मित्रों,हम बिहारी वर्षों से गाड़ियों के पीछे एक चेतावनी लिखी हुई पढ़ते आ रहे हैं-लटकले त गेले बेटा यानि अगर गाड़ी के पीछे लटके तो गए. मगर कहाँ? शायद यहाँ जाने से मतलब सुरधाम या अस्पताल होगा. खैर गाड़ियों के पीछे लटकना खतरनाक कर्म है इसलिए ऐसी चेतावनी उचित भी है लेकिन बिहार तो बिहार है और बतौर रवीश कुमार बिहार में आकर बहार की गाड़ी पंक्चर हो गयी है. तो इसलिए यहाँ रोजाना कुछ-न-कुछ उलट होता रहता है.
मित्रों,आपने भारत तो क्या पूरी दुनिया में ऐसा कोई देश-प्रदेश नहीं देखा होगा जहाँ टॉप करने वालों को अनिवार्य तौर पर जेल जाना पड़ता है. टॉप हुए नहीं कि हाथों में हथकड़ी लगी समझिए. मुश्किल यह है कि किसी-न-किसी को टॉप तो होना ही होता है. फिर जब पता चलता है कि टॉप करनेवाले को तो विषय का कुछ अता-पता ही नहीं है तो सरकार हर साल इंटर रिजल्ट के बाद कटते-कटते तोला से माशा हो चुकी अपनी नाक को बचाने के लिए टॉपर को ही जेल भेज देती है.
मित्रों,वैसे टॉप होने के लिए सिर्फ टॉपर दोषी हो ऐसा भी नहीं है. जहाँ इंटर गणित की कॉपी मिडिल स्कूल का हिंदी का टीचर जांचे वहां कोई भी टॉप हो सकता है और कोई भी फेल हो सकता है. शायद इसलिए लालू जी के दोनों पुत्रों ने कभी बिहार से मैट्रिक या इंटर पास करने का प्रयास नहीं किया. अभी तो अच्छे भले मंत्री हैं पता नहीं अपनी या फिर परीक्षक की गलती से टॉप-वॉप कर गए तो जेल तो जाएँगे ही मंत्री-पद से भी हाथ धोना पड़ेगा.
मित्रों,वैसे एक सलाह आपके लिए भी है. या तो आप खुद ही मैट्रिक-इंटर में पढ़ रहे होंगे या फिर हो सकता है कि आपके बच्चे पढ़ रहे हों. तो मैं कह रहा था कि अगर आपके बच्चे ने जेईई वगैरह क्रैक किया हो या इस तरह की क्षमता रखता हो तो कदापि बिहार बोर्ड से उसका फॉर्म न भरवाएं. क्योंकि अगर उसको हिंदी या उर्दू के मिडिल स्कूल के टीचर ने गणित,भौतिकी या रसायन शास्त्र में फेल कर दिया तो आपके बच्चे का तो भविष्य ही बर्बाद हो जाएगा. फिर दौड़ते रह जाईएगा बिहार बोर्ड के दफ्तर में मगर होगा कुछ नहीं.
मित्रों,आप कह सकते हैं कि जब बिहार में हमेशा इतना कुछ होता रहता है तो इसके लिए कोई-न-कोई तो दोषी होगा. तो आपको बता दें कि अपने नीतीश कुमार तो खुद को कभी दोषी मानते ही नहीं हैं इसलिए वे दोषी नहीं हैं. हर विवाद के बाद वे किसी लालकेश्वर या परमेश्वर को बलि का बकरा बना देते हैं लेकिन यह नहीं बताते कि लालकेश्वर और परमेश्वर खुद उनकी नाक के बाल क्यों थे? वैसे अगर आपके बच्चे भी मैट्रिक-इंटर में बिहार बोर्ड से पढ़ रहे हों तो उनको कम पढने के लिए बोलिए क्योंकि कहीं गलती से टॉप कर गए तो आप भी फजीहत में पड़ जाईएगा. वैसे जब हिंदी-उर्दू का टीचर गणित की कॉपी जांचेगा तो हो सकता है कि आपका बेटा कॉपी में फ़िल्मी गाना लिखकर भी टॉप कर जाए. भैया बिहार में तो बहार है इसलिए कभी भी किसी के साथ भी ऐसा हादसा हो सकता है.
मित्रों,आपने भारत तो क्या पूरी दुनिया में ऐसा कोई देश-प्रदेश नहीं देखा होगा जहाँ टॉप करने वालों को अनिवार्य तौर पर जेल जाना पड़ता है. टॉप हुए नहीं कि हाथों में हथकड़ी लगी समझिए. मुश्किल यह है कि किसी-न-किसी को टॉप तो होना ही होता है. फिर जब पता चलता है कि टॉप करनेवाले को तो विषय का कुछ अता-पता ही नहीं है तो सरकार हर साल इंटर रिजल्ट के बाद कटते-कटते तोला से माशा हो चुकी अपनी नाक को बचाने के लिए टॉपर को ही जेल भेज देती है.
मित्रों,वैसे टॉप होने के लिए सिर्फ टॉपर दोषी हो ऐसा भी नहीं है. जहाँ इंटर गणित की कॉपी मिडिल स्कूल का हिंदी का टीचर जांचे वहां कोई भी टॉप हो सकता है और कोई भी फेल हो सकता है. शायद इसलिए लालू जी के दोनों पुत्रों ने कभी बिहार से मैट्रिक या इंटर पास करने का प्रयास नहीं किया. अभी तो अच्छे भले मंत्री हैं पता नहीं अपनी या फिर परीक्षक की गलती से टॉप-वॉप कर गए तो जेल तो जाएँगे ही मंत्री-पद से भी हाथ धोना पड़ेगा.
मित्रों,वैसे एक सलाह आपके लिए भी है. या तो आप खुद ही मैट्रिक-इंटर में पढ़ रहे होंगे या फिर हो सकता है कि आपके बच्चे पढ़ रहे हों. तो मैं कह रहा था कि अगर आपके बच्चे ने जेईई वगैरह क्रैक किया हो या इस तरह की क्षमता रखता हो तो कदापि बिहार बोर्ड से उसका फॉर्म न भरवाएं. क्योंकि अगर उसको हिंदी या उर्दू के मिडिल स्कूल के टीचर ने गणित,भौतिकी या रसायन शास्त्र में फेल कर दिया तो आपके बच्चे का तो भविष्य ही बर्बाद हो जाएगा. फिर दौड़ते रह जाईएगा बिहार बोर्ड के दफ्तर में मगर होगा कुछ नहीं.
मित्रों,आप कह सकते हैं कि जब बिहार में हमेशा इतना कुछ होता रहता है तो इसके लिए कोई-न-कोई तो दोषी होगा. तो आपको बता दें कि अपने नीतीश कुमार तो खुद को कभी दोषी मानते ही नहीं हैं इसलिए वे दोषी नहीं हैं. हर विवाद के बाद वे किसी लालकेश्वर या परमेश्वर को बलि का बकरा बना देते हैं लेकिन यह नहीं बताते कि लालकेश्वर और परमेश्वर खुद उनकी नाक के बाल क्यों थे? वैसे अगर आपके बच्चे भी मैट्रिक-इंटर में बिहार बोर्ड से पढ़ रहे हों तो उनको कम पढने के लिए बोलिए क्योंकि कहीं गलती से टॉप कर गए तो आप भी फजीहत में पड़ जाईएगा. वैसे जब हिंदी-उर्दू का टीचर गणित की कॉपी जांचेगा तो हो सकता है कि आपका बेटा कॉपी में फ़िल्मी गाना लिखकर भी टॉप कर जाए. भैया बिहार में तो बहार है इसलिए कभी भी किसी के साथ भी ऐसा हादसा हो सकता है.
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