होगी और कदाचित सरकार ऐसा करेगी भी। इसके साथ ही कृषि को लाभकारी बनाने की दिशा में भी कई योजनाएँ बनाई जा रही हैं जिनको जल्दी ही लागू किया जाएगा। अगर भारत को विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में लाना है तो हमें कृषि को लाभकारी बनाने के साथ-साथ कृषि पर से जनसंख्या के भार को भी कम करना होगा और मोदी सरकार की महत्त्वाकांक्षी योजना मेक इन इंडिया इसी दिशा में किया जा रहा सार्थक प्रयास है।
मित्रों,जहाँ सोनिया-मनमोहन-राहुल की सरकार इसलिए चर्चा में रहती थी क्योंकि उसमें रोज ही कोई-न-कोई घोटाला होता था वहीं आज विपक्ष शोर मचा रहा है सरकार के मुखिया नरेंद्र मोदी के कपड़ों को लेकर। बेचारे करें तो क्या करें सरकार के खिलाफ और कोई मुद्दा मिल भी तो नहीं रहा। हल्ला भी एक ऐसे नेता के कपड़ों को लेकर किया जा रहा है जो हर साल अपने कपड़ों की नीलामी का आयोजन करता है और उससे होनेवाली आय को हर साल सरकारी खजाने में जमा कर देता है। भारत के किसी भी अन्य नेता ने कभी ऐसा किया था क्या?
मित्रों,एक और कारण से मोदी सरकार के खिलाफ हल्ला मचाया जा रहा है और वह है भूमि अधिग्रहण बिल। आरोप लगाया जा रहा है कि मोदी सरकार किसान-विरोधी है और किसानों की जमीनों को छीनकर राबर्ट वाड्राओं और जिंदलों को सौंप देगी। आश्चर्य तो इस बात को लेकर है कि आरोप लगानेवाले वही लोग हैं जिन्होंने पिछले 50 सालों में किसानों की जमीनों को मनमानी शर्तों पर बिना कुछ दिए छीनने का काम किया है और वाड्राओं और जिंदलों को देने का काम किया है। केंद्र सरकार आश्वस्त कर रही है कि अधिगृहित भूमि सरकार के पास ही रहेगी,पहली बार प्रभावित किसानों को चार गुना मुआवजा दिया जाएगा और देश के इतिहास में पहली बार नौकरी भी दी जाएगी फिर भी चोर शोर मचा रहे हैं। वास्तव में ये लोग चाहते ही नहीं हैं कि देश का विकास हो और इनक्रेडिबल इंडिया वास्तव में इनक्रेडिबल इंडिया बने। नई सड़कों,नए उद्योगों,पावर-प्लांटों,रेलवे-लाइनों के लिए जमीन के अधिग्रहण की आवश्यकता है और विपक्ष नहीं चाहता कि मोदी सरकार भारत की आधारभूत संरचना का विकास करे,भारत को उत्पादन में,जीडीपी में दुनिया में नंबर एक बनाए जैसे कि भारत 1813 ईस्वी तक था। हम उम्मीद करते हैं कि चालू वित्त वर्ष में मोदी सरकार बहुत जल्दी किसी-न-किसी तरह भूमि अधिग्रहण बिल को संसद से पारित करवा लेगी और वास्तविक भारत के निर्माण की दिशा में रॉकेट की गति से अग्रसर होगी। मोदी सरकार को यह बात समझ लेनी चाहिए कि चाहे उनका मूलमंत्र सबका साथ सबका विकास कितना ही पवित्र क्यों न हो उनके मार्ग में,यज्ञ में राष्ट्रीय और वैश्विक दोनों स्तर पर कुछ राहु(ल)-केतु हमेशा विघ्न डालते ही रहेंगे।
मित्रों,अब बात करते हैं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में सौ दिन पूरे करनेवाली केजरीवाल सरकार की जिसने वेलेन्टाईन दिवस को पदभार संभाला था। पिछले सौ दिनों अगर इस सरकार ने कुछ किया है तो बस रायता फैलाने का काम किया है। पहले आपस में ही झगड़ने का काम किया और अब संविधान और केंद्र सरकार से झगड़ा कर रही है। हमने विधानसभा चुनावों के समय दिल्ली की जनता को इसकी बाबत सचेत भी किया था लेकिन जनता ने हमारी नहीं सुनी और एक ऐसी सरकार चुनी जो सरकार है ही नहीं बल्कि अराजकतावादियों का जमघट है फर्जी डिग्रीवाले फर्जी लोगों की भीड़ है। जिसके लिए कसमें वादे प्यार वफा सब बातें हैं और बातों का क्या! केजरी सर के लिए न तो कसमों का कोई मोल है,न ही पुराने साथियों का और न तो चुनावी वादों का ही। केजरी बाबू तो यही चाहते हैं कि उनके मन-मुताबिक फिर से भारत के संविधान का निर्माण हो जिसके अनुसार राबर्ट मुगाबे,किंग जोंग इल या सद्दाम हुसैन के चुनावों की तरह प्रधानमंत्री-राष्ट्रपति पद के लिए सीधा चुनाव हो और उस चुनाव में राबर्ट मुगाबे,किंग जोंग इल या सद्दाम हुसैन के चुनावों की तरह केवल केजरी सर ही उम्मीदवार हों।
