मित्रों,हम
आपको पहले भी बता चुके हैं हमारा बचपन ननिहाल में बीता है। जाहिर है कि मेरे मामा लोग
मुझे चिढ़ाते थे कि तेरा बाप चोर है तो तेरा बाप मोची है आदि। मैं तब अबोध बालक था
सो तुरंत पलटकर कह देता कि तेरा बाप भी चोर है या मोची है। मुझे तब पता नहीं था कि
उनके पिता मेरे नाना होते हैं। तब का एक और संस्मरण याद आ रहा है। मेरे ननिहाल में
एक घर था जिसे हम गिदड़बा अंगना या गीदड़ों का आंगन कहकर बुलाते थे। क्योंकि उस आंगन
के एक व्यक्ति पर हाथ डालिए तो पूरा घर एकजुट होकर हुआँ-2 करने लगता था। उस घर की एक
लड़की एक दलित के साथ भाग गई। गाँव के लोग उसके दरवाजे पर जमा हो गए। तभी लड़की की
बड़ी बहन ने गजरते हुए कहा कि यहाँ कोई तमाशा हो रहा है क्या? मैं
नहीं जानती हूँ क्या कि गाँव की कौन-कौन-सी लड़की ने छुप-छुप कर क्या-क्या गुल खिलाए
हैं? अब कौन जाता उससे मुँह लगाने सो सारे गाँववाले तितर-बितर
हो गए।
मित्रों,हम
यह आप पर छोड़ते हैं कि इन दोनों में से आप महान बिहार के महान नेता लालू प्रसाद जी
को किस श्रेणी में रखेंगे। बेचारे की अब काफी उम्र हो चुकी है। साठ भी पार कर चुके
हैं सो उनको उनकी खुद की परिभाषानुसार यानि कि यादवों को 60 की उम्र में जाकर बुद्धि
आती है अबोध तो कतई नहीं कहा जा सकता। तो क्या इसका सीधा मतलब यह नहीं निकालना चाहिए
कि लालू जी उस भाग गई लड़की की बड़ी बहन की तरह थेथरई बतिया रहे हैं।
मित्रों,लालू
के लाल यही काम तबसे ही कर रहे हैं जबसे बिहार के उपमुख्यमंत्री बने हैं। बिहार में
कहीं कोई आपराधिक घटना हुई नहीं,बिहार से किसी घपले-घोटाले-अव्यवस्था
की खबर आई नहीं कि तुरंत अपने श्रीमुख से विषवमन करना शुरू कर देते हैं कि ऐसा हमारे
यहाँ ही होता है क्या?
वहाँ उस राज्य में
भी तो हुआ है?मतलब यह कि भला जो देखन मैं चला,भला
न दीखा कोय। जो दिल ढूंढ़ा आपना, मुझसा भला न कोय।।
अब आप ही बताईए कि फिर किस माई के लाल में दम है कि ऐसे स्वनामधन्य महामूढ़ को उसकी
गलती का अहसास दिला दे?
मित्रों,लेकिन
हमारे लालू प्रसाद जी ठहरे महातेजस्वी तेजस्वी यादव जी के पिता सो इस मामले में बेटे
से पीछे कैसे रह जाते?
सो बिहार के सबसे शरीफ
नगर बिहार शरीफ में पाकिस्तान झंडा फहराए जाने की घटना सामने आते ही थेथरई के मैदान
में नया कीर्तिमान स्थापित कर ही तो दिया। बिहार की तुलना सीधे जन्नत से जहन्नुम बना
दिए गए कश्मीर से करते हुए कह ही तो दिया कि इसमें कौन-सी बड़ी बात है ऐसा तो कश्मीर
में रोजे होता है। मानो बिहार और कश्मीर दोनों एकसमान हों। मानो कश्मीर की तरह बिहार
की भी 70 प्रतिशत आबादी मुस्लिम हो। मानो बिहार में भी पाकिस्तान की शह पर वर्षों से
अलगाववादी आतंकवाद चल रहा हो।
मित्रों,यद्यपि
हम लालू से नाराज हैं कि पूरी तरह से सक्षम होते हुए भी उन्होंने पाकिस्तान के समर्थन
में नारेबाजी या पाकिस्तान का झंडा फहराए जाने की घटना के मामले में बिहार की तुलना
पाकिस्तान, फ्रांस, जर्मनी, अमेरिका, इराक, सीरिया, मिस्र, नाइजीरिया
आदि देशों में घटी घटनाओं से क्यों नहीं की। वैसे,हमें
लालूजी की महान सूक्ष्मबुद्धि को देखते हुए उम्मीद ही नहीं पूरा विश्वास है कि वे भविष्य
में किसी-न-किसी प्रसंग में कभी-न-कभी ऐसा जरूर करेंगे। आखिर कब तक बिहार की तुलना
देसी राज्यों से होती रहेगी? बिहार की ईज्जत
का सवाल है भाई।
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