बुधवार, 11 जनवरी 2017

मोदी जी कब चलेगा भ्रष्ट पुलिस पर सुधार का डंडा

मित्रों,यह बात सर्वविदित है कि पुलिस चाहे वो किसी भी राज्य की हो उस राज्य की सबसे भ्रष्ट संस्था है.बिहार में तो दारोगा शब्द का विशेष तरीके से शब्द-विस्तार भी किया जाता है कि द रो के या गा के.मतलब कि पुलिस का काम ही रिश्वत खाना है वो आज से नहीं अंग्रेजों के ज़माने से ही.हो भी क्यों नहीं भारतीय पुलिस का न सिर्फ ढांचा बल्कि उसको पावर देनेवाले कानून भी अंग्रेजों के ज़माने के हैं.और यह तो हम सभी जानते हैं कि अंग्रेजों ने भारत पर कब्ज़ा कोई परोपकार की भावना से ओतप्रोत होकर नहीं किया था बल्कि भारत को अनंत काल तक लूटने के लिए किया था.इसलिए जाहिर है कि हमारी पुलिस का ढांचा और हमारे कानून आज भी देश को लूटने की दृष्टि से वर्तमान हैं.
मित्रों,कई साल पहले मैंने राजनीतिक दलों को मिलनेवाले चंदे में होनेवाली गड़बड़ियों के बारे में ७ अप्रैल,२०११ को एक आलेख लिखा था कि कैसे बांधे बिल्ली खुद अपने ही गले में घंटी.यह ख़ुशी की बात है कि एक लंबे इंतज़ार के बाद लंबी तपस्या के उपरांत भारत में एक ऐसा प्रधान सेवक सत्ता में आया है जो अपने साथ-साथ सबके गले में घंटी बांधने को न सिर्फ तैयार है बल्कि तत्पर भी है.
मित्रों,हम अपने देश के उसी प्रधान सेवक से हाथ जोड़कर विनती करते हैं कि देशभर की पुलिस को लुटेरी से सेविका बनाने के लिए संसद से कानून बनवाएं और देश की जनता की इन कथित रक्षकों के अत्याचार से रक्षा करें.वैसे भी पुलिस से परेशान गरीब,कमजोर और अनपढ़ लोग ही ज्यादा हैं क्योंकि पुलिस गांधीजी के ज़माने से लेकर आज तक अमीरों की रखैल है.प्रधानसेवक जी भ्रष्टाचार को अगर जड़ से उखाड़कर उसकी जड़ में मट्ठा डालना है तो पहली प्राथमिकता निश्चित रूप से इस सबसे भ्रष्ट विभाग को देनी होगी.हमें इंतज़ार रहेगा कि आप इस दिशा में क्या कदम उठाते हैं.देश को बदलना है तो देश के हर विभाग का कायाकल्प करना होगा.

कोई टिप्पणी नहीं: