रविवार, 12 दिसंबर 2021
टापी से महासागर में मछली पकड़ रहे नीतीश जी
मित्रों, उन दिनों हम अपनी नानी के गाँव वैशाली जिले के महनार थाने के जगन्नाथपुर में रहते थे. जब गाँव में बाढ़ का पानी आता तो हम बच्चे रात में टापी लेकर मछली पकड़ने निकलते. रोशनी के लिए साईंकिल के पुराने टायरों को जलाया जाता. टापी बांस की एक लम्बी बेलनाकार टोकरी होती है जिसका निचला सिरा ऊपर वाले सिरे से ज्यादा चौड़ा होता है. रात में कई मछलियाँ किनारे में उथले पानी में आ जाती थीं. हम टापी को उसके ऊपर डाल देते और फिर ऊपर से हाथ घुसाकर पकड़ लेते. इस तरह कुछेक मछली हमारे हाथ लग जाती बांकी आवाज सुनकर गहरे पानी में भाग जाती.
मित्रों, इन दिनों बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी भी टापी लेकर भ्रष्ट अधिकारियों-कर्मचारियों का शिकार करने निकले हैं. कभी उनका निगरानी विभाग आरा में किसी राजस्व कर्मी को घूस लेते पकड़ लेता है तो कभी हाजीपुर में किसी श्रम प्रवर्तन अधिकारी को, तो कभी बेतिया में किसी को पकड़ा जाता है तो कभी मधेपुरा में. मतलब नीतीश जी की सरकार टापी लेकर महासागर में मछली पकड़ने निकली है. कम-से-कम उसके पास जाल तो होना चाहिए जिससे एक बार में सामूहिक रूप से कई सारी मछलियाँ पकड़ी जातीं.
मित्रों, कहने की जरुरत नहीं कि बिहार का ऐसा कोई विभाग नहीं है जहाँ बिना रिश्वत दिए काम होता हो. यही कारण है कि बिहार के लोग गरीब होते जा रहे हैं और सरकारी अधिकारी और कर्मचारी धनकुबेर. इस सन्दर्भ में मुझे एक लोककथा का उल्लेख करना समीचीन प्रतीत होता है. उस लोककथा में एक राजा के घोड़े दुबले होते जा रहे थे जबकि उनकी देखभाल के लिए नियुक्त किए गए अधिकारी और कर्मचारी मोटे और मोटे होते जा रहे थे. राजा घोड़ों के खाने के लिए काजू-बादाम भेजता फिर भी घोड़ों का स्वास्थ्य गिरता जा रहा था. लेकिन इतनी-सी बात नीतीश जी की समझ में नहीं आ रही. यही कारण है कि उनके शासन में बिहार उड़ीसा को पछाड़ कर भारत का सबसे गरीब राज्य बन गया.
मित्रों, सच्चाई तो यही है कि हाजीपुर के श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी दीपक शर्मा तो क्या कोई भी अधिकारी-कर्मचारी वार्षिक संपत्ति विवरण में सही विवरण नहीं देता. ऐसे में टापी से मछली पकड़ने से काम नहीं चलनेवाला, तालाब में मछली पकड़ने के काम आनेवाले जाल से भी काम नहीं चलनेवाला. गंगा में मछली पकड़ने के काम आनेवाला महाजाल भी बेकार साबित होगा. आखिर बिहार सरकार भ्रष्टाचार की महासागर जो ठहरी. इसके लिए तो प्रशांत महासागर में मछली पकडनेवाला जापानी जहाज चाहिए होगा. सवाल यह भी उठता है कि कोई बिल्ली अपने ही गले में घंटी बांधेगी क्या? क्योंकि व्यापक पैमाने पर जांच होने पर निश्चित रूप से कई सारे नेता भी पकडे जाएँगे. इतना बड़ा भ्रष्ट तंत्र बिना मंत्री-मुख्यमंत्री-नेता की सहमति के तो चल ही नहीं सकता. फिर नेता लोग भी चुनाव में नामांकन के समय अपने और अपनी संपत्ति के बारे में कौन-सा सही विवरण देते हैं.
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