मित्रों, अगर हम कहें कि हमारा पडोसी चीन दुनिया का सबसे रहस्यमय देश है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी. हजारों सालों से चीन दुनिया के लिए एक पहेली बना हुआ है. इस देश की हर चीज अजीबोगरीब है और उसमें से सबसे अजीब है उसका खान-पान. चीनियों के खाने-पीने की आदत सनकीपने की हद से भी आगे तक पहुँचती है. शायद दुनिया की ऐसी कोई चीज है ही नहीं जो चीनी खाते नहीं हैं. इतना ही नहीं वे खाने-पीने के मामले में अतिक्रूर भी हैं. जिस सांप को देखते ही पूरी दुनिया के लोग डर के मारे घबरा जाते हैं चीनी उनको बड़े मजे से जिन्दा ही चबा जाते हैं. आपने कभी चूहों या कुत्तों को जिंदा नहीं खाया होगा लेकिन चीनी खाते हैं. अभी चमगादड़ खाने से फैले कोरोना की आग ठंडी भी नहीं हुई है कि जिंदा चूहे खाने से होनेवाला हन्ता वायरस के फैलने का खतरा खड़ा हो गया है.
मित्रों, अपने देश में भी कुछ अन्य लोग और मुसलमान जब भी उनको मांस खाने से मना किया जाता है अपने कुछ भी खाने के अधिकार की रक्षा के लिए खड़े हो जाते हैं जबकि सच्चाई यह है कि आदमी का पाचनतंत्र शाकाहार के लिए बनाया गया है न कि मांसाहार के लिए. हमें गर्व है कि भारत के ऋषि-मुनियों ने हजारों साल पहले इस तथ्य की खोज कर ली थी लेकिन बांकी दुनिया धृष्टतापूर्वक इस महान खोज को नकारते रहे. आज चीन ने जो पाप किए या कर रहा है उनकी कीमत पूरी दुनिया को चुकानी पड़ रही है.
मित्रों, एक दूसरी सम्भावना भी हो सकती है जिसकी ओर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प बार-बार ईशारा कर रहे हैं. कभी आपने सोंचा है कि जो चीन जानवरों के प्रति इतना क्रूर हो सकता है क्या वो कभी मानवमात्र के कल्याण के बारे में सोंच भी सकता है? क्रूरता उसके जीन में बसी हुई है. जब से शी जिनपिंग को चीन का आजीवन राष्ट्रपति बनाया गया हैं तभी से सच्चाई यही है उसकी अभिलाषा पूरी दुनिया पर हुकूमत करने की है मगर ट्रम्प, मोदी और कुछ यूरोपियन देशों समेत कुछ शक्तियां उसके अभियान में बाधा बन कर खड़ी हैं. यह बात किसी से छिपी हुई नहीं है कि वुहान में चीन ने खतरनाक विषाणुओं के निर्माण के लिए प्रयोगशालाओं का निर्माण कर रखा है जिनमें करीब १५०० विषाणु भंडारित किए गए हैं. शी जिनपिंग ने 2013 में अपनी महत्वकांशी योजना वन बेल्ट वन बेल्ट (OBOR) शुरू की जिसके माध्यम से एशिया से यूरोप तक उत्पाद बेचने की योजना थी मगर भारत और कई अन्य देश इसमें शामिल नहीं हुए. कुछ समय से ट्रम्प ने शी जिनपिंग को ट्रेड वार में उलझा रखा था जो कदाचित उसकी आँखों में खटक रहा था. दुनियाभर को आतंकित करने के लिए शी जिनपिंग ने शायद वुहान में कोरोना वायरस को खुले में छोड़ दिया और अपने लोगों को चुप करा दिया –82000 लोग इस वायरस से संक्रमित हुए और 3200 की मौत हुई, ये चीन कहता मगर कौन जानता है क्या सच है?
मित्रों, चीन और पूरी दुनिया के अगर कुछ करोड़ लोग भी मारे जाएँ तो शी जिनपिंग और चीन को कुछ फर्क नहीं पड़ने वाला क्योंकि चीन अपनी 1949 की कथित क्रांति में अपने 5 से 7 करोड़ लोगों का क़त्ल कर चुका है. बाद में सांस्कृतिक क्रांति के नाम पर भी माओ ने करोडो चीनियों को मार डाला. इसलिए इस बात का संदेह दुनियाभर में जताया जा रहा है कि ये कोरोना वायरस का फैलना कोई “संयोग” नहीं है बल्कि ये शी जिनपिंग का विश्व पर हुकूमत करने के लिए किया गया एक “प्रयोग” है जिसमे वो सफल हो गया. यह फैला नहीं है बल्कि इसे चीन ने पूरे विश्व को आतंकित करने के लिए फैलाया है जिससे समस्त विश्व की अर्थव्यवस्थाएं चौपट हो जाएं. आपने इस बात पर विचार किया है कि चीन ने अपने देश में इस वायरस को केवल वुहान तक क्यों और कैसे सीमित रखा?
मित्रों, अब चीन जब मर्जी अपने वुहान के 1500 वायरस वाली तिजोरी से लगातार कोई-न-कोई वायरस छोड़ता रहेगा. एक बार प्रयोग सफल होने के बाद चीन यह प्रयोग बार-बार करता रहेगा. आज एक और वायरस चीन में पाया गया है”हंता वायरस” जिससे एक आदमी मर गया और 32 को संक्रमित कर गया.गौरतलब है कि २०१८ में चीन का सरकारी अख़बार चाइना डेली इस बात की गौरवपूर्ण घोषणा कर चुका है कि चीन के पास वुहान में १५०० प्रकार के खतरनाक विषाणु जमा हो चुके हैं. यहाँ तक कि अख़बार ने प्रयोगशाला की तश्वीर तक डाली थी.
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