मित्रों, भारत की राजधानी में दंगे हुए हैं. उस दिल्ली में जिसे हिंदुस्तान का दिल कहा जाता है. लेकिन सवाल उठता है कि क्या सचमुच ये सिर्फ दंगे ही हैं? या कुछ और हैं. शुरुआत में हमें भी लगा था कि ये सांप्रदायिक दंगे ही हैं लेकिन अब जबकि इसकी भयावहता सामने आने लगी है तब यह स्पष्ट हो चुका है कि ये दंगे दंगे हैं ही नहीं बल्कि बड़े ही नियोजित तरीके से हिन्दुओं और तदनुसार भारत के खिलाफ छेड़ा गया युद्ध है. एक ऐसा युद्ध जिसे निहायत गन्दी मानसिकता वाले लोगों द्वारा भारत को बदनाम करने की साजिश के तहत संचालित किया गया. ये दंगे वास्तव में भारत पर घात लगाकर किया गया हमला है.
मित्रों, इन दंगों में जानबूझकर दलितों के तथाकथित नेता चंद्रशेखर रावण को शामिल किया गया जिससे लोग यह नहीं कह सकें कि मुसलमानों ने भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ रखा है जबकि इस आदमी के पीछे एक भी दलित नहीं है. जानबूझकर इस कलियुगी रावण द्वारा उस समय भारत बंद का आह्वान करवाया गया जब अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प भारत की यात्रा पर थे. भारत के आतंरिक शत्रुओं को यह अच्छी तरह से पता था कि इस समय दिल्ली पुलिस ट्रम्प की सुरक्षा में लगी हुई है इसलिए हिन्दुओं को बचाने नहीं आ सकती.
मित्रों, सीसीटीवी फुटेज से भी यह बात सामने आ चुकी है कि पहले पथराव की शुरुआत मुसलमानों ने की थी. उन्हीं स्वघोषित घनघोर राष्ट्रवादी मुसलमानों ने उसके बाद हिन्दुओं को मारने की शुरुआत की और २४ तारीख की रात को ताहिर हुसैन नामक नगर पार्षद जो आम आदमी पार्टी का नेता है और केजरीवाल का स्नेहिल है के घर को अपना किला बनाकर कोहराम मचा दिया. ताहिर के घर में उस रात ३००० मुसलमान जमा थे. उस रात इनके हाथ जो भी हिन्दू लगा उसकी हत्या कर दी गई. ऐसा करते समय इन जेहादी आपियों ने यह भी नहीं सोंचा कि इनमें से अधिकतर हिन्दुओं ने कुछ ही दिन पहले उनके साथ हाथ-में-हाथ डालकर आम आदमी पार्टी को मतदान किया था. इंटेलिजेंस ब्यूरो का जवान अंकित शर्मा दुर्भाग्यवश उस ताहिर हुसैन का पड़ोसी था की हत्या तो इतनी बेरहमी से की गई कि देखकर पोस्ट मार्टम करनेवाले चिकित्सकों का भी कलेजा काँप गया. ६ घंटे में छह-सात लोगों ने बारी-बारी से उस पर चाकू से ४०० बार वार किए. सबकुछ उसके परिवार की आँखों के आगे हुआ लेकिन वे कुछ भी नहीं कर सके. इसी तरह एक लड़की प्रीति के साथ ताहिर हुसैन के घर में संभवतः ४०-५० जेहादियों ने पहले भीषण बलात्कार किया फिर उसे जलाकर मार डाला. उस लड़की के वस्त्र अभी भी ताहिर हुसैन के घर में पड़े हुए हैं जो इस भीषण यातना की रो-रो कर गाथा कह रहे हैं. इतना ही नहीं किसी हिन्दू के सर में ड्रिल मशीन से छेद कर दिया गया तो किसी का हाथ-पाँव काट कर जलती हुई आग में झोंक दिया गया. नितिन नामक एक बच्चा पड़ोस की दुकान जाने के लिए जैसे ही घर से निकला उसके सर में गोली मार दी गई. वह मासूम बच्चा जो किसी के घर का चिराग था को बेवजह बुझा दिया गया क्योंकि वो काफ़िर था.
मित्रों, इतना ही नहीं जेहादियों ने उसके अलावा पूरे ईलाके में हिन्दुओं की सारी गाड़ियों, घरों, होटलों, दुकानों यहाँ तक कि स्कूलों तक को नहीं बक्शा बल्कि जलाकर राख कर दिया. चूँकि पुलिस राष्ट्रपति ट्रम्प की सुरक्षा में लगी थी इसलिए समय पर पर्याप्त संख्या में नहीं आ सकी. जो पुलिसवाले दंगों को रोकने आए भी तो उनके हाथों में डंडे थे जबकि जेहादियों के पास तमंचे थे परिणामस्वरूप वे सारे घायल होकर अस्पताल पहुँच गए उनमें से भी कई मृत्यु को प्राप्त हो चुके हैं.
मित्रों, जिस तरह युद्ध में छोटी-छोटी चीजों का भी इस्तेमाल किया जाता है उसी तरह से इन दंगों में भी पेट्रोल, कोल्ड ड्रिंक की बोतलों, ट्यूब, रस्सी, लोहे की छड, चाकू और तमंचों का बखूबी इस्तेमाल किया गया जिससे इलाके के हिन्दुओं को जान और माल का भारी नुकसान उठाना पड़ा. अब तक मौत का आंकड़ा 50 के करीब पहुँच चुका है. प्रतिक्रिया में हिन्दुओं ने भी गुस्से में आकर कुछ मुसलमानों को मार डाला. लेकिन सवाल उठता है कि उस इलाके से जो हिन्दुओं का पलायन शुरू हो चुका है उसे रोका कैसे जाए? कैसे उनके मन में अपने मुसलमान पड़ोसियों के प्रति विश्वास उत्पन्न किया जाए? जहाँ हिन्दू घोर नैतिकतावादी हैं वहीँ इस्लाम में सब जायज है नाजायज कुछ है ही नहीं. महिलाओं को हम दया और करुणा की प्रतिमूर्ति मानते हैं लेकिन जब महिलाएं भी पत्थर चलाकर गजवा-ए-हिन्द में अपना योगदान देने लगें तो फिर पुरूषों को हैवान बनने से रोकेगा कौन?
मित्रों, एसआईटी की प्रारंभिक जांच में भी यह सामने आ रहा है कि इस युद्ध रुपी दंगे के तार केरल के मुस्लिम संगठन पीएफआई और पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई से जुड़े हैं. जांच से ऐसे संकेत भी मिले हैं कि अगर मुसलमान उस दिन उत्तर पूर्वी दिल्ली की सडकों को बंद करने में सफल हो जाते और रात के बदले दिन में ही हिंसा नहीं करने लगते तो शायद उस इलाके में हिन्दुओं का अभूतपूर्व नरसंहार देखने को मिलता. ऐसे में समझ में नहीं आता कि अपने देश में भविष्य में क्या होनेवाला है? शायद भयंकर गृहयुद्ध जैसे कि अमेरिका में १८६१ से १८६५ तक हुआ था. लम्हों ने खता की थी सदियों ने सजा पाई. बंटवारे के समय अम्बेदकर को अनसुना कर मुसलमानों को भारत में रोकने की जो खता नेहरु-गाँधी ने की थी उसकी सजा अब भारत के हिन्दू पाएंगे और हमारी राजधानी दिल्ली से इसका आरंभ भी हो चुका है.
मित्रों, इन दंगों में जानबूझकर दलितों के तथाकथित नेता चंद्रशेखर रावण को शामिल किया गया जिससे लोग यह नहीं कह सकें कि मुसलमानों ने भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ रखा है जबकि इस आदमी के पीछे एक भी दलित नहीं है. जानबूझकर इस कलियुगी रावण द्वारा उस समय भारत बंद का आह्वान करवाया गया जब अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प भारत की यात्रा पर थे. भारत के आतंरिक शत्रुओं को यह अच्छी तरह से पता था कि इस समय दिल्ली पुलिस ट्रम्प की सुरक्षा में लगी हुई है इसलिए हिन्दुओं को बचाने नहीं आ सकती.
