बुधवार, 5 अगस्त 2020

मंदिर निर्माण से राष्ट्र निर्माण की ओर प्रयाण


मित्रों, ब्रह्माण्ड नायक मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के मंदिर निर्माण के महती कार्य की आज भारत के प्रधानमंत्री परम आदरणीय नरेन्द्र मोदी के कर कमलों से शुरुआत हो चुकी है. इस पूरे कार्यक्रम के दौरान सबसे अच्छी बात यह रही कि सारे वक्ताओं ने जिनमें प्रधानमंत्री मोदी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी शामिल थे, इस बात पर जोर दिया कि मंदिर निर्माण से भारत निर्माण की तरफ प्रयाण किया जाए. इसी दृष्टि को दृष्टिगत रखते हुए की दूसरे धर्मों को मानने वालों को भी समारोह में निमंत्रित किया गया था।

मित्रों, प्रधानमंत्री मोदी ने अपने प्रसिद्ध नारे सबका साथ सबका विकास समाहित करते हुए अपने मंत्रमुग्ध कर देनेवाले संबोधन में कहा कि राम सबके है और राम सबमें हैं. हिन्दू मन तो हमेशा से यही मानता रहा है कि संसार के सारे धर्मों और पंथों को माननेवालों का लक्ष्य एक ही ईश्वर है-तात्पर्य यह कि रुचिनां वैचित्र्यादृजुकुटिलनानापथजुषाम् । नृणामेको गम्यस्त्वमसि पयसामर्णव इव ।। जैसे विभिन्न नदियाँ भिन्न भिन्न स्रोतों से निकलकर समुद्र में मिल जाती हैं, उसी प्रकार हे प्रभो! भिन्न भिन्न रुचि के अनुसार विभिन्न टेढ़े-मेढ़े अथवा सीधे रास्ते से जानेवाले लोग अन्त में तुझमें ही आकर मिल जाते हैं। (श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय ११, श्लोक-२८)

मित्रों, कहने का तात्पर्य यह है कि भारत अनंत काल से ईश्वर की एकत्वता का प्रतिपादक रहा है. भले ही दूसरे धर्मवाले ऐसा मानें कि उसका ईश्वर अलग और सर्वश्रेष्ठ है हिन्दूं धर्म के अनुयायियों ने कभी उनके प्रति विद्वेष की भावना अपने मन में नहीं रखी और सदा-सर्वदा उनका तू वसुधैव कुटुम्बकम् में अटूट विश्वास बना रहा. न जाने कितने हूण, शक, कुषाण, यूनानी, ईरानी प्राचीन काल में भारत आए और भारतीय सनातन समाज ने उनको इस तरह अपने भीतर प्रेमपूर्वक समाहित कर लिया कि आज कोई नहीं बता सकता कि उनका मूल क्या था.

मित्रों, मोदी जी ने अपने भाषण में आगे कहा कि जहाँ तक राम का प्रश्न है तो राम भारत के कण-कण में हैं, हर मन में हैं और न सिर्फ भारत बल्कि इण्डोनेशिया, कम्बोडिया, लाओस, मलेशिया, ईरान में भी पूजित हैं. राम भारत की एकता का सबसे सशक्त साधन हैं, कारण हैं. वहीं आरएसएस के सरसंघचालक मोहनराव भागवत ने अपने भाषण में कहा कि हमें अपने मन में भी राम का एक मंदिर बनाना है और उसमें राम के महान आदर्शों की स्थापना करनी है।
मित्रों, निश्चित रूप से आज भारत के इतिहास में नए अध्याय की शुरुआत हुई है. आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने हिंदी साहित्य के इतिहास में भक्तिकाल की व्याख्या करते हुए कहा था कि अपने पौरुष से हताश जाति के लिए भगवान की शक्ति और करुणा की ओर ध्यान ले जाने के अतिरिक्त दूसरा मार्ग ही क्या था? आज उसी हताश जाति के मनोबल और आत्मसम्मान की पुनर्स्थापना का दिन है. लेकिन जैसा कि मैंने ऊपर कहा कि हिन्दू कभी किसी को पराया नहीं मानता और न ही किसी का बुरा चाहता है बल्कि वो  तो भगवान से हमेशा प्रार्थना करता है कि सर्वे भवन्तु सुखिनः मोदी जी का आज का आह्वान इसी जीवन-सूत्र की पुष्टि करता है.  

मित्रों, कहने का आशय यह है कि मंदिर-निर्माण के साथ-साथ मोदी जी ने राष्ट्र-निर्माण का भी महान संकल्प लिया है. इस महान कार्य को वे अकेले नहीं कर सकते इसलिए हम सारे भारतवासियों को भी इसके लिए अनथक परिश्रम करना होगा. उनके हाथ मजबूत करने होंगे। इस समय भारत चारों तरफ से संकटों और चुनौतियों से घिरा हुआ है. कोरोना के कारण हमारी अर्थव्यवस्था बर्बाद हो चुकी है. रामजी के आशीर्वाद से उसे पटरी पर लाना  है और इस तरह से पटरी पर लाना है जिससे भारत एक बार फिर से दुनिया की सबसे बड़ी जीडीपी वाला विकसित राष्ट्र बन जाए. इसके साथ ही चीन को भी धूल चटाना है जिसकी सेनाएं इस समय हमारी सीमाओं पर खड़ी हैं. जय सियाराम, जय जय राम।

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