शुक्रवार, 24 दिसंबर 2021

अगर योगी हार गए!

मित्रों, आपने भी पढ़ा होगा कि ईसा से ३२६ साल पहले भारत पर सिकंदर ने हमला किया था लेकिन वो पंजाब तक भी नहीं पहुँच सका था क्योंकि तब भारतीयों को अहिंसा की बीमारी नहीं लगी थी. सिकंदर को एक-एक ईंच जमीन के लिए उसी तरह लड़ना पड़ा था जैसे कालांतर में पूरे यूरोप पर कब्ज़ा करनेवाले नेपोलियन को स्पेन में एक-एक ईंच के लिए जूझना पड़ा था. परिणाम यह हुआ कि जो सिकंदर मस्तक गर्वोन्नत करके तूफ़ान की तरह भारत आया था बगुले की तरह सर झुकाए अपने देश लौट गया. फिर उसके कुछ ही समय बाद सिकंदर के सेनापति रहे सेल्यूकस ने भारत पर आक्रमण किया लेकिन उसे करारी हार का सामना करना पड़ा क्योंकि तब उसे पहले से भी ज्यादा जनप्रतिरोध का सामना करना पड़ा था. फिर कई दशकों के बाद मगध के सिंहासन पर सम्राट अशोक बैठे जिन्होंने बौद्धों के बहकावे में आकर देश की जनता को अहिंसा की घुट्टी जमकर पिलाई. परिणाम यह हुआ कि उसकी मृत्यु के बाद भारत छोटे-मोटे आक्रमणों का भी जवाब नहीं दे पाया और अंततः ११९२ में दिल्ली पर मुसलमानों का कब्ज़ा हो गया. फिर सैंकड़ों सालों तक हिन्दुओं का नरसंहार और मंदिरों का विध्वंस चलता रहा. ज्यादातर हिन्दू कोऊ नृप होए हमें का हानि के मूलमंत्र पर चलते रहे. कुछेक क्षेत्रों में जैसे मालवा, राजस्थान, पूर्वोत्तर भारत, आन्ध्र प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र आदि में यद्यपि हिन्दुओं ने कभी हिम्मत नहीं हारी लेकिन आक्रमणकारियों को वो देश से बाहर नहीं निकाल पाए. मित्रों, फिर आया २३ जून, १७५७ का दिन. बंगाल के प्लासी में बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला और ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना आमने-सामने थी. जितने लोग लड़ रहे थे उससे कई गुना लोग दर्शक बनकर उपस्थित थे. देश के भाग्य का फैसला हो रहा था लेकिन लोगों के लिए जैसे यह कोई तमाशा था. फिर भगदड़ मची और सिराज के अधिकतर सैनिकों ने पाला बदल लिया. कुछ सौ अंग्रेज भारतीयों के लालच और भारतीय जनता की तटस्थता से लाभ उठाकर पूरे बंगाल, उड़ीसा और बिहार पर अधिकार कर चुके थे. उपस्थित जनता अपने ही नवाब की सेना के हारने पर ख़ुशी मना रही थी. मित्रों, कुछ महीने बाद ही भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाला है. यह चुनाव एक चुनाव मात्र नहीं है समझिए प्लासी की तरह भारत के भविष्य का निर्णय करनेवाला युद्ध है. इसमें एक तरफ वे लोग हैं जो हिन्दू धर्म के उन्नायक हैं, हिन्दू धर्म और राष्ट्र के प्रति समर्पित हैं, जो हिन्दू धर्म के गौरव की पुनर्स्थापना में लगे हुए हैं वो वहीँ दूसरी ओर वे लोग हैं जो हिन्दुओं और हिंदुत्व के धुर विरोधी हैं, जिनके माथे पर हिन्दू साधू-सन्यासियों पर भी गोली चलवाने कलंक है. कहने का मतलब यह है कि एक तरफ हिन्दुओं की पार्टी है तो दूसरी तरफ मुसलमानों की. मित्रों, इन दिनों ओवैसी जैसे कई नेता अपने भाषणों में यूपी पुलिस तक को धमका रहे हैं कि योगी को हारने दो फिर तुम्हें बताएंगे. मतलब जब पुलिस को धमका रहे हैं तो आम हिन्दुओं का ये लोग क्या करेंगे इसको बंगाल की चुनाव बाद की स्थिति को देखकर आसानी से समझा जा सकता है. इन दिनों पंजाब में भी हिन्दुओं की मोब लिंचिंग होने लगी है. केरल की दशा पहले से ही ख़राब है और कश्मीर में आज भी ३२ साल पहले भगा दिए गए अभागे हिन्दू अपने घर वापस नहीं लौट सके हैं. हो सकता है कि यूपी में कहीं-कहीं रोड टूटी हुई है जो बनाई जा सकती है और बनाई भी जाएगी लेकिन अगर आपको कल घर छोड़ना पर गया तो आप न जाने कहाँ-कहाँ दर-दर की ठोकरें खाते फिरेंगे. मैंने दिल्ली में विस्थापित कश्मीरी हिन्दुओं का दर्द देखा है. मित्रों, इस्लाम धर्म नहीं है सेना है, मार्शल कौम है जबकि हम हिन्दुओं को तो सिर्फ प्रशासन का ही भरोसा है. भगवान न करें अगर कल उत्तर प्रदेश में सरकार बदल जाती है और अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बन जाता है तो निश्चित रूप से एक बार फिर से मुसलमानों का राज हो जाएगा. मैं लम्बे समय तक मुज़फ्फरनगर में रहा हूँ और जानता हूँ कि वहां दंगे हुए नहीं थे करवाए गए थे और इसलिए करवाए गए थे ताकि हिन्दुओं को उनके घरों से भगाया जा सके और उनको इसलिए दण्डित किया जा सके क्योंकि वे हिन्दू हैं. बाद में २०२० में हुए दिल्ली के दंगों के बारे में भी कोर्ट इसी निष्कर्ष पर पहुंची है. मित्रों, ऐसा भी नहीं है कि योगी राज में बिल्कुल भी काम नहीं हुआ हो. कानून-व्यवस्था की स्थिति सुधरी है, बिजली पहले आती नहीं थी अब जाती नहीं है, पूँजी निवेश बढा है. महंगाई भी अब कम हो रही है. प्रशासनिक भ्रष्टाचार घटा है और सबसे बढ़कर राम मंदिर का निर्माण आरम्भ हुआ है और काशी विश्वनाथ कोरिडोर का भव्य निर्माण हुआ है. इन सबसे बढ़कर एक आम हिन्दू का मनोबल बढा है. मित्रों, इतना ही नहीं अगर आज हम यूपी हारते हैं तो कल पूरा भारत हार जाएँगे क्योंकि दिल्ली का रास्ता यूपी से होकर जाता है. अगर हम २०२२ में यूपी में भाजपा को हरा देते हैं तो निश्चित रूप से २०२४ में मोदी प्रधानमंत्री नहीं रह जाएंगे और उनकी जगह अजीबोगरीब संकर नस्ल का मंदबुद्धि जिसे हिन्दुओं से सख्त नफरत है प्रधानमंत्री बन जाएगा. फिर न जाने कब दिल्ली की गद्दी पर कोई भगवा परचम लहराने वाला वीर बैठेगा? ११९२ के बाद २०१४ आने में सदियाँ बीत गईं आगे शायद वो दिन कभी आए भी या नहीं आए. वैसे भी न तो मोदी और न ही योगी का परिवार है जो उनको चुनाव हारने से व्यक्तिगत या पारिवारिक नुकसान हो जाएगा.

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