मित्रों, सीसीटीवी फुटेज से भी यह बात सामने आ चुकी है कि पहले पथराव की शुरुआत मुसलमानों ने की थी. उन्हीं स्वघोषित घनघोर राष्ट्रवादी मुसलमानों ने उसके बाद हिन्दुओं को मारने की शुरुआत की और २४ तारीख की रात को ताहिर हुसैन नामक नगर पार्षद जो आम आदमी पार्टी का नेता है और केजरीवाल का स्नेहिल है के घर को अपना किला बनाकर कोहराम मचा दिया. ताहिर के घर में उस रात ३००० मुसलमान जमा थे. उस रात इनके हाथ जो भी हिन्दू लगा उसकी हत्या कर दी गई. ऐसा करते समय इन जेहादी आपियों ने यह भी नहीं सोंचा कि इनमें से अधिकतर हिन्दुओं ने कुछ ही दिन पहले उनके साथ हाथ-में-हाथ डालकर आम आदमी पार्टी को मतदान किया था. इंटेलिजेंस ब्यूरो का जवान अंकित शर्मा दुर्भाग्यवश उस ताहिर हुसैन का पड़ोसी था की हत्या तो इतनी बेरहमी से की गई कि देखकर पोस्ट मार्टम करनेवाले चिकित्सकों का भी कलेजा काँप गया. ६ घंटे में छह-सात लोगों ने बारी-बारी से उस पर चाकू से ४०० बार वार किए. सबकुछ उसके परिवार की आँखों के आगे हुआ लेकिन वे कुछ भी नहीं कर सके. इसी तरह एक लड़की प्रीति के साथ ताहिर हुसैन के घर में संभवतः ४०-५० जेहादियों ने पहले भीषण बलात्कार किया फिर उसे जलाकर मार डाला. उस लड़की के वस्त्र अभी भी ताहिर हुसैन के घर में पड़े हुए हैं जो इस भीषण यातना की रो-रो कर गाथा कह रहे हैं. इतना ही नहीं किसी हिन्दू के सर में ड्रिल मशीन से छेद कर दिया गया तो किसी का हाथ-पाँव काट कर जलती हुई आग में झोंक दिया गया. नितिन नामक एक बच्चा पड़ोस की दुकान जाने के लिए जैसे ही घर से निकला उसके सर में गोली मार दी गई. वह मासूम बच्चा जो किसी के घर का चिराग था को बेवजह बुझा दिया गया क्योंकि वो काफ़िर था.
मित्रों, इतना ही नहीं जेहादियों ने उसके अलावा पूरे ईलाके में हिन्दुओं की सारी गाड़ियों, घरों, होटलों, दुकानों यहाँ तक कि स्कूलों तक को नहीं बक्शा बल्कि जलाकर राख कर दिया. चूँकि पुलिस राष्ट्रपति ट्रम्प की सुरक्षा में लगी थी इसलिए समय पर पर्याप्त संख्या में नहीं आ सकी. जो पुलिसवाले दंगों को रोकने आए भी तो उनके हाथों में डंडे थे जबकि जेहादियों के पास तमंचे थे परिणामस्वरूप वे सारे घायल होकर अस्पताल पहुँच गए उनमें से भी कई मृत्यु को प्राप्त हो चुके हैं.
मित्रों, जिस तरह युद्ध में छोटी-छोटी चीजों का भी इस्तेमाल किया जाता है उसी तरह से इन दंगों में भी पेट्रोल, कोल्ड ड्रिंक की बोतलों, ट्यूब, रस्सी, लोहे की छड, चाकू और तमंचों का बखूबी इस्तेमाल किया गया जिससे इलाके के हिन्दुओं को जान और माल का भारी नुकसान उठाना पड़ा. अब तक मौत का आंकड़ा 50 के करीब पहुँच चुका है. प्रतिक्रिया में हिन्दुओं ने भी गुस्से में आकर कुछ मुसलमानों को मार डाला. लेकिन सवाल उठता है कि उस इलाके से जो हिन्दुओं का पलायन शुरू हो चुका है उसे रोका कैसे जाए? कैसे उनके मन में अपने मुसलमान पड़ोसियों के प्रति विश्वास उत्पन्न किया जाए? जहाँ हिन्दू घोर नैतिकतावादी हैं वहीँ इस्लाम में सब जायज है नाजायज कुछ है ही नहीं. महिलाओं को हम दया और करुणा की प्रतिमूर्ति मानते हैं लेकिन जब महिलाएं भी पत्थर चलाकर गजवा-ए-हिन्द में अपना योगदान देने लगें तो फिर पुरूषों को हैवान बनने से रोकेगा कौन?
मित्रों, एसआईटी की प्रारंभिक जांच में भी यह सामने आ रहा है कि इस युद्ध रुपी दंगे के तार केरल के मुस्लिम संगठन पीएफआई और पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई से जुड़े हैं. जांच से ऐसे संकेत भी मिले हैं कि अगर मुसलमान उस दिन उत्तर पूर्वी दिल्ली की सडकों को बंद करने में सफल हो जाते और रात के बदले दिन में ही हिंसा नहीं करने लगते तो शायद उस इलाके में हिन्दुओं का अभूतपूर्व नरसंहार देखने को मिलता. ऐसे में समझ में नहीं आता कि अपने देश में भविष्य में क्या होनेवाला है? शायद भयंकर गृहयुद्ध जैसे कि अमेरिका में १८६१ से १८६५ तक हुआ था. लम्हों ने खता की थी सदियों ने सजा पाई. बंटवारे के समय अम्बेदकर को अनसुना कर मुसलमानों को भारत में रोकने की जो खता नेहरु-गाँधी ने की थी उसकी सजा अब भारत के हिन्दू पाएंगे और हमारी राजधानी दिल्ली से इसका आरंभ भी हो चुका है.