मित्रों, कुछ ऐसा ही इन दिनों दिल्ली में देखने को मिल रहा है। विधानसभा चुनाव के समय हमने कहा था कि केजरीवाल हिन्दू और भारत-विरोधी है। बल्कि वो मानववेश में काला नाग है इसलिए उसको वोट न दें बल्कि भाजपा को दें लेकिन तब किसी ने नहीं सुना। लेकिन आज वही लोग दहाड़े मार-मार कर रो रहे हैं। दिल्ली में मुसलमानों ने हत्या और आगजनी करते समय आपिये और भाजपाई हिंदुओं के बीच कोई भेदभाव नहीं किया। सबके साथ समानता का व्यवहार किया। जिन हिंदुओं को चुनाव के समय केजरीवाल परम हनुमानभक्त सच्चा हिन्दू लगा था अब दिन के उजाले में भी देख सकते हैं कि केजरीवाल कैसे उस अमानतुल्लाह के साथ खड़ा है जो आगे भी दिल्ली में हिंदूविरोधी दंगे करने-कराने की धमकी दे रहा है। अब शायद हिंदुओं को समझ आ गई होगी कि केजरीवाल वास्तव में हिन्दू है या ऐसा जेहादी मुसलमान जो काफिरों के कत्ल को अपना परम कर्तव्य समझता है।
मित्रों, यह हमारा सौभाग्य है कि दिल्ली में इस समय भाजपा की सरकार है और दिल्ली पुलिस उसके मातहत है अन्यथा अगर दिल्ली की कानून-व्यवस्था केजरीवाल के हाथों में होती तो दिल्ली भी बहुत पहले कश्मीर की तरह हिन्दू विहीन हो चुकी होती। इतना ही नहीं दंगों के बाद दंगा पीड़ित हिंदुओं के खिलाफ ही मुकदमे चल रहे होते अगर सोनिया गांधी सांप्रदायिक दंगा विरोधी बिल मनमोहन के समय पारित करवा लेती।
मित्रों, हम बार-बार लिखते रहे हैं हिन्दू बंटेगा तो कटेगा। पाकिस्तान से जितने भी हिंदू जान बचाकर और सबकुछ लुटा कर आ रहे हैं सबके सब दलित हैं लेकिन भारत के दलित नेता उनको नागरिकता न मिले इसके लिए मुसलमानों के साथ खड़े हैं जबकि सीएए कानून बना ही उन दलितों को नागरिकता देने के लिए है ताकि उनको वापस पाकिस्तान जाकर नरक की यातना न भोगनी पड़े।
मित्रों, हम पहले दिन से ही कह रहे हैं कि दिल्ली के दंगों के पीछे पीएफआई का हाथ है। पीएफआई केरल का आतंकी संगठन है। ऐसे ही संगठनों के चलते ही आज मुसलमान दुनिया भर में आतंकवाद का पर्याय बन गये हैं। अगर कोई मुसलमान ऐसे संगठनों का विरोध नहीं करता तो वो जाने और उसकी देशभक्ति जाने लेकिन हम हिन्दू जो कर सकते थे या जो कर सकते हैं वो क्यो ंंनहीं करते? हम यह नहीं कहते कि हिन्दू भी मुसलमानों की तरह अवैध हथियारों का जखीरा अपने घरों, स्कूलों और मंदिरों में जमा कर लें लेकिन हम वैध हथियार तो रख सकते हैं. ऐसा कहीं से भी ठीक नहीं लगता कि जब हम पर हमला हो जाता है तब हम सरकार और पुलिस की तरफ देखने लगते हैं. अपनी रक्षा करना हर व्यक्ति का सबसे बड़ा और पुनीत कर्त्तव्य है. रही बात केजरीवाल की तो वो वही कर रहा है जो एक काले नाग को करना चाहिए. जिन्होंने उसे वोट दिया अब वो उनको ही डंस रहा है. यहाँ तक कि दंगों के बाद भी वो सीएए और एनपीआर के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पारित करवा रहा है जबकि वो अनपढ़ नहीं है और यह अच्छी तरह से जानता है कि इन दोनों से देश के किसी भी नागरिक की नागरिकता को कोई खतरा नहीं है. तो अब पछताए होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गई खेत. अब आगे-आगे देखिए कि फ्री बिजली और पानी का लालच देकर दिल्ली के हिन्दुओं को अपने जाल में फंसा लेनेवाला यह काला नाग आपके साथ और क्या-क्या जानलेवा खेल करता है.
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