रविवार, 29 मार्च 2020

बर्खास्त हो केजरीवाल सरकार

मित्रों, आज मैं इतिहास के पन्नों को नहीं पलटूंगा कि किस तरह केजरीवाल ने मेरे मित्र चौहान साब के साथ मिलकर नोएडा से इंडिया अगेंस्ट करप्शन आन्दोलन की शुरुआत की. फिर कैसे अन्ना हजारे को आगे करके आन्दोलन को आगे बढाया और पूरे भारत को आंदोलित कर दिया. अन्ना के मंच से कैसे उसने अपने बच्चों के सर पर हाथ रखकर कभी राजनीति में नहीं आने की कसमें खाईं. फिर कैसे उसने कसमें तोड़ीं और इस वादे के साथ राजनीति में आने की घोषणा की कि वह राजनीति से गंदगी साफ़ करने आया है. फिर कैसे उसने अपने कार्यकर्ताओं के माध्यम से दिल्ली में कई सारे शाहीन बाग़ लगवाए और पूरी दिल्ली को जाम कर दिया. फिर कैसे उसने अपने कार्यकर्ताओं के माध्यम से दिल्ली में दंगे करवाए और खुद दंगों के समय फोन पर ताहिर हुसैन को निर्देश देता रहा.
मित्रों, मैं नहीं समझता कि केजरीवाल ने आज तक जो भी कारगुजारी की है उनमें से कोई भी माफ़ी के लायक है लेकिन अब जबकि पूरी दुनिया कोरोना के खिलाफ विश्वयुद्ध लड़ रही है तब उसने जो अपराध किया है उसके लिए उसे सैंकड़ों बार फांसी पर चढाने की सजा भी अगर दी जाए तो कम होगी. इस नीच ने जबकि पूरा देश लॉक डाउन की स्थिति में है तब दिल्ली के मजदूरों को सहारा देने के बदले उनकी बिजली-पानी बंद कर दी. इतना ही नहीं इसने उनको बोरियों की तरह बसों में भरकर दिल्ली के बॉर्डर पर ले जाकर मरने के लिए छोड़ दिया. इस आदमी की नीचता को इस बात से भी समझा जा सकता है कि जबकि पूरे देश में कोई घर से नहीं निकल रहा है तब भी इसकी सरकार ने साजिशन दिल्ली में बसों का परिचालन बंद नहीं किया. ऊपर-ऊपर तो ये यह कहता रहा कि उसकी सरकार ने ४ लाख लोगों के प्रतिदिन भोजन का इंतजाम किया है लेकिन भीतर-भीतर मजदूरों को दिल्ली से भगाता रहा ताकि लॉक डाउन विफल हो जाए और सारा इल्जाम केंद्र सरकार पर आए.
मित्रों, अब आप स्थिति को समझिए. इन प्रचंड भारतविरोधी ने दिल्ली के लगभग सारे मजदूरों को अपनी सरकारी बसों में भर-भरकर दिल्ली-उत्तर प्रदेश की सीमा पर ले जाकर पटक दिया है. अब अगर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार उनको उनके राज्य भेजती है तो गांवों में कोरोना फैलने का खतरा है और अगर आनंद विहार के पास कौशाम्बी में ही रोकती है तो फिर गाज़ियाबाद में बीमारी फैलेगी. इन सबके बीच यह नीच यह कहकर सारे झमेले से अपना पल्ला झाड लेगा कि लोग भाग रहे हैं तो मैं क्या करूं?
मित्रों, कुल मिलाकर जबकि देश की सारी पक्ष-विपक्ष की सरकारें कोरोना वायरस के खिलाफ कंधे-से-कंधा मिलाकर लड़ रहीं हैं इस घनघोर देशद्रोही अराजकतावादी ने एक बार फिर से भारत की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है. ऐसे में मुझे नहीं लगता कि भारत सरकार के समक्ष इसे बर्खास्त कर दिल्ली का पूरा प्रशासन अपने हाथों में ले लेने के सिवाय और कोई विकल्प बचता है. बल्कि मैं तो कहूँगा कि ऐसा दिल्ली दंगों से समय फरवरी के अंतिम हफ्ते में ही हो जाना चाहिए था. लेकिन होता कैसे मोदी जी भी कम जातिवादी थोड़े ही हैं सो एक बनिए की सरकार को कैसे बर्खास्त करते? लेकिन इन दिनों दिल्ली में जो हो रहा है उससे भारत की अंतर्राष्ट्रीय जगत में जो छवि बन रही है वो किसी भी हाल में अच्छी तो नहीं कही जा सकती. हो सकता है कि निकट-भविष्य में देश में कोरोना भयावह रूप ले ले और आपातकाल की घोषणा करनी पड़े. अंत में मैं आपलोगों से कहना चाहता हूँ कि एक कहावत तो आपने भी सुनी होगी कि एक मछली पूरे तालाब को गन्दा कर देती है और वह मछली कोई और नहीं केजरीवाल है.

