गुरुवार, 27 अगस्त 2015

कौन कहता है बिहार बीमारू राज्य नहीं है?

हाजीपुर,ब्रजकिशोर सिंह। मित्रों,एक समय था जब भारत के अर्थशास्त्री बिहार,मध्य प्रदेश,राजस्थान और उत्तर प्रदेश को भारत की अर्थव्यवस्था के लिए बोझ मानते थे और इनको इकट्ठे बीमारू राज्य कहा करते थे। राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्य अब दावा करने लगे हैं कि वे बीमारू नहीं रहे लेकिन आश्चर्य की बात तो यह है कि ठीक ऐसा ही दावा इन दिनों बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी बिहार के बारे में कर रहे हैं। शायद इसी तरह के घटनाक्रम में कभी यह कहावत बनी थी कि जब सारी लड़कियाँ नृत्य करने लगीं तो लंगड़ी-लूली ने कहा कि इनसे अच्छा नृत्य तो वो कर लेती है।
खैर,अब नीतीश कुमार उर्फ बिहार कुमार (कृपया इस नामकरण को मनोज कुमार उर्फ भारत कुमार के प्रसंग से जोड़कर न देखें ) को जो दावा करना था उन्होंने कर लिया,दस साल तक जो हवाबाजी करनी थी कर ली। हवाबाजी में तो पूरी वसुधा पर उनका कोई जोड़ ही नहीं है। लेकिन क्या नीतीश कुमार जी बताएंगे कि बिहार बीमारू राज्य कैसे नहीं रहा? जहाँ भारत की प्रति व्यक्ति औसत आय 80388 रुपया है वहीं बिहार की प्रति व्यक्ति औसत आय 31229 रुपया है। जहाँ बिहार में बिजली की प्रति व्यक्ति खपत 144 किलोवाट प्रति घंटा है. वहीं देश में औसतन प्रति व्यक्ति बिजली की खपत 927 किलोवाट प्रति घंटा है। जहाँ राज्य की साक्षरता का औसत है 63.8 फीसदी है वहीं राष्ट्रीय औसत 74 फीसदी।  जहाँ बिहार में 43.85 फीसदी लोग अनपढ़ हैं वहीं देश का औसत 35.73 फीसदी है। जहाँ बिहार के 70 फीसदी ग्रामीण परिवार दिहाड़ी मजदूर हैं, वहीं देश का औसत 51 फीसदी है। जहाँ भारत में सिंचित क्षेत्र का औसर 28 प्रतिशत है वहीं कृषि योग्य कुल 93.6 लाख हेक्टेयर भूमि में से मात्र 15 लाख हेक्टेयर भूमि ही वास्तविक रूप से सिंचित है। आज नीतीश कुमार उर्फ बिहार कुमार बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं तो लगे हाथ वे यह भी बता दें कि आज उनके दस साल के शासन के बाद भी राज्य में कितने प्रतिशत सरकारी नलकूप चालू अवस्था में हैं? जहाँ भारत में गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर करनेवाले लोगों की संख्या जहाँ 36 प्रतिशत वहीं बिहार में आजादी के 70 साल बाद भी 55 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं और जहालत और जलालत की जिंदगी जी रहे हैं।
मित्रों,अब बात करते हैं उद्योगों की। बिहार में देश की आबादी 9 प्रतिशत है जबकि राज्य के कारखानों से रोजगार पाने वाले लोगों की संख्या एक प्रतिशत से भी कम है। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रलय की एक रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में 1.79 लाख कारखाने हैं जिनमें से बिहार में मात्र तीन हजार कारखाने ही हैं। बिहार में एक कारखाने से औसतन 40 लोगों को रोजगार मिल रहा है जबकि देश में यह औसत 72 है। राज्य में एक भी ऐसा कारखाना नहीं है जो 2,000 से अधिक लोगों को रोजगार देता हो। प्रदेश में जो भी कारखाने हैं उनमें से आधे ऐसे हैं जिनमें 15 से कम लोगों को रोजगार मिलता है। मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में बिहार में बरौनी रिफाइनरी ही प्रमुख औद्योगिक इकाई है। इसके अलावा छिटपुट खाद्य उत्पाद बनाने वाली इकाइयां हैं और नीतीश कुमार हैं कि बिहार को बीमारू मानने को तैयार ही नहीं हैं। जो राज्य पूरे देश में सबसे पिछड़ा है अगर उसे बीमारू नहीं कहा जाएगा तो क्या महाराष्ट्र,गुजरात और पंजाब को बीमारू कहा जाएगा? कुछ क्षेत्र जैसे शिक्षा ऐसे भी हैं जिनमें बिहार की स्थिति लालू-राबड़ी के आतंक-राज के मुकाबले और खराब ही हुई है। भले ही बिहार में साक्षर लोगों की संख्या बढ़ी है लेकिन सरकारी स्कूल-कॉलेजों में शिक्षा का स्तर गिरा ही है।
मित्रों,हम नीतीश कुमार उर्फ बिहार कुमार जी से सविनय निवेदन करते हैं कि वे बिहार की हकीकत को देखते हुए मान लें कि बिहार आज से 25-30 साल पहले भी बीमारू था और आज भी बीमारू है। उनके जिद पकड़ने से सत्य और तथ्य बदल नहीं जाएगा। बिहार अधिकांश क्षेत्रों में 5-6 दशक पहले भी नीचे से अव्वल था और आज भी है लेकिन नीतीश कुमार जी को गांठ बांध लेनी चाहिए कि आगे ऐसा नहीं होगा। बिहार अब जाग चुका है और जनता परिवार कैसे बिहार को खंता (गड्ढे ) में फेंक देना चाहती समझ चुका है। अब बिहार नीचे से अव्वल नहीं ऊपर से अव्वल बनना चाहता है। बिहार को अब लालटेन की रोशनी और तीर-धनुष का युग नहीं चाहिए और न ही भारत-विरोधी खूनी पंजा चाहिए बल्कि अब हर बिहारी को विकास चाहिए,24 घंटे बिजली चाहिए,हर खेत को पानी चाहिए,हर हाथ को बिहार में ही काम चाहिए,हर बच्चे को साईकिल और पैसे के बदले बेहतरीन शिक्षा चाहिए,दिवाला नहीं दिवाली चाहिए,कमल पर सवार लक्ष्मी चाहिए।

हाजीपुर टाईम्स पर भी प्रकाशित

2 टिप्‍पणियां:

indian matrimony ने कहा…

abhi india ko bahut kaam karna hai ..asli vikas tab hoga jab har bhukhe ko khana aur har insan ke pas apna ghar aur tan dhakne ke liye kapda ho ...

indian matrimony ने कहा…

india ko abhi bahut kaam karna hai ...jab tak ki har insan ke pass roti kapda aur makan na ho jaye...