हाजीपुर,ब्रजकिशोर सिंह। मित्रों,जब लोकसभा का चुनाव-प्रचार चल रहा था तब
नरेंद्र मोदी अक्सर कहा करते थे कि मेरे हिसाब से पानी से आधा भरा गिलास
पूरा भरा हुआ है यानि कि नरेंद्र मोदी जी सुपर आशावादी हैं लेकिन बिहार की
दो रैलियों में नरेंद्र मोदी जी ने जो भाषण दिया है वह कदापि उनके इस पूर्व
के बयान का समर्थन नहीं करता। उनके दोनों ही भाषणों में घबराहट है,पराजय
का भय है मगर आत्मविश्वास नहीं है। मैं यह नहीं कहता कि मोदी का गिलास पूरी
तरह से खाली है लेकिन आधा खाली तो जरूर है।
मित्रों,इन दोनों ही भाषणों में वही गलती की है जो कभी उन्होंने दिल्ली में केजरीवाल को अराजकतावादी और धरना विशेषज्ञ बताकर किया था। सकारात्मक सोंचवाले लोग दूसरों की आलोचना करने में समय बर्बाद नहीं करते बल्कि जनता को यह बताते हैं कि वे राज्य को क्या देने जा रहे हैं या उनकी झोली में राज्य के लिए कौन-कौन सी योजनाएँ हैं। मगर बिहार में मोदी जी ने अपने दोनों ही भाषणों में गाली-गलौज ही ज्यादा की है। शायद मोदी जी को पता नहीं है कि बिहार में गाली-गलौज को कितना बुरा माना जाता है और अक्सर गाली-गलौज के चलते हत्या तक हो जाया करती है। इसलिए उनको जो भी बोलना चाहिए जुबान संभाल के बोलना चाहिए अन्यथा भगवान न करे उनको एक बार फिर से दिल्ली का अनुभव करना पड़ सकता है। अगर ऐसा होता है तो वो भारत के पीएम के लिए तो झटका होगा ही बिहार की जनता के लिए भी दुःस्वप्न के समान होगा और बर्बाद बिहार और भी बर्बाद हो जाएगा।
मित्रों,इसलिए हम नरेंद्र मोदी जी से अनुरोध करते हैं कि जब वे अगली बार बिहार आएँ तो पूरी तरह भरे गिलासवाला भाषण दें। जनता को गठबंधन और गठबंधन करनेवालों की हकीकत पता है और उनसे ज्यादा पता है इसलिए आपादमस्तक कीचड़ में डूबे लोगों पर ढेला फेंकने की कोई जरुरत नहीं है बल्कि उनको सिर्फ यह बताना चाहिए कि वे बिहार के लिए क्या करने जा रहे हैं और इसके लिए उनके पास किस तरह की योजनाएँ हैं। मोदी जी पहले अपने मन में विश्वास उत्पन्न करें कि विकास के मुद्दे पर भी चुनाव जीते जा सकते हैं जनता खुद ही उनपर विश्वास कर लेगी। भयभीत व्यक्ति कभी जंग नहीं जीतते क्योंकि घबराहट बुद्धि और प्रतिउत्पन्नमतित्व को नष्ट कर देती है। कभी-कभी अतिआत्मविश्वास भी नुकसानदेह होता है क्योंकि वो आदमी को लापरवाह बना देता है।
हाजीपुर टाईम्स पर भी प्रकाशित
मित्रों,इन दोनों ही भाषणों में वही गलती की है जो कभी उन्होंने दिल्ली में केजरीवाल को अराजकतावादी और धरना विशेषज्ञ बताकर किया था। सकारात्मक सोंचवाले लोग दूसरों की आलोचना करने में समय बर्बाद नहीं करते बल्कि जनता को यह बताते हैं कि वे राज्य को क्या देने जा रहे हैं या उनकी झोली में राज्य के लिए कौन-कौन सी योजनाएँ हैं। मगर बिहार में मोदी जी ने अपने दोनों ही भाषणों में गाली-गलौज ही ज्यादा की है। शायद मोदी जी को पता नहीं है कि बिहार में गाली-गलौज को कितना बुरा माना जाता है और अक्सर गाली-गलौज के चलते हत्या तक हो जाया करती है। इसलिए उनको जो भी बोलना चाहिए जुबान संभाल के बोलना चाहिए अन्यथा भगवान न करे उनको एक बार फिर से दिल्ली का अनुभव करना पड़ सकता है। अगर ऐसा होता है तो वो भारत के पीएम के लिए तो झटका होगा ही बिहार की जनता के लिए भी दुःस्वप्न के समान होगा और बर्बाद बिहार और भी बर्बाद हो जाएगा।
मित्रों,इसलिए हम नरेंद्र मोदी जी से अनुरोध करते हैं कि जब वे अगली बार बिहार आएँ तो पूरी तरह भरे गिलासवाला भाषण दें। जनता को गठबंधन और गठबंधन करनेवालों की हकीकत पता है और उनसे ज्यादा पता है इसलिए आपादमस्तक कीचड़ में डूबे लोगों पर ढेला फेंकने की कोई जरुरत नहीं है बल्कि उनको सिर्फ यह बताना चाहिए कि वे बिहार के लिए क्या करने जा रहे हैं और इसके लिए उनके पास किस तरह की योजनाएँ हैं। मोदी जी पहले अपने मन में विश्वास उत्पन्न करें कि विकास के मुद्दे पर भी चुनाव जीते जा सकते हैं जनता खुद ही उनपर विश्वास कर लेगी। भयभीत व्यक्ति कभी जंग नहीं जीतते क्योंकि घबराहट बुद्धि और प्रतिउत्पन्नमतित्व को नष्ट कर देती है। कभी-कभी अतिआत्मविश्वास भी नुकसानदेह होता है क्योंकि वो आदमी को लापरवाह बना देता है।
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