बुधवार, 25 मार्च 2020

कोरोना चीन की साजिश तो नहीं


मित्रों, अगर हम कहें कि हमारा पडोसी चीन दुनिया का सबसे रहस्यमय देश है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी. हजारों सालों से चीन दुनिया के लिए एक पहेली बना हुआ है. इस देश की हर चीज अजीबोगरीब है और उसमें से सबसे अजीब है उसका खान-पान. चीनियों के खाने-पीने की आदत सनकीपने की हद से भी आगे तक पहुँचती है. शायद दुनिया की ऐसी कोई चीज है ही नहीं जो चीनी खाते नहीं हैं. इतना ही नहीं वे खाने-पीने के मामले में अतिक्रूर भी हैं. जिस सांप को देखते ही पूरी दुनिया के लोग डर के मारे घबरा जाते हैं चीनी उनको बड़े मजे से जिन्दा ही चबा जाते हैं. आपने कभी चूहों या कुत्तों को जिंदा नहीं खाया होगा लेकिन चीनी खाते हैं. अभी चमगादड़ खाने से फैले कोरोना की आग ठंडी भी नहीं हुई है कि जिंदा चूहे खाने से होनेवाला हन्ता वायरस के फैलने का खतरा खड़ा हो गया है.
मित्रों, अपने देश में भी कुछ अन्य लोग और मुसलमान जब भी उनको मांस खाने से मना किया जाता है अपने कुछ भी खाने के अधिकार की रक्षा के लिए खड़े हो जाते हैं जबकि सच्चाई यह है कि आदमी का पाचनतंत्र शाकाहार के लिए बनाया गया है न कि मांसाहार के लिए. हमें गर्व है कि भारत के ऋषि-मुनियों ने हजारों साल पहले इस तथ्य की खोज कर ली थी लेकिन बांकी दुनिया धृष्टतापूर्वक इस महान खोज को नकारते रहे. आज चीन ने जो पाप किए या कर रहा है उनकी कीमत पूरी दुनिया को चुकानी पड़ रही है.
मित्रों, एक दूसरी सम्भावना भी हो सकती है जिसकी ओर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प बार-बार ईशारा कर रहे हैं. कभी आपने सोंचा है कि जो चीन जानवरों के प्रति इतना क्रूर हो सकता है क्या वो कभी मानवमात्र के कल्याण के बारे में सोंच भी सकता है? क्रूरता उसके जीन में बसी हुई है. जब से शी जिनपिंग को चीन का आजीवन राष्ट्रपति बनाया गया हैं तभी से सच्चाई यही है उसकी अभिलाषा पूरी दुनिया पर हुकूमत करने की है मगर ट्रम्प, मोदी और कुछ यूरोपियन देशों समेत कुछ शक्तियां उसके अभियान में बाधा बन कर खड़ी हैं. यह बात किसी से छिपी हुई नहीं है कि वुहान में चीन ने खतरनाक विषाणुओं के निर्माण के लिए प्रयोगशालाओं का निर्माण कर रखा है जिनमें करीब १५०० विषाणु भंडारित किए गए हैं. शी जिनपिंग ने 2013 में अपनी महत्वकांशी योजना वन बेल्ट वन बेल्ट (OBOR) शुरू की जिसके माध्यम से एशिया से यूरोप तक उत्पाद बेचने की योजना थी मगर भारत और कई अन्य देश इसमें शामिल नहीं हुए. कुछ समय से ट्रम्प ने शी जिनपिंग को ट्रेड वार में उलझा रखा था जो कदाचित उसकी आँखों में खटक रहा था. दुनियाभर को आतंकित करने के लिए शी जिनपिंग ने शायद वुहान में कोरोना वायरस को खुले में छोड़ दिया और अपने लोगों को चुप करा दिया –82000 लोग इस वायरस से संक्रमित हुए और 3200 की मौत हुई, ये चीन कहता मगर कौन जानता है क्या सच है?
मित्रों, चीन और पूरी दुनिया के अगर कुछ करोड़ लोग भी मारे जाएँ तो शी जिनपिंग और चीन को कुछ फर्क नहीं पड़ने वाला क्योंकि चीन अपनी 1949 की कथित क्रांति में अपने 5 से 7 करोड़ लोगों का क़त्ल कर चुका है. बाद में सांस्कृतिक क्रांति के नाम पर भी माओ ने करोडो चीनियों को मार डाला. इसलिए इस बात का संदेह दुनियाभर में जताया जा रहा है कि ये कोरोना वायरस का फैलना कोई “संयोग” नहीं है बल्कि ये शी जिनपिंग का विश्व पर हुकूमत करने के लिए किया गया एक “प्रयोग” है जिसमे वो सफल हो गया. यह फैला नहीं है बल्कि इसे चीन ने पूरे विश्व को आतंकित करने के लिए फैलाया है जिससे समस्त विश्व की अर्थव्यवस्थाएं चौपट हो जाएं. आपने इस बात पर विचार किया है कि चीन ने अपने देश में इस वायरस को केवल वुहान तक क्यों और कैसे सीमित रखा?
मित्रों, अब चीन जब मर्जी अपने वुहान के 1500 वायरस वाली तिजोरी से लगातार कोई-न-कोई वायरस छोड़ता रहेगा. एक बार  प्रयोग सफल होने के बाद चीन यह प्रयोग बार-बार करता रहेगा. आज एक और वायरस चीन में पाया गया है”हंता वायरस” जिससे एक आदमी मर गया और 32 को संक्रमित कर गया.गौरतलब है कि २०१८ में चीन का सरकारी अख़बार चाइना डेली इस बात की गौरवपूर्ण घोषणा कर चुका है कि चीन के पास वुहान में १५०० प्रकार के खतरनाक विषाणु जमा हो चुके हैं. यहाँ तक कि अख़बार ने प्रयोगशाला की तश्वीर तक डाली थी.

