शुक्रवार, 26 अप्रैल 2019

प्रियंका ने क्यों छोड़ा वाराणसी का मैदान?


मित्रों, जहाँ पिछले लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की नैया डूब गई थी इस बार लगता है कि जैसे उसकी नब्ज भी डूब रही है. राहुल गाँधी की अपार असफलता के बाद बड़े ही धूमधाम से प्रियंका को पार्टी महासचिव बनाकर मैदान में उतारा गया. फिर तो कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं ने अपने सर पर आसमान ही उठा लिया. बड़े ही जोरदार नारे बनाए-जैसे प्रियंका गाँधी नहीं आंधी है इत्यादि. लेकिन अब जबकि चुनाव अंतिम चरण में पहुँचने को है ऐसा प्रतीत हो रहा है कि प्रियंका गाँधी आयी तो आंधी की तरह थी लेकिन जा रही है बगुले की तरह.
मित्रों, प्रियंका ने न जाने क्या सोंचकर बार-बार जनता से पूछा था कि मैं वाराणसी से लडूं क्या? निस्संदेह वो पूरी मीडिया में ऐसा करके छा भी गई. एक बार तो उसने यहाँ तक कहा कि अगर राहुल कहेंगे तो वो सहर्ष वाराणसी से चुनाव लड़ने को तैयार है लेकिन जब कल मोदी का विमान वाराणसी में लैंड कर रहा था तभी कांग्रेस ने उस गुब्बारे की जैसे हवा ही निकाल दी अजय राय को वाराणसी से पार्टी का उम्मीदवार बनाकर. यह वही अजय राय है जिसे पिछली बार मात्र ७० हजार वोट मिले थे. इस तरह कांग्रेस ने मोदी के आगे पूरी तरह से हथियार डालते हुए अपनी हार स्वीकार कर ली है.  वैसे मेरा मानना यह है कि प्रियंका इसलिए भी चुनाव लड़ने से भाग गई क्योंकि ऐसा करने पर उसे अपने पति की संपत्ति घोषित करनी पड़ती. साथ ही कांग्रेस को शुरू से ही पता था कि इस समय वाराणसी में मोदी के खिलाफ लड़ने का सीधा मतलब होगा करारी और शर्मनाक हार.
मित्रों, कारण चाहे जो भी हो अब इसे हम कांग्रेस की महामूर्खता न कहें तो क्या कहें कि कांग्रेस ने ब्लोअर की नकली हवा उत्पन्न करने की कोशिश की? अगर प्रियंका को वहां से चुनाव नहीं लड़ना था तो उसने इस बात की झूठी अफवाह क्यों उडाई? अब जबकि उसके झूठ की पोल खुल चुकी है तो कांग्रेस क्या करेगी? अब वो किस बालू के ढेर में जाकर अपना सिर छुपाएगी? उसके जख्मों पर नमक पड़ने जैसी एक और घटना कल घटी. वो यह कि मोदी के रोड शो में धर्म और जाति के सारे भेदों को त्यागकर पूरा-का-पूरा वाराणसी सड़कों पर आ गया और इतना भव्य स्वागत किया कि न भूतो न भविष्यति.
मित्रों, मैं तो पहले दिन से ही कह रहा था कि कहाँ पड़े हो चक्कर में कोई नहीं है टक्कर में लेकिन तब कांग्रेसी मेरी सुनने को तैयार नहीं थे. आज जब कांग्रेस कहीं भी टक्कर में नहीं दिख रही तब कांग्रेसियों की जैसे बोलती ही बंद हो गई है. वैसे मुझे तो पहले दिन से ही यह भी पता था कि इस बार कांग्रेस अपनी जीत के लिए नहीं लड़ रही है बल्कि मोदी को हराने के लिए लड़ रही है. वहीँ दूसरी तरफ मोदी अपनी, अपनी पार्टी और अपने देश की जीत के लिए लड़ रहे हैं. जहाँ कांग्रेस को सिर्फ-और-सिर्फ कुर्सी दिखाई दे रही है मोदी का उद्देश्य स्पष्ट है और वो है पूरी दुनिया में भारत को नंबर एक पर लाना.
मित्रों, आज जब मोदी जी ने वाराणसी से अपना नामांकन दाखिल किया है उनके और हमारे देश के लिए चीन से एक बहुत बड़ी खुशखबरी आई है. और वो खबर ऐसी है जिसे जानकर हर भारतीय को गर्व होगा और वो खबर यह है कि चीन ने पहली बार भारत के मानचित्र में अरुणाचल प्रदेश और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को दर्शाया है. आज से पांच साल पहले हम चीन के भारत के आगे झुकने की कल्पना तक नहीं कर सकते थे. मैं भारत की उस जनता का आभारी हूँ जिसने राष्ट्र सर्वोपरि को सच साबित करते हुए प्रियंका को वाराणसी छोड़कर भाग जाने को मजबूर कर दिया साथ ही उनका आह्वान करना चाहता हूँ कि क्या वो चाहती है कि भारत में भी फिर से वही सब हो जो पिछले दिनों श्रीलंका में हुआ या चीन-पाकिस्तान समेत पूरी दुनिया को भारत के क़दमों में देखना चाहती है जैसा कि इन दिनों देखने को मिल रहा है. अगर वो अपने हाथों अपने और देश के भविष्य का गला दबा देना चाहती है तो उसे जरूर विपक्ष का या नोटा का बटन दबाना चाहिए.

कोई टिप्पणी नहीं: