मित्रों,बिहार भारत के इतिहास का पालना है। इतिहास गवाह है कि भारत में जब-जब परिवर्तन की आंधी चली है कम दबाव का क्षेत्र सबसे पहले बिहार में बना है। आज पटना के गांधी मैदान में भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी की रैली थी। सुबह से ही मैदान में लोगों का आना शुरू हो गया। लेकिन देशविरोधी तत्त्वों का इरादा तो कुछ और ही था। वे तो दुनिया की अब तक की सबसे बड़ी महारैली में आनेवालों को उनके ही खून में नहा देना चाहते थे। एक-एक करके 8 बम फटे जिनमें 5 लोग मारे गए और 50 घायल हो गए। कुछ समय के लिए अफरातफरी भी मची लेकिन परिवर्तन के चिर साक्षी गांधी मैदान से कोई बिना अपने नेता को सुने कैसे वापस जा सकता था? जैसे ही नरेन्द्र मोदी मंच पर आए फिर से मैदान भर गया पहले से भी कहीं ज्यादा। ऐसा जीवट सिर्फ बिहारियों में ही पाया जाता है। देशविरोधियों के इरादे चाहे कितने भी खतरनाक क्यों न हों जनता तो सिर पर कफन बांधकर भाषण सुनने आई थी। इतना ही नहीं 5 विस्फोट तो रैली स्थल पर ही हुए फिर भी न तो जनता ने कोई भगदड़ ही की और न ही मैदान छोड़ा क्योंकि बिहारी मैदान मारने के आदी रहे हैं मैदान छोड़ना उनकी फितरत में ही नहीं है।
मित्रों,मैं नरेन्द्र मोदी जी को धन्यवाद देता हूँ और उनकी इस बात के लिए सराहना करता हूँ कि उन्होंने अपने भाषण में लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की। मैं उनका इसलिए भी आभारी हूँ क्योंकि उन्होंने रैली स्थल पर बम फटने के बावजूद अपने संबोधन को स्थगित नहीं किया और बेखौफ होकर जनसभा को संबोधित किया। संबोधन के समय उनके चेहरे की भाव-भंगिमा यह बता रही थी कि वे सचमुच गुजरात ही भारत के शेर हैं। जिस तरह जनता उनको जान हथेली पर लेकर सुनने के लिए डटी रही वह न सिर्फ उनकी लोकप्रियता का परिचायक है बल्कि उससे इस बात का भी पता चलता है कि देश-प्रदेश के मौजूदा हालात से जनता किस कदर उब चुकी है और किस हद तक परिवर्तन की आकांक्षी है। बिहार की धरती पर देश के विकास के दीवानों की वहाई गई खून की एक-एक बूंद बेकार नहीं जाएगी। उनकी शहादत,उनका लहू 2014 के लोकसभा चुनावों के समय पूरे जोश में बोलेगा,मतों के रूप में हुंकारेगा और तब जाकर इस रैली का हुंकार रैली नाम सार्थक सिद्ध होगा। यहाँ अंत में मैं सुशासन बाबू से पूछना चाहता हूँ कि कहाँ है उनकी कानून और व्यवस्था,कहाँ है उनका सुशासन? क्या सिर्फ दिन-रात सुशासन-2 की रट लगाने से ही प्रदेश में सुशासन आ जाएगा? वे कैसे मुख्यमंत्री हैं,किस बात के मुख्यमंत्री हैं जो रैली के दिन भी आतंकी हमलों को रोक नहीं पाए जबकि पहले से ही ऐसा होने की संभावना थी? क्या वे प्रधानमंत्री बन जाने पर इसी तरह से देश को चलाएंगे अगर किसी दिन सूरज पश्चिम से उग गया तो? क्या हम उनसे उम्मीद रखें कि वे इन हमलों के लिए दोषी अपने बेटियों-दामादों को गिरफ्तार करेंगे और सजा दिलवाएंगे?
मित्रों,मैं नरेन्द्र मोदी जी को धन्यवाद देता हूँ और उनकी इस बात के लिए सराहना करता हूँ कि उन्होंने अपने भाषण में लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की। मैं उनका इसलिए भी आभारी हूँ क्योंकि उन्होंने रैली स्थल पर बम फटने के बावजूद अपने संबोधन को स्थगित नहीं किया और बेखौफ होकर जनसभा को संबोधित किया। संबोधन के समय उनके चेहरे की भाव-भंगिमा यह बता रही थी कि वे सचमुच गुजरात ही भारत के शेर हैं। जिस तरह जनता उनको जान हथेली पर लेकर सुनने के लिए डटी रही वह न सिर्फ उनकी लोकप्रियता का परिचायक है बल्कि उससे इस बात का भी पता चलता है कि देश-प्रदेश के मौजूदा हालात से जनता किस कदर उब चुकी है और किस हद तक परिवर्तन की आकांक्षी है। बिहार की धरती पर देश के विकास के दीवानों की वहाई गई खून की एक-एक बूंद बेकार नहीं जाएगी। उनकी शहादत,उनका लहू 2014 के लोकसभा चुनावों के समय पूरे जोश में बोलेगा,मतों के रूप में हुंकारेगा और तब जाकर इस रैली का हुंकार रैली नाम सार्थक सिद्ध होगा। यहाँ अंत में मैं सुशासन बाबू से पूछना चाहता हूँ कि कहाँ है उनकी कानून और व्यवस्था,कहाँ है उनका सुशासन? क्या सिर्फ दिन-रात सुशासन-2 की रट लगाने से ही प्रदेश में सुशासन आ जाएगा? वे कैसे मुख्यमंत्री हैं,किस बात के मुख्यमंत्री हैं जो रैली के दिन भी आतंकी हमलों को रोक नहीं पाए जबकि पहले से ही ऐसा होने की संभावना थी? क्या वे प्रधानमंत्री बन जाने पर इसी तरह से देश को चलाएंगे अगर किसी दिन सूरज पश्चिम से उग गया तो? क्या हम उनसे उम्मीद रखें कि वे इन हमलों के लिए दोषी अपने बेटियों-दामादों को गिरफ्तार करेंगे और सजा दिलवाएंगे?
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