मित्रों, क्या आपने कभी सब्जियों के दरख्तों का बगीचा देखा है? नहीं, क्या बात करते हैं? लगता है कि आपने चुनाव-दर-चुनाव कभी कांग्रेस पार्टी का घोषणा-पत्र नहीं पढ़ा है या फिर आपकी याददाश्त कमजोर है भारत की उस जनता की तरह जो ३ साल में ही भूल जाती है कि कांग्रेस ने केंद्र में यूपीए सरकार के समय कैसे-२ और कौन-२ से घोटाले किए थे. क्या कहा आपने कि आप उस पार्टी को झूठी व ठग पार्टी मानते हैं इसलिए आप उसका घोषणापत्र पढ़ते ही नहीं. वाह फिर तो आप बहुत समझदार हैं लेकिन तभी जब आप उसको वोट भी नहीं दें.
मित्रों, अब देखिए और सोंचिए न कि कांग्रेस पार्टी अपने घोषणापत्र में जो वादे लेकर आई है उसमें दूरदर्शिता क्या है? क्या इसमें कहीं यह बताया गया है कि वो राज्य के विकास के लिए क्या करेगी,राज्य के लोगों का जीवन-स्तर सुधारने के लिए क्या करेगी? बल्कि वो तो कहती है कि गुजरात के लोगों को पता है कि खुद का विकास कैसे करना है। अच्छा फिर आपकी जरुरत ही क्या है? वो यह भी भरमाते हैं कि विकास की अंधी दौड़ नहीं होनी चाहिए, विकास का मतलब खुश रहना होता है।
मित्रों, केंद्र में जब यूपीए की सरकार थी तो इसने सबको क्या मस्त खुश किया था? ए राजा खुश मतलब जनता खुश, एयर चीफ मार्शल त्यागी खुश जनता खुश, माल्या खुश पूरा देश खुश हाथ में किंगफिशर की बोतल पकड़कर. मतलब कि इन मतलबी लोगों का तो नारा ही यही है कि स्वयं जेब फाड़कर खाऊँगा और सबको पेट फाड़कर खाने दूंगा. खुद खुश रहूंगा और सारे घोटालेबाजों को खुश रखूंगा. जनता को चाटने के लिए लोल्लीपॉप थमा दूंगा. वैसे भी राहुल बाबा के अनुसार सुख और कुछ तो है नहीं मन की एक अवस्था मात्र है.
मित्रों, स्वतंत्र भारत के चुनावी इतिहास पर जब हम नजर डालते हैं तो घनघोर आश्चर्य होता है कि कांग्रेस पार्टी बार-२ काठ की हांडी में चुनावी खिचड़ी कैसे पका ले रही है और जनता कैसे उनके हाथों ख़ुशी-२ ठगी जाती है. कैसे जनता हो पता ही नहीं होता कि उसको ठगा गया है.
मित्रों, हमारे प्रधान सेवक जी को भी इन दिनों जो कहना चाहिए नहीं कह रहे हैं हालाँकि कर तो वही रहे हैं जो उनको करना चाहिए. हम जानते हैं कि भारत के कुछेक लोगों के लिए अभी भी नेशन फर्स्ट नहीं है लेकिन प्रधान सेवक जी को इसके लिए आह्वान करने से किसने रोका है? जब उनके मन में कोई खोट या छल नहीं है तो फिर देश की जनता से खुलकर और साफ़-२ बात करनी चाहिए कि हम जो भी अलोकप्रिय कदम उठा रहे हैं आपके लिए उठा रहे हैं, हम जो कुछ भी कर रहे हैं वो आपके लिए और आपके देश के लिए कर रहे हैं इसलिए कष्ट के खेद है और उसके बाद उनको बोलना चाहिए कि कांग्रेस के कैरेक्टर सर्टिफिकेट में छेद ही छेद है. ठीक उसी तरह से निर्भय होकर जनता से बात करनी चाहिए जैसे वो २०१४ में करते थे.
मित्रों, अब देखिए और सोंचिए न कि कांग्रेस पार्टी अपने घोषणापत्र में जो वादे लेकर आई है उसमें दूरदर्शिता क्या है? क्या इसमें कहीं यह बताया गया है कि वो राज्य के विकास के लिए क्या करेगी,राज्य के लोगों का जीवन-स्तर सुधारने के लिए क्या करेगी? बल्कि वो तो कहती है कि गुजरात के लोगों को पता है कि खुद का विकास कैसे करना है। अच्छा फिर आपकी जरुरत ही क्या है? वो यह भी भरमाते हैं कि विकास की अंधी दौड़ नहीं होनी चाहिए, विकास का मतलब खुश रहना होता है।
मित्रों, केंद्र में जब यूपीए की सरकार थी तो इसने सबको क्या मस्त खुश किया था? ए राजा खुश मतलब जनता खुश, एयर चीफ मार्शल त्यागी खुश जनता खुश, माल्या खुश पूरा देश खुश हाथ में किंगफिशर की बोतल पकड़कर. मतलब कि इन मतलबी लोगों का तो नारा ही यही है कि स्वयं जेब फाड़कर खाऊँगा और सबको पेट फाड़कर खाने दूंगा. खुद खुश रहूंगा और सारे घोटालेबाजों को खुश रखूंगा. जनता को चाटने के लिए लोल्लीपॉप थमा दूंगा. वैसे भी राहुल बाबा के अनुसार सुख और कुछ तो है नहीं मन की एक अवस्था मात्र है.
मित्रों, स्वतंत्र भारत के चुनावी इतिहास पर जब हम नजर डालते हैं तो घनघोर आश्चर्य होता है कि कांग्रेस पार्टी बार-२ काठ की हांडी में चुनावी खिचड़ी कैसे पका ले रही है और जनता कैसे उनके हाथों ख़ुशी-२ ठगी जाती है. कैसे जनता हो पता ही नहीं होता कि उसको ठगा गया है.
मित्रों, हमारे प्रधान सेवक जी को भी इन दिनों जो कहना चाहिए नहीं कह रहे हैं हालाँकि कर तो वही रहे हैं जो उनको करना चाहिए. हम जानते हैं कि भारत के कुछेक लोगों के लिए अभी भी नेशन फर्स्ट नहीं है लेकिन प्रधान सेवक जी को इसके लिए आह्वान करने से किसने रोका है? जब उनके मन में कोई खोट या छल नहीं है तो फिर देश की जनता से खुलकर और साफ़-२ बात करनी चाहिए कि हम जो भी अलोकप्रिय कदम उठा रहे हैं आपके लिए उठा रहे हैं, हम जो कुछ भी कर रहे हैं वो आपके लिए और आपके देश के लिए कर रहे हैं इसलिए कष्ट के खेद है और उसके बाद उनको बोलना चाहिए कि कांग्रेस के कैरेक्टर सर्टिफिकेट में छेद ही छेद है. ठीक उसी तरह से निर्भय होकर जनता से बात करनी चाहिए जैसे वो २०१४ में करते थे.
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