शनिवार, 14 मार्च 2020

दिल्ली में केजरीवाल की काली राजनीति

मित्रों, हम पत्रकारों की भी अपनी सीमा है। कई बार जब हम देश की जनता को किसी देशद्रोही के प्रति जागरूक करने का प्रयास करते हैं तो हमें पक्षकार कह दिया जाता है हालांकि बाद में जनता को पता चलता है कि हमने सच कहा था मगर तब तक काफी देर हो चुकी होती है।
मित्रों, कुछ ऐसा ही इन दिनों दिल्ली में देखने को मिल रहा है। विधानसभा चुनाव के समय हमने कहा था कि केजरीवाल हिन्दू और भारत-विरोधी है। बल्कि वो मानववेश में काला नाग है इसलिए उसको वोट न दें बल्कि भाजपा को दें लेकिन तब किसी ने नहीं सुना। लेकिन आज वही लोग दहाड़े मार-मार कर रो रहे हैं। दिल्ली में मुसलमानों ने हत्या और आगजनी करते समय आपिये और भाजपाई हिंदुओं के बीच कोई भेदभाव नहीं किया। सबके साथ समानता का व्यवहार किया। जिन हिंदुओं को चुनाव के समय केजरीवाल परम हनुमानभक्त सच्चा हिन्दू लगा था अब दिन के उजाले में भी देख सकते हैं कि केजरीवाल कैसे उस अमानतुल्लाह के साथ खड़ा है जो आगे भी दिल्ली में हिंदूविरोधी दंगे करने-कराने की धमकी दे रहा है। अब शायद हिंदुओं को समझ आ गई होगी कि केजरीवाल वास्तव में हिन्दू है या ऐसा जेहादी मुसलमान जो काफिरों के कत्ल को अपना परम कर्तव्य समझता है।
मित्रों, यह हमारा सौभाग्य है कि दिल्ली में इस समय भाजपा की सरकार है और दिल्ली पुलिस उसके मातहत है अन्यथा अगर दिल्ली की कानून-व्यवस्था केजरीवाल के हाथों में होती तो दिल्ली भी बहुत पहले कश्मीर की तरह‌ हिन्दू विहीन हो चुकी होती। इतना ही नहीं दंगों के बाद दंगा पीड़ित हिंदुओं के खिलाफ ही मुकदमे चल रहे होते अगर सोनिया गांधी सांप्रदायिक दंगा विरोधी बिल मनमोहन के समय पारित करवा लेती।
मित्रों, हम बार-बार लिखते रहे हैं हिन्दू बंटेगा तो कटेगा। पाकिस्तान से जितने भी हिंदू जान बचाकर और सबकुछ लुटा कर आ रहे हैं सबके सब दलित हैं लेकिन भारत के दलित नेता उनको नागरिकता न मिले इसके लिए मुसलमानों के साथ खड़े हैं जबकि सीएए कानून बना ही उन दलितों को नागरिकता देने के लिए है ताकि उनको वापस पाकिस्तान जाकर नरक की यातना न भोगनी पड़े।
मित्रों, हम पहले दिन से ही कह रहे हैं कि दिल्ली के दंगों के पीछे पीएफआई का हाथ है। पीएफआई केरल का आतंकी संगठन है। ऐसे ही संगठनों के चलते ही आज मुसलमान दुनिया भर में आतंकवाद का पर्याय बन गये हैं। अगर कोई मुसलमान ऐसे संगठनों का विरोध नहीं करता तो वो जाने और उसकी देशभक्ति जाने लेकिन हम हिन्दू जो कर सकते थे या जो कर सकते हैं वो क्यो ंंनहीं करते? हम यह नहीं कहते कि हिन्दू भी मुसलमानों की तरह अवैध हथियारों का जखीरा अपने घरों, स्कूलों और मंदिरों में जमा कर लें लेकिन हम वैध हथियार तो रख सकते हैं. ऐसा कहीं से भी ठीक नहीं लगता कि जब हम पर हमला हो जाता है तब हम सरकार और पुलिस की तरफ देखने लगते हैं. अपनी रक्षा करना हर व्यक्ति का सबसे बड़ा और पुनीत कर्त्तव्य है. रही बात केजरीवाल की तो वो वही कर रहा है जो एक काले नाग को करना चाहिए. जिन्होंने उसे वोट दिया अब वो उनको ही डंस रहा है. यहाँ तक कि दंगों के बाद भी वो सीएए और एनपीआर के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पारित करवा रहा है जबकि वो अनपढ़ नहीं है और यह अच्छी तरह से जानता है कि इन दोनों से देश के किसी भी नागरिक की नागरिकता को कोई खतरा नहीं है. तो अब पछताए होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गई खेत. अब आगे-आगे देखिए कि फ्री बिजली और पानी का लालच देकर दिल्ली के हिन्दुओं को अपने जाल में फंसा लेनेवाला यह काला नाग आपके साथ और क्या-क्या जानलेवा खेल करता है.