मित्रों,महाभारत की लड़ाई अंतिम खंड में थी। महारथी कर्ण और अर्जुन आमने-सामने थे। तभी अर्जुन ने भयंकर वाणों का प्रयोग कर कर्ण के रथ को कई योजन पीछे पटक दिया। मगर अर्जुन के सारथी श्रीकृष्ण निश्चल बने रहे। जवाब में कर्ण ने भी वाण चलाए और अर्जुन के रथ को कुछेक अंगुल पीछे कर दिया। मगर यह क्या! श्रीकृष्ण कर्ण के इस कृत्य पर बाँसों उछलने लगे और उसकी तारीफ के पुल बांध दिए। अर्जुन हतप्रभ। पूछ ही तो दिया। ऐसा क्यों माधव? श्रीकृष्ण ने कहा कि तुम्हारे रथ की पताका पर रूद्रावतार हनुमान विराजमान हैं और मैं खुद भी तीनों लोकों का भार लेकर बैठा हूँ। फिर भी महावीर कर्ण ने तुम्हारे रथ को कई अंगुल पीछे धकेल दिया।
मित्रों,हमारे महान लालूजी का महान परिवार इन दिनों खासे उत्साह में हैं। वे यह नहीं समझ पा रहे हैं कि गुजरात अर्जुन का रथ है और बिहार कर्ण का। गुजरात पहले ही विकास कर चुका है और संतृप्तावस्था को प्राप्त कर चुका है जबकि बिहार ने अभी विकास का ककहरा पढ़ना शुरू ही किया है। शून्य के मुकाबले 1 अनन्त गुना होता है जबकि 1 के मुकाबले दो सिर्फ दोगुना। तो क्या शून्य से 1 प्रतिशत पर पहुँचनेवाला राज्य यह कहेगा कि हमने पिछले साल के मुकाबले इस साल अनन्त गुना विकासदर प्राप्त कर लिया है? खैर,5 बार मैट्रिक में फेल लालू और उनके नौवीं फेल बच्चे अगर ऐसा करें भी तो इसमें उनका क्या दोष?
मित्रों,समय और दूरी में आपने पढ़ा होगा कि एक कार इतने किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलना शुरू करती है। इतने घंटे बाद दूसरी कार इतने किमी प्रति घंटे की गति से उसका पीछा करना शुरू करती है तो दूसरी कार पहली कार को कितने घंटे में पकड़ लेगी। गुजरात काफी पहले से विकास के पथ पर सरपट दौड़ रहा है जबकि बिहार ने कथित रूप से अब दौड़ना शुरू किया है। बिहार प्रति व्यक्ति आय में 34 हजार रूपये प्रति वर्ष के साथ अभी भी सबसे पीछे है। अभी तो उसको भारत के सबसे पिछड़े राज्यों को ही पीछे करने में कई दशक लगनेवाले हैं। अभी तो उसको भारत की प्रति व्यक्ति राष्ट्रीय औसत आय 72889 रूपये तक पहुँचने में ही कई दशक लग जानेवाले हैं फिर देश के अग्रणी राज्यों को पीछे छोड़ने की तो बात ही दूर है। हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि जनसंख्या-घनत्व और जनसंख्या वृद्धि में बिहार देश में सबसे आगे है। इसलिए कुल जीडीपी बढ़ने का यह मतलब कदापि नहीं लगाया जाना चाहिए कि बिहार की प्रति व्यक्ति आय भी उसी दर से बढ़ रही है।
मित्रों,बिहार प्रति व्यक्ति औसत आय के मामले में तब सबसे पीछे से आगे बढेगा जबकि बिहार सरकार द्वारा तैयार किए गए विकास दर के आंकड़े सही हों। बिहार में धरातल पर जो कुछ घटित हो रहा है उससे तो ऐसा नहीं लगता कि बिहार की जीडीपी इतनी तेज गति से बढ़ रही है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जो लोग बाईक पर भैंस को ढो सकते हैं उनके लिए आंकड़ों में हेरा-फेरी करना कौन-सी बड़ी बात है। यहाँ हम आपको बता दें कि जीडीपी विकास दर के आंकड़े राज्य खुद तैयार करते हैं राष्ट्रीय सांख्यिकी संगठन सिर्फ उन पर मुहर लगाता है।
मित्रों,हमारे महान लालूजी का महान परिवार इन दिनों खासे उत्साह में हैं। वे यह नहीं समझ पा रहे हैं कि गुजरात अर्जुन का रथ है और बिहार कर्ण का। गुजरात पहले ही विकास कर चुका है और संतृप्तावस्था को प्राप्त कर चुका है जबकि बिहार ने अभी विकास का ककहरा पढ़ना शुरू ही किया है। शून्य के मुकाबले 1 अनन्त गुना होता है जबकि 1 के मुकाबले दो सिर्फ दोगुना। तो क्या शून्य से 1 प्रतिशत पर पहुँचनेवाला राज्य यह कहेगा कि हमने पिछले साल के मुकाबले इस साल अनन्त गुना विकासदर प्राप्त कर लिया है? खैर,5 बार मैट्रिक में फेल लालू और उनके नौवीं फेल बच्चे अगर ऐसा करें भी तो इसमें उनका क्या दोष?
मित्रों,समय और दूरी में आपने पढ़ा होगा कि एक कार इतने किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलना शुरू करती है। इतने घंटे बाद दूसरी कार इतने किमी प्रति घंटे की गति से उसका पीछा करना शुरू करती है तो दूसरी कार पहली कार को कितने घंटे में पकड़ लेगी। गुजरात काफी पहले से विकास के पथ पर सरपट दौड़ रहा है जबकि बिहार ने कथित रूप से अब दौड़ना शुरू किया है। बिहार प्रति व्यक्ति आय में 34 हजार रूपये प्रति वर्ष के साथ अभी भी सबसे पीछे है। अभी तो उसको भारत के सबसे पिछड़े राज्यों को ही पीछे करने में कई दशक लगनेवाले हैं। अभी तो उसको भारत की प्रति व्यक्ति राष्ट्रीय औसत आय 72889 रूपये तक पहुँचने में ही कई दशक लग जानेवाले हैं फिर देश के अग्रणी राज्यों को पीछे छोड़ने की तो बात ही दूर है। हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि जनसंख्या-घनत्व और जनसंख्या वृद्धि में बिहार देश में सबसे आगे है। इसलिए कुल जीडीपी बढ़ने का यह मतलब कदापि नहीं लगाया जाना चाहिए कि बिहार की प्रति व्यक्ति आय भी उसी दर से बढ़ रही है।
मित्रों,बिहार प्रति व्यक्ति औसत आय के मामले में तब सबसे पीछे से आगे बढेगा जबकि बिहार सरकार द्वारा तैयार किए गए विकास दर के आंकड़े सही हों। बिहार में धरातल पर जो कुछ घटित हो रहा है उससे तो ऐसा नहीं लगता कि बिहार की जीडीपी इतनी तेज गति से बढ़ रही है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जो लोग बाईक पर भैंस को ढो सकते हैं उनके लिए आंकड़ों में हेरा-फेरी करना कौन-सी बड़ी बात है। यहाँ हम आपको बता दें कि जीडीपी विकास दर के आंकड़े राज्य खुद तैयार करते हैं राष्ट्रीय सांख्यिकी संगठन सिर्फ उन पर मुहर लगाता है।
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