मित्रों, आप सोंच रहे होंगे कि लोग तो कुत्ते से सावधान का बोर्ड लगवाते हैं फिर साँपों से सावधान क्यों? वो इसलिए क्योंकि कुत्ता वफ़ादारी का प्रतीक होता है. मर भले ही जाता है कभी मालिक के प्रति धोखेबाजी नहीं करता. मतलब कि कुत्ता जिसकी रोटी खाता है जीता भी उसी के लिए है और मरता भी उसी के लिए है लेकिन यह जो कांग्रेस पार्टी है खाती तो भारत की है गाती पाकिस्तान और चीन की है. इसने तो रिकार्डतोड़ घोटालों के द्वारा न केवल भारत का खाया है वरन भारत को भी खाया है. कांग्रेस पार्टी जब सत्ता में थी तब भी पाकिस्तान और चीन के लिए जीती-मरती थी और आज जब विपक्ष में है तब भी भारत के दुश्मनों के ही लिए जी-मर रही है. इसे न तो भारत की मजबूत सेना चाहिए और न ही सेना का पराक्रम.
मित्रों, इसलिए मैंने शीर्षक में कुत्ते का नाम नहीं लिया. नाम तो मैं साँपों का भी नहीं लेना चाहता था क्योंकि वो बेचारा भी तब तक किसी को नहीं काटता जब तक उसे छेडा न जाए लेकिन एक बात में कांग्रेस और साँपों में जबरदस्त समानता है कि जहरीले दोनों ही हैं. एक सीधे-सीधे काटता है तो दूसरा लोगों में अपने जाल में उलझाकर मारता है.
मित्रों, अभी कुछ दिन पहले मैं एक चूहेदानी खरीदकर लाया और उसमें रोटी लगा दी. फिर तो चूहों का फंसना रोजाना की बात हो गई. कदाचित कांग्रेस भी हमें चूहा समझती है. नेहरु के समय से ही यह देश से गरीबी को मिटाने का वादा कर रही है लेकिन अमीर हो रहे हैं खुद कांग्रेस पार्टी के नेता. अभी कुछ ही महीने पहले कांग्रेस ने राजस्थान और मध्य प्रदेश में किसानों की कर्जमाफ़ी का वादा किया था. मगर किया क्या? प्रत्येक किसान के दो-दो लाख माफ़ करने के बदले किसी के ५० रूपये माफ़ किए गए तो किसी के १०० रूपये. ऊपर से बिजली का बिल न्यूनतम ५०० रूपया महीना बढ़ा दिया गया. बेटा मांगने गई थी और पति को भी गँवा आई. मध्य प्रदेश की सरकार बेरोजगारों को रोजगार अथवा १०००० रूपये का बेरोजगारी भत्ता देने के बदले भैंस चराने और बैंड बजाने का प्रशिक्षण दे रही है. कहना न होगा इसी तरह हम उनके दांव में पिछले ७० सालों से फंसते आ रहे हैं और वे इसी तरह हमें चराते आ रहे हैं और हमारी बैंड बजाते आ रहे हैं. अब दोनों ही राज्यों के लोग पछता रहे हैं लेकिन अब पछताए होत क्या.
मित्रों, अगर आपको भी भविष्य में पछताना है तो बेशक आप भी कांग्रेस को वोट करिए. मगर उससे पहले मैं आपको कुछ और भी याद दिलाना चाहूँगा. मैं आपको याद दिलाना चाहूँगा कि २००४ के चुनावों के समय किस तरह कांग्रेस ने ताबूत घोटाले की कहानी रचकर आपको बेवकूफ बनाया था और देशभक्त और ईमानदार अटल बिहारी वाजपेई के स्थान पर एक कठपुतली को प्रधानमंत्री बनाकर जल,थल, नभ और अंतरिक्ष सर्वत्र कैसे जमकर घोटाले किए थे. घोटालों की पूरी-की-पूरी वर्णमाला बनाकर देश को दोनों हाथों से लूटा था. मैं आपसे पूछना चाहता हूँ कि क्या आप फिर से २००४ को दोहराना पसंद करेंगे? जिस तरह वाजपेई की हार के कारण भारत कई साल पीछे चला गया क्या आप चाहेंगे कि देश फिर भी रिवर्स गियर में चला जाए?
मित्रों, भारत मेहनतकशों का देश है, कर्मवीरों, श्रमवीरों का देश है लेकिन यह कांग्रेस पार्टी हमें हमेशा से भिखारी समझती है. यह हमें काम देने की बात नहीं कर रही बल्कि भीख देने के वादे कर रही जबकि हम भारतीय तो आज भी फेंके हुए पैसे नहीं उठाते. क्या आपने कभी पढ़ा-सुना है कि पैसे बांटकर किसी देश का विकास हुआ है,चाहे तो अमेरिका हो, जापान हो या चीन या जर्मनी हो? माना कि गाँव में किसी किसान की ५ एकड़ जमीन है. अगर वो सारी जमीन बेचकर अपने ५ बेटों के बीच पैसे बाँट देता है और पाँचों बेटे उस पैसे को उड़ा देते हैं तो क्या आप इसे उस किसान और उसके बेटों की बुद्धिमानी कहेंगे?
मित्रों, असल में कांग्रेस को लगता है कि हम उसकी गन्दी सोंच से वाकिफ ही नहीं हैं. जैसे हमें पता ही नहीं कि कांग्रेस राजस्थान और मध्य प्रदेश में क्या कर रही. जबकि सच यह है कि हम समझ रहे कि कांग्रेस सिर्फ-और-सिर्फ झूठ बोल रही है. कांग्रेस जब देश की नहीं हुई और पाकिस्तान की टीवी पर अपनी जय-जयकार करवा कर खुश हो रही है तो वो देशवासियों का क्या होगी? चूंकि कांग्रेस के सारे जहरीले सांप जल्दी ही पिंजरे में जानेवाले हैं और जमानत पर हैं इसलिए फ़िलहाल तो वे किसी भी तरह, कोई भी संभव-असंभव वादा करके जेल जाने से बचना चाहते हैं. इसलिए आप ७२००० के लालच को लालच नहीं सीधे चूहेदानी में रखा चारा समझिए जिसके लालच में आए तो हम उनका ग्रास बन जाएँगे क्योंकि वे नकली हिन्दू सह गोभक्षी हमें भी बिना पकाए जिन्दा खा जाएँगे और हमारे देश को भी.
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