सोमवार, 16 अक्टूबर 2017

जारी है अरेस्ट वारंट, फिर भी थमा दी महिला थाना की कमान

मित्रों, एक कहावत तो आपने सुनी होगी कि भगवान के घर देर है लेकिन अंधेर नहीं. लेकिन बिहार में तो देर भी लगती है और अंधेर भी ख़त्म नहीं होता. हाजीपुर में पुलिस डिपार्टमेंट का एक अजीब कारनामा सामने आया है. मामला है वारंटी एसएचओ को थाने की कमान देने का. दरअसल मुजफ्फरपुर कोर्ट की वारंटी लेडिज पुलिस सब इंसपेक्टर पूनम वैशाली के हाजीपुर महिला थाना की थानेदार हैं. कोर्ट के आदेश की परवाह नहीं है. संबंधित कोर्ट से लेकर डिस्ट्रिक्ट जज, उच्च न्यायालय में उनकी अग्रिम जमानत अर्जी खारिज हो चुकी है. लोकायुक्त पटना तक मामला पहुंच चुका है.कानून की अवहेलना का मामला संज्ञान में लाए जाने के बाद लोकायुक्त भी हैरान हैं. वैशाली एसपी को जीएससीसीए रूल का हवाला देते हुए पूछा गया है जिस पुलिस पदाधिकारी को निलंबित करते हुए उनके विरुद्ध विभागीय स्तर पर कार्रवाई होनी चाहिए थी वे अपने पद पर कैसे बनी हुई हैं. कैसे वे थानेदारी कर रही है?

लोकायुक्त पटना ने इस मामले को गंभीरता से लिया है. मामले की सुनवाई की तिथि 25 जुलाई 2017 निर्धारित करते हुए आरोपी को हाजिर कराने के संबंध में एसपी को लिखा गया था. वहीं हाजीपुर महिला थाना की एसएचओ पूनम कुमारी के खिलाफ आरोपों की जांच कर तीन माह के भीतर रिपोर्ट देने को कहा गया है.

मामले में आरोपित की गईं एसआई पूनम ने अग्रिम जमानत के लिए कोर्ट में आवेदन दिया था. 14 दिसंबर 1999 को कोर्ट ने वेल पीटिशन खारिज कर 10 दिनों के भीतर कोर्ट में समर्पण करने का आदेश दिया था.

 इसके बाद वे डिस्ट्रिक्ट जज की कोर्ट में एंटी सेपरेटरी बेल के लिए 234/99 पीटिशन दिया वह भी मामले की गंभीरता देखते हुए खारिज कर दिया गया. संबंधित कोर्ट ने बार-बार अहियापुर थाना जहां वे पोस्टेड थीं उसे रिमांइडर देकर आरोपी दाराेगा को कोर्ट में सदेह हाजिर कराने का आदेश दिया.

वैशाली जिला में योगदान दे रही एसआई पूनम कुमारी फिलवक्त हाजीपुर महिला थाने की थानेदार हैं. पूनम कुमारी इससे पहले मुजफ्फरपुर में पोस्टेड थीं. मुजफ्फरपुर के अहियापुर थाना में 17 वर्ष पूर्व उनके खिलाफ कांड संख्या 99/99 के तहत आपराधिक मामला दर्ज हुआ था.

इतना ही नहीं वैशाली महिला थाना की थानाध्यक्ष का काम सँभालने के दौरान भी पूनम कुमारी के विरुद्ध जाति सूचक गाली देकर मारपीट करने के कई मुकदमें दर्ज हो चुके हैं. नगर थाना क्षेत्र के मीनापुर मधुवन मोहल्ला की रामपरी देवी द्वारा अक्टूबर २०१६ में दायर किए गए मामले में तो उनका वेल पेटीशन भी रद्द हो चुका है. आरोप है कि जब पीड़िता अपने पुत्र एवं बहू द्वारा की जा रही मारपीट की शिकायत करने थाना पर गई तो थाना प्रभारी पूनम कुमारी ने अनुसूचित जाति की इस बुजुर्ग महिला को जाति सूचक गालियां देते हुए थप्पड़ मारकर गिरा दिया।

इसी तरह २५ मार्च २०१७ को महिला थानाध्यक्ष पूनम कुमारी समेत छह लोगों के विरुद्ध मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय में एक आपराधिक मामला दायर किया गया। उक्त मामला बरांटी ओपी क्षेत्र में बरुआ बहुआरा गांव के नागेंद्र सिंह ने दायर किया है।

दायर मामले में महिला थानाध्यक्ष पूनम कुमारी के अलावे अवर निरीक्षक अर्चना कुमारी, सहायक अवर निरीक्षक प्रदीप राय, चौकीदार विनोद पासवान, राजापाकर थाना क्षेत्र के दयालपुर गांव के विभा देवी तथा अजय कुमार सिंह को नामजद आरोपी बनाया गया है। भादवि की धारा 323, 379, 384 406 तथा 409 अंतर्गत दायर इस मामले को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी जयराम प्रसाद ने जांच एवं साक्ष्य हेतु अपनी निजी संचिका में रख लिया है।

मित्रों, जब मैंने खुद थाना पर जाकर थानाध्यक्ष से इन मामलों पर बात करने की कोशिश की तो उन्होंने यह कहते हुए कि यहाँ मिडिया का प्रवेश प्रतिबंधित है सीधे हम पर ही गालियों की बौछार कर दी. मैं नहीं समझता हूँ कि जब तक पूनम कुमारी महिला थाने की थानेदार है किसी भी महिला को यहाँ से न्याय मिल भी सकता है. वे सिर्फ पैसा पहचानती है. यहाँ तक कि थाना परिसर में ही रहनेवाले नाका न. २ के कर्मियों से भी पानी देने के बदले एक-एक हजार रूपये मांग रही है. मैं समझता हूँ कि उसने और बांकी से थाना स्टाफ ने व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार करके काफी ज्यादा कालाधन और बेनामी संपत्ति भी अर्जित की है जिसकी भी जाँच होनी चाहिए. साथ ही इस बात की भी जाँच होनी चाहिए कि उसको किन-किन लोगों का वरदहस्त प्राप्त है जिसके बल पर वो जेल में होने के बजाए आज की तारीख तक थानेदार बनी हुई है.

कोई टिप्पणी नहीं: