मित्रों,यूँ तो जबसे मैंने करीब 35 साल पहले रामचरित मानस के वर्षा ऋतु वर्णन में जिमि पाखंडवाद से लुप्त होहिं सदपंथ पढ़ा कदाचित उसके भी पहले से पाखंडवाद का सख्त विरोधी रहा हूँ लेकिन बाद के वर्षों में नेताओं का पाखंडयुक्त व्यवहार और चिथड़ा ओढ़कर घी पीने की प्रवृत्ति को देखकर मेरा खून उबाल खाने लगा और फिर जैसे ही ब्लॉगिंग की शुरुआत हुई मैंने ब्लॉगिंग करना शुरू कर दिया। पहले अन्ना और केजरीवाल का समर्थन किया लेकिन उनके प्रति अपने मन में संदेह उत्पन्न होने के बाद नरेंद्र मोदी का खुलकर साथ दिया। मैं हमेशा से तटस्थता की नीति का घोर विरोधी रहा हूँ और राम को अपना आदर्श मानते हुए हमेशा अन्याय का बेखौफ होकर प्रतिकार किया है।
मित्रों,सबसे पहले मुझे ब्लॉगिंग में समस्या हुई 2014 के लोकसभा चुनावों के समय। तब नवभारत टाईम्स ने मेरे आलेखों को प्रकाशित करने से मना करना शुरू कर दिया। शायद,नरेंद्र मोदी का विरोध करना ही उस अखबार की नीति थी और आज भी है। मैने बार-बार की रोक-टोक से परेशान होकर नवभारत टाईम्स में लिखना ही बंद कर दिया।
मित्रों,पिछले साल बिहार विधानसभा चुनावों के समय एक दिन मैंने पाया कि मेरे ब्लॉगों की सूची से भड़ास गायब है। मैं स्तब्ध था क्योंकि कड़वा सच प्रकाशित करना ही उस ब्लॉग का घोषित उद्देश्य था। यूँ तो भड़ास के मालिक यशवंत की जेलयात्रा से भी मैं वाकिफ था तथापि भड़ास पर लिखने से रोक दिए जाने से मुझे गहरा धक्का लगा। जब तत्काल भड़ास 4 मीडिया वेबसाईट पर गया तो पाया वेबसाईट पर सबसे ऊपर नीतीश कुमार जी का प्रसिद्ध विज्ञापन बिहार में बहार हो नीतीशे कुमार हो लगा हुआ था। जाहिर था कि यशवंत को उन्होंने खरीद लिया था। इसके बाद यही विज्ञापन दैनिक जागरण की वेबसाईट पर भी विराजमान हो गया और उसके बाद से दैनिक जागरण ने मेरे किसी भी ब्लॉग को अपने अखबार में स्थान नहीं दिया। उस पर जले पर नमक यह कि किसी विरोधी ने मेरे अखबार हाजीपुर टाईम्स की वेबसाईट को ही हैक कर लिया।
मित्रों,इस बीच मैं आर्थिक संकट के दौर से भी गुजर रहा था इसलिए जनवरी से ही पटना की दौड़ लगानी शुरू कर दी। अपने उन मित्रों से भी बातचीत की जिनकी कभी मैंने कड़की के समय मदद की थी लेकिन सब बेकार। पटना के किसी भी बड़े अखबार ने मुझे नौकरी नहीं दी। दे भी क्यों जबकि मैं सीधे सीएम के निशाने पर हूँ। हालाँकि मैं अपनी माली हालत के चलते इन दिनों बेहद परेशान हूँ जिसके चलते मैंने बीच में लिखना काफी कम कर दिया था लेकिन अब मैंने फिर से देशहित में धड़ल्ले से लिखने का निर्णय किया है और नीतीश जी को खुली चुनौती देता हूँ कि जब तक मेरे जिस्म में खून की एक-एक बूंद बाँकी है कसम अपने पूर्वजों की भूमि महोबा की पवित्र मिट्टी की मैं आप और आपके जैसे चिथड़ा ओढ़कर घी पीनेवाले महापाखंडी,महाभ्रष्ट नेताओं के खिलाफ लिखता रहूंगा। नीतीश जी थैंक यू वेरी मच मेरे इरादों को और भी मजबूत करने के लिए। अगर आपमें दम है तो मुझे लिखने से पूरी तरह से रोक कर बताईए लेकिन इसके लिए आपको मेरी साँसें रोकनी पड़ेगी।
