बुधवार, 29 दिसंबर 2021

नमामि गंगे के नाम पर हाजीपुर से धोखा?

मित्रों, हाजीपुर के लिए बरसात में जलजमाव की समस्या कोई नहीं बात नहीं है. पहले भी शहर को इस समस्या से मुक्त कराने के दावे किए गए हैं. योजनाएं बनी हैं लेकिन नतीजा सिर्फ सिफर रहा है. साल २०१३-१४ में भी घरों से रोजाना निकलनेवाले गंदे पानी की निकासी के नाम पर जमकर पैसा बनाया गया. किसी ट्राईटेक कम्पनी को ठेका दिया गया था. १२० करोड़ की योजना थी लेकिन उसकी द्वारा बिछाए गए पाइप से एक बूंद पानी नहीं निकला. बाद में उस टेंडर का क्या हुआ मैं नहीं बता सकता. मित्रों, फिर आया २०२१ का साल. मई के अंतिम सप्ताह से जो बरसात शुरू हुई अक्तूबर तक रुकी ही नहीं. पूरे उत्तर बिहार में जल प्रलय की स्थिति उत्पन्न हो गई. हाजीपुर की स्थिति तो कुछ ज्यादा ही नारकीय हो गई. फिर सड़कों और घरों से पानी निकालने और डूबी हुई सडको पर ईंटों के टुकड़े गिराने का खेल शुरू हुआ. मित्रों, भयंकर बरसात से लाभ यह हुआ कि अब फिर से एक बार हाजीपुर के घरों से जल-निकासी प्रणाली विकसित करने के लिए योजना बनने लगी. इस बार इसका जिम्मा नमामि गंगे और एक गुजरती कंपनी को दिया गया और इस बार बजट भी बढाकर ३१६ करोड़ का कर दिया गया. मित्रों, इस बीच २७ और २८ अक्तूबर को हमारी गली जो वैशाली महिला थाना के ठीक पीछे है में सड़क को खोदकर चेंबर बनाया गया और उसको पाइप से ट्राईटेक द्वारा पूर्व में बनाए गए चेंबर से जोड़ दिया गया. लेकिन उसके बाद से आज तक हमारी गली के निवासी इंतजार कर रहे हैं क्योंकि गली के सिर्फ चार घरों के आगे ही सड़क खोदने और चेम्बर बनाने का काम किया गया जबकि चार घर बचे रह गए. मित्रों, हाजीपुर के विधायक अवधेश सिंह जी का कहना है कि काम २४ महीने में पूरा होना है और उसके बाद १५ सालों तक रख-रखाव का काम भी उसी कंपनी को करना है जो इस काम को करने जा रही है लेकिन जिस तरीके से काम हो रहा है उससे फिर से हाजीपुर के जनमानस के मन में सन्देश उत्पन्न हो रहा है कि क्या यह काम कभी पूरा भी होगा या फिर जिस तरह २०१३-१४ में काम अधूरा रह गया था उसी तरह से अधूरा रह जाएगा? दुर्भाग्य की बात यह है कि इस बार भी अगर घोटाला होता है तो वो गंगा माँ के नाम पर होगा क्योंकि इस बार योजना के लिए राशि का आवंटन बहुचर्चित नमामि गंगे के तहत किया गया है.

कोई टिप्पणी नहीं: