शुक्रवार, 16 जनवरी 2015

भारतीय राजनीति में आशा की नई किरण किरण बेदी

16 जनवरी,2015,हाजीपुर,ब्रजकिशोर सिंह। मित्रों,मैं कई बार अपने आलेखों में लिख चुका हूँ कि हमारे देश की राजनीति सिर्फ बाहर से गालियाँ देने से स्वच्छ नहीं होनेवाली है बल्कि इसके लिए स्वच्छ मन,चरित्र और विचारवाले लोगों में राजनीति में आना होगा। यह हमारे लिए बड़ी ही खुशी का सबब है कि कल एक ऐसी ही शख्सियत ने भारतीय राजनीति में प्रवेश किया। वह एक ऐसी शख्सियत हैं जिनके बारे में हमलोग बचपन से ही पढ़ते-सुनते आ रहे हैं और उनसे प्रेरणा ग्रहण करते रहे हैं। वह एक ऐसी शख्सियत हैं जिनकी ईमानदारी भारत के भ्रष्टतम विभाग में काम करने के बावजूद संदेह से परे रही है।
मित्रों,वे एक ऐसी शख्सियत हैं जिनके राजनीति में आने के बाद हम निश्चिंत होकर यह कह सकते हैं कि भारत के साथ-साथ दिल्ली के भी अच्छे दिन आनेवाले हैं। आपको पता है कि मैं किनके बारे में बात कर रहा हूँ। वैसे तो वे किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं फिर भी चूँकि आलेख को आगे बढ़ाने के लिए उनका नाम लेना जरूरी है इसलिए मैं उनका नाम ले रहा हूँ और उनका नाम है-किरण बेदी। वही किरण बेदी जो भारत की पहली महिला आईपीएस थीं, वही किरण बेदी जिन्होंने नौकरी को सिर्फ नौकरी की तरह नहीं किया बल्कि देश और समाज की सेवा के हथियार के रूप में प्रयुक्त किया,वही किरण बेदी जिनके लिए देश और समाज ही हमेशा सर्वोपरि रहा,उन्हीं किरण बेदी ने कल भारतीय जनता पार्टी को ज्वाईन कर राजनीति में कदम रखा।
मित्रों,कल तक आम आदमी पार्टी नामक नौटंकिया दल गला फाड़-फाड़कर चिल्ला रहा था कि भाजपा के पास मुख्यमंत्री बनने लायक कौन-सा चेहरा है आज वो खामोश हो गया है क्योंकि आज भाजपा के पास मुख्यमंत्री बनने लायक एक ऐसा चेहरा है जो नौटंकी करने में नहीं बल्कि काम करने में विश्वास रखता है, जो ईमानदार होने का दिखावा नहीं करता बल्कि वास्तव में ईमानदार है। कुछ लोग किरण जी के नरेंद्र मोदी और भाजपा को लेकर पहले दिए गए बयानों को प्रमुखता से दुनिया के सामने लाने में लग गए हैं मैं उनको बताना चाहता हूँ कि एक समय था जब मैं खुद भी नरेंद्र मोदी को पसंद नहीं करता था हालाँकि मैंने उनको कभी देखा-सुना नहीं था। निश्चित रूप से मेरे मन में उनकी जो छवि बनी हुई थी वह मीडिया की देन थी लेकिन जब मैंने उनको पहली बार गुजरात विधानसभा चुनाव जीतने के बाद भाषण करते हुए टीवी पर देखा तो मुझे लगा कि बंदे में दम है और सिर्फ यही एक आदमी माँ भारती की बिगड़ी हुई तकदीर को बदल सकता है। तभी से मैंने बिना किसी लाग-लपेट व बिना किसी शंका-संदेह के उनका समर्थन करना शुरू कर दिया।
मित्रों,हो सकता है कि किरण बेदी जी के साथ भी ऐसा ही हुआ हो क्योंकि आज हमारे देश में जो आशा व उत्साह का माहौल है क्या कोई पिछले साल आज की ही तारीख में कल्पना भी कर सकता था? मैंने तो यहाँ तक लिख दिया था कि भारत में संसदीय प्रणाली फेल साबित हो चुकी है और हमें देर-सबेर अध्यक्षीय शासन प्रणाली को अपनाना ही पड़ेगा लेकिन आज मैं यह कह सकता हूँ कि नरेंद्र मोदी ने कुछ ऐसा जादू भारत की जनता पर कर दिया है कि मुझे यकीन ही नहीं हो रहा है कि भारत में संसदीय शासन प्रणाली है बल्कि ऐसा प्रतीत हो रहा है कि भारत में अमेरिका की तरह ही अध्यक्षीय शासन प्रणाली है।
मित्रों,इसलिए इस विवाद को ज्यादा तूल नहीं दिया जाना चाहिए कि नरेंद्र मोदी को लेकर भूतकाल में किरण बेदी के क्या विचार थे और वर्तमान काल में हमें यह देखना चाहिए कि हम किरण जी की जीवटता और योग्यता से क्या लाभ उठा सकते हैं? हमें किरण जी के राजनीति में पदार्पण को एक अवसर के रूप में लेना चाहिए और उनको अपनी कल्पना को साकार करने का अवसर देना चाहिए। मैं मानता हूँ कि राम-राज्य एक आदर्श है और उसको शत-प्रतिशत प्राप्त करना संभव ही नहीं है फिर भी अगर कोई उस आदर्श को 50 प्रतिशत तक भी प्राप्त कर लेता है तो उसे एक अद्भुत उपलब्धि माना जाना चाहिए और मैं समझता हूँ कि किरण जी भविष्य में उसी दिशा में प्रयास करनेवाली हैं।
(हाजीपुर टाईम्स पर भी प्रकाशित)

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