(हाजीपुर टाईम्स पर प्रकाशित)
मित्रों,दूसरी तरफ दिल्ली में केजरीवाल सरकार के सौ दिन भी दो-तीन दिन में ही पूरे हो जाएंगे। जहाँ नरेंद्र मोदी ने शपथ-ग्रहण से पहले ही काम करना शुरू कर दिया था वहीं दिल्ली में केजरीवाल सरकार के काम शुरू करने का अभी भी इंतजार हो रहा है। हम यह तो नहीं कह सकते कि मोदी सरकार ने एक साल में ही उतना काम कर दिया है जितना कि उसको 5 साल में करना था लेकिन हम यह जरूर दावे के साथ कह सकते हैं कि मोदी सरकार ने पिछले एक साल में उतना काम तो जरूर किया है जितना कि एक साल में कर पाना किसी भी सरकार के लिए संभव था और जब आगाज अच्छा होता है तो अंजाम भी अच्छा ही होता है।
मित्रों,आपको याद होगा कि मोदी सरकार ने पहला फैसला लिया था कालाधन पर एसआईटी के गठन का। फिर भारत के इतिहास में पहली बार मेक इन इंडिया अभियान का आगाज किया गया । फिर लाई गई प्रधानमंत्री जनधन योजना और तत्पश्चात् एलपीजी सब्सिडी को सीधे ग्राहकों के खातों में डालने की शुरुआत की गई। और अब लाई गई है 12 रुपये सालाना वाली लाजवाब प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना एवं प्रधानमंत्री जीवन सुरक्षा बीमा योजना । आगे उम्मीद की जानी चाहिए सारी सब्सिडी आधारित योजनाओं की सब्सिडी सीधे लाभान्वितों के खातों में डाल दी जाएगी और इस तरह दिल्ली से चला 1 रुपये में से 1 रुपया ही लाभुकों तक पहुँचेगा न कि 15 पैसे। इसी तरह ऐसी उम्मीद भी की जानी चाहिए कि निकट-भविष्य में पूरी सरकार हमारे मोबाईल में होगी,हमारी मुट्ठी में होगी। सबकुछ ऑटोमैटिक, न तो रिश्वत देनी पड़ेगी और न ही टेबुल-टेबुल दौड़ना ही पड़ेगा। जहाँ तक कालेधन का सवाल है तो संस्कृत का एक श्लोक तो आपने पढ़ा ही होगा कि पुस्तकेषु तु या विद्या परहस्तगतं धनं। आपतकाले समुत्पन्ने न सा विद्या न तद्धनमं।। इसलिए अगर मोदी सरकार देसी-विदेशी कालाधन के निर्माण पर ही रोक लगा दे तो देश का कायाकल्प हो जाएगा। इसके लिए आयकर विभाग को चुस्त-दुरूस्त बनाना होगा और आयकर अधिकारियों की सम्पत्ति की जाँच करवानी होगी और कदाचित सरकार ऐसा करेगी भी। इसके साथ ही कृषि को लाभकारी बनाने की दिशा में भी कई योजनाएँ बनाई जा रही हैं जिनको जल्दी ही लागू किया जाएगा। अगर भारत को विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में लाना है तो हमें कृषि को लाभकारी बनाने के साथ-साथ कृषि पर से जनसंख्या के भार को भी कम करना होगा और मोदी सरकार की महत्त्वाकांक्षी योजना मेक इन इंडिया इसी दिशा में किया जा रहा सार्थक प्रयास है।
मित्रों,जहाँ सोनिया-मनमोहन-राहुल की सरकार इसलिए चर्चा में रहती थी क्योंकि उसमें रोज ही कोई-न-कोई घोटाला होता था वहीं आज विपक्ष शोर मचा रहा है सरकार के मुखिया नरेंद्र मोदी के कपड़ों को लेकर। बेचारे करें तो क्या करें सरकार के खिलाफ और कोई मुद्दा मिल भी तो नहीं रहा। हल्ला भी एक ऐसे नेता के कपड़ों को लेकर किया जा रहा है जो हर साल अपने कपड़ों की नीलामी का आयोजन करता है और उससे होनेवाली आय को हर साल सरकारी खजाने में जमा कर देता है। भारत के किसी भी अन्य नेता ने कभी ऐसा किया था क्या?
मित्रों,एक और कारण से मोदी सरकार के खिलाफ हल्ला मचाया जा रहा है और वह है भूमि अधिग्रहण बिल। आरोप लगाया जा रहा है कि मोदी सरकार किसान-विरोधी है और किसानों की जमीनों को छीनकर राबर्ट वाड्राओं और जिंदलों को सौंप देगी। आश्चर्य तो इस बात को लेकर है कि आरोप लगानेवाले वही लोग हैं जिन्होंने पिछले 50 सालों में किसानों की जमीनों को मनमानी शर्तों पर बिना कुछ दिए छीनने का काम किया है और वाड्राओं और जिंदलों को देने का काम किया है। केंद्र सरकार आश्वस्त कर रही है कि अधिगृहित भूमि सरकार के पास ही रहेगी,पहली बार प्रभावित किसानों को चार गुना मुआवजा दिया जाएगा और देश के इतिहास में पहली बार नौकरी भी दी जाएगी फिर भी चोर शोर मचा रहे हैं। वास्तव में ये लोग चाहते ही नहीं हैं कि देश का विकास हो और इनक्रेडिबल इंडिया वास्तव में इनक्रेडिबल इंडिया बने। नई सड़कों,नए उद्योगों,पावर-प्लांटों,रेलवे-लाइनों के लिए जमीन के अधिग्रहण की आवश्यकता है और विपक्ष नहीं चाहता कि मोदी सरकार भारत की आधारभूत संरचना का विकास करे,भारत को उत्पादन में,जीडीपी में दुनिया में नंबर एक बनाए जैसे कि भारत 1813 ईस्वी तक था। हम उम्मीद करते हैं कि चालू वित्त वर्ष में मोदी सरकार बहुत जल्दी किसी-न-किसी तरह भूमि अधिग्रहण बिल को संसद से पारित करवा लेगी और वास्तविक भारत के निर्माण की दिशा में रॉकेट की गति से अग्रसर होगी। मोदी सरकार को यह बात समझ लेनी चाहिए कि चाहे उनका मूलमंत्र सबका साथ सबका विकास कितना ही पवित्र क्यों न हो उनके मार्ग में,यज्ञ में राष्ट्रीय और वैश्विक दोनों स्तर पर कुछ राहु(ल)-केतु हमेशा विघ्न डालते ही रहेंगे।
मित्रों,अब बात करते हैं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में सौ दिन पूरे करनेवाली केजरीवाल सरकार की जिसने वेलेन्टाईन दिवस को पदभार संभाला था। पिछले सौ दिनों अगर इस सरकार ने कुछ किया है तो बस रायता फैलाने का काम किया है। पहले आपस में ही झगड़ने का काम किया और अब संविधान और केंद्र सरकार से झगड़ा कर रही है। हमने विधानसभा चुनावों के समय दिल्ली की जनता को इसकी बाबत सचेत भी किया था लेकिन जनता ने हमारी नहीं सुनी और एक ऐसी सरकार चुनी जो सरकार है ही नहीं बल्कि अराजकतावादियों का जमघट है फर्जी डिग्रीवाले फर्जी लोगों की भीड़ है। जिसके लिए कसमें वादे प्यार वफा सब बातें हैं और बातों का क्या! केजरी सर के लिए न तो कसमों का कोई मोल है,न ही पुराने साथियों का और न तो चुनावी वादों का ही। केजरी बाबू तो यही चाहते हैं कि उनके मन-मुताबिक फिर से भारत के संविधान का निर्माण हो जिसके अनुसार राबर्ट मुगाबे,किंग जोंग इल या सद्दाम हुसैन के चुनावों की तरह प्रधानमंत्री-राष्ट्रपति पद के लिए सीधा चुनाव हो और उस चुनाव में राबर्ट मुगाबे,किंग जोंग इल या सद्दाम हुसैन के चुनावों की तरह केवल केजरी सर ही उम्मीदवार हों।
(हाजीपुर टाईम्स पर प्रकाशित)
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