गुरुवार, 14 मई 2020

मोदी, विपक्ष और मुसलमान


मित्रों, जबसे केंद्र में नरेन्द्र मोदी की सरकार सत्ता में आई है तभी से विपक्ष उसके खिलाफ मुद्दे तलाश रहा है और अपनी कोशिशों के लगातार असफल होते जाने से दिन-ब-दिन पागल भी होती जा रही है. कभी-कभी तो उसका पागलपन इतना बढ़ जाता है कि उसके नेता सीधे पाकिस्तान पहुँच जाते हैं और उससे मोदी जी को अपदस्थ करने में सहायता मांगने लगते हैं तो कभी कांग्रेस पार्टी के युवराज गुप्त यात्रा पर चीनी दूतावास पहुँच जाते हैं. कहने का तात्पर्य यह कि विपक्ष बार-बार मोदी विरोध और भारत विरोध का फर्क भूल जाता है.
मित्रों, सबसे दुर्भाग्यपूर्ण तो यह है कि विपक्ष, पाकिस्तान और चीन द्वारा रचे गए इस गंदे खेल में मुसलमान पासे बन गए हैं. बहकावे में आकर वे बेवजह सीएए को लेकर आसमान सर पे उठा लेते हैं. जगह-जगह धरना और हिंसक प्रदर्शन. यहाँ तक कि जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भारत की और दिल्ली की यात्रा पर होते हैं तभी वे हिन्दुओं के नरसंहार की योजना बना डालते हैं और पूरी पूर्वोत्तर दिल्ली को जला डालते हैं. इस दुर्भाग्यपूर्ण हिंसा में जैसा कि आप भी जानते हैं कि ५० से भी ज्यादा बेगुनाह लोग मारे जाते हैं. मुसीबत तो यह थी कि इतने के बावजूद भी शाहीन बाग़ का धरना समाप्त नहीं किया जाता.
मित्रों, इसमें कोई संदेह नहीं कि अगर कोरोना वायरस का भारत में आगमन नहीं हुआ होता तो देश इस समय शायद गृह युद्ध का सामना कर रहा होता. इसके लिए मैं कोरोना का धन्यवाद करना चाहूँगा. कोरोना के आने बाद तबलीगी जमात का भंडाफोड़ होता है और तबलीगी स्वास्थ्यकर्मियों और सुरक्षा बलों के साथ पागल कुत्तों की तरह व्यवहार करने लगते हैं. जो पुलिस और स्वास्थ्यकर्मी उनकी जान बचाने का प्रयास कर रहे हैं वे उनकी ही जान लेना चाहते हैं शायद इसलिए क्योंकि वे हिन्दू हैं और इसलिए बतौर कुरान काफ़िर हैं. पुलिस न तो तबलीग के पीछे की साजिश का पता लगा पाती है और न ही उनके मुखिया मौलाना शाद को पकड़ पाती है लेकिन तबलीगियों के कुत्तेपन की आलोचना करने के अपराध में कई लोग जेल भेज दिए जाते हैं मानों हम भारत में नहीं पाकिस्तान में हैं जहाँ कुरान और इस्लाम की आलोचना करना अक्षम्य अपराध है.
मित्रों, अब आगे अपने देश में क्या होनेवाला है ये तो भगवान और अल्लाह जाने. इस समय मेरे हिसाब से सबसे बड़ी समस्या कोरोना नहीं है बल्कि देश की सबसे बड़ी समस्या भारतीय मुसलमानों के मन से भारत के प्रति पैदा हो रही नफरत है. मुट्ठीभर कट्टरपंथी मुसलमान तो हमेशा से भारत को मुस्लिम देश बनाना चाहते हैं लेकिन जिस तरह कथित उदारवादी भी पिछले कुछ समय से पहले मोदी विरोधी फिर हिन्दू विरोधी और अंततः भारतविरोधी होते जा रहे हैं वह देश के लिए काफी खतरनाक है. समझ में नहीं आता कि मोदी और हिन्दुओं ने उनका क्या बिगाड़ा है? पहले आमिर खान, नसीरुद्दीन शाह, प्रतापगढ़ी, गुलाम नबी आज़ाद, शाह फैसल, जफरुल इस्लाम और अब मुन्नवर राणा. जफरुल इस्लाम जो दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष हैं ने जहाँ भारत के हिन्दुओं को अरब देशों की धमकी दे डाली वहीँ मुन्नवर राणा के मतानुसार भारत के ३५ करोड़ मुसलमान इन्सान हैं और भारत के १०० करोड़ हिन्दू जानवर जो सिर्फ वोट देना जानते हैं. राणा का बयान खुद ही इस बात को बयां कर रहा है कि ये साहिबान जो अभी तक दुनिया को मुहब्बत का पैगाम सुनाते फिर रहे हैं वो सारा सिर्फ-और-सिर्फ फरेब है. इस आदमी के दिमाग में हिन्दुओं के प्रति सिर्फ जहर भरा हुआ है. जिस तरह इतने बड़े शायर फरेबी निकले हैं उससे कहना न होगा भारत के सारे मुसलमान संदेह के घेरे में आ गए हैं कि क्या उनका देशप्रेम भी फरेब है और समय आने पर वे भी पल्टी मार जाएंगे?
मित्रों, वैसे एक बात तो निश्चित है कि अब न १९४७ का साल है और न ही भारत पर अंग्रेजों की हुकूमत है इसलिए भारत और एक बार टूटने से तो रहा. फिर अभी भी भारत के बहुत सारे मुसलमान भारत पर अपनी जान छिड़कते हैं. कम-से-कम कश्मीर में शहीद हो रहे जवानों के नाम तो इसकी तस्दीक करते हैं और उम्मीद बंधाते हैं.

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