मित्रों,सबसे पहले मुझे ब्लॉगिंग में समस्या हुई 2014 के लोकसभा चुनावों के समय। तब नवभारत टाईम्स ने मेरे आलेखों को प्रकाशित करने से मना करना शुरू कर दिया। शायद,नरेंद्र मोदी का विरोध करना ही उस अखबार की नीति थी और आज भी है। मैने बार-बार की रोक-टोक से परेशान होकर नवभारत टाईम्स में लिखना ही बंद कर दिया।
मित्रों,पिछले साल बिहार विधानसभा चुनावों के समय एक दिन मैंने पाया कि मेरे ब्लॉगों की सूची से भड़ास गायब है। मैं स्तब्ध था क्योंकि कड़वा सच प्रकाशित करना ही उस ब्लॉग का घोषित उद्देश्य था। यूँ तो भड़ास के मालिक यशवंत की जेलयात्रा से भी मैं वाकिफ था तथापि भड़ास पर लिखने से रोक दिए जाने से मुझे गहरा धक्का लगा। जब तत्काल भड़ास 4 मीडिया वेबसाईट पर गया तो पाया वेबसाईट पर सबसे ऊपर नीतीश कुमार जी का प्रसिद्ध विज्ञापन बिहार में बहार हो नीतीशे कुमार हो लगा हुआ था। जाहिर था कि यशवंत को उन्होंने खरीद लिया था। इसके बाद यही विज्ञापन दैनिक जागरण की वेबसाईट पर भी विराजमान हो गया और उसके बाद से दैनिक जागरण ने मेरे किसी भी ब्लॉग को अपने अखबार में स्थान नहीं दिया। उस पर जले पर नमक यह कि किसी विरोधी ने मेरे अखबार हाजीपुर टाईम्स की वेबसाईट को ही हैक कर लिया।
मित्रों,इस बीच मैं आर्थिक संकट के दौर से भी गुजर रहा था इसलिए जनवरी से ही पटना की दौड़ लगानी शुरू कर दी। अपने उन मित्रों से भी बातचीत की जिनकी कभी मैंने कड़की के समय मदद की थी लेकिन सब बेकार। पटना के किसी भी बड़े अखबार ने मुझे नौकरी नहीं दी। दे भी क्यों जबकि मैं सीधे सीएम के निशाने पर हूँ। हालाँकि मैं अपनी माली हालत के चलते इन दिनों बेहद परेशान हूँ जिसके चलते मैंने बीच में लिखना काफी कम कर दिया था लेकिन अब मैंने फिर से देशहित में धड़ल्ले से लिखने का निर्णय किया है और नीतीश जी को खुली चुनौती देता हूँ कि जब तक मेरे जिस्म में खून की एक-एक बूंद बाँकी है कसम अपने पूर्वजों की भूमि महोबा की पवित्र मिट्टी की मैं आप और आपके जैसे चिथड़ा ओढ़कर घी पीनेवाले महापाखंडी,महाभ्रष्ट नेताओं के खिलाफ लिखता रहूंगा। नीतीश जी थैंक यू वेरी मच मेरे इरादों को और भी मजबूत करने के लिए। अगर आपमें दम है तो मुझे लिखने से पूरी तरह से रोक कर बताईए लेकिन इसके लिए आपको मेरी साँसें रोकनी पड़ेगी।
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