गुरुवार, 4 जुलाई 2019

मोदी है तो क्या मुमकिन है?


मित्रों, कभी-कभी कुछ नारे काफी लोकप्रिय हो जाते हैं जैसे इस बार के लोकसभा चुनावों में एक नारा काफी लोकप्रिय हुआ-मोदी है तो मुमकिन है.  पता नहीं इस नारे का निर्माता कौन था लेकिन इतना तय है कि मोदी जी को फिर से जीत दिलाने में इस नारे की भूमिका काफी महत्वपूर्ण रही.
मित्रों, अगर हम इस नारे के सन्दर्भ में सीबीआई का विश्लेषण करें तो पाते हैं कि मोदी जी के आने के बाद वह सीबीआई जिसे मनमोहन काल में सुप्रीम कोर्ट ने पिंजरे का तोता कहा था पूरी तरह से मरा हुआ तोता बन गया है. सवाल उठता है कि जिस सीबीआई का नाम सुनकर एक समय बड़े-बड़े राजनेताओं की हवा ख़राब हो जाती थी इन दिनों हत्या के छोटे-मोटे मामलों का भी उद्भेदन क्यों नहीं कर पाती? आखिर मोदीराज में सीबीआई पूरी तरह से समाप्त कैसे हो गयी? जैसा कि हम सब जानते हैं कि सीबीआई सीधे प्रधानमंत्री के मातहत होती है तो क्या प्रधानमंत्री जी ने स्वयं यत्नपूर्वक सीबीआई को मृतप्राय और औचित्यहीन बना दिया है?
मित्रों, आप कहेंगे कि एक बार फिर से सीबीआई पर मेरा गुस्सा फूटने का कारण क्या है. तो मैं आपको बता दूं कि इसके दो तात्कालिक कारण हैं. पहला यह कि रणवीर सेना के संस्थापक बरमेश्वर सिंह की हत्या हुए ७ साल बीत गए और अभी तक सीबीआई सुराग ही ढूंढ रही है. पिछले दिनों उसने इस्तहार जारी किया है कि इस हत्याकांड के बारे में सुराग देनेवालों को १० लाख का ईनाम दिया जाएगा. वाह री सीबीआई घटना के सात साल बाद भी सुराग ही खोज रही हो.  इसी तरह बिहार के जिन मामलों को सीबीआई को सौंपा गया है उन सभी मामलों में नौ दिन चले अढाई कोस वाली हालत है. शायद ७ साल बीतने का इन्तजार हो रहा है जब सीबीआई सुराग के लिए ईश्तहार जारी करेगी.
मित्रों, दूसरा कारण है कृष्णानंद हत्याकांड में मोख्तार अंसारी का बरी हो जाना. इस मामले में फैसला लगभग वैसा ही आया है जैसा जेसिका लाल हत्याकांड में आया था. हम जानते हैं कि मोख्तार अंसारी राजनेता भी है और हत्यारा भी. तो क्या नेताओं के मामले में सीबीआई कुछ कर ही नहीं सकती. मतलब कि नेताओं को मोदी जी ने घपले-घोटालों (२ जी घोटाला) के साथ-साथ खून-तून भी माफ़ कर दिया है?
मित्रों, इन दिनों लालू परिवार के सुर भी बदले-बदले से हैं. तेजस्वी यादव दिल्ली से भाजपा नेताओं से गुप्त मुलाकात करके लौटे हैं. हो सकता है कि निकट-भविष्य में इस मुलाकात का भी असर दिखे और सीबीआई के माध्यम से पूरा लालू परिवार पाक-साफ़ घोषित हो जाए जैसे माया-मुलायम-पप्पू यादव-साधू यादव आदि घोषित हो चुके हैं. यहाँ हम आपको बता दें कि माया-मुलायम-पप्पू यादव-साधू यादव मनमोहन काल में ही सीबीआई के माध्यम से अपना पवित्रीकरण करवा चुके हैं.
मित्रों, इस प्रकार हमने देखा कि मोदी है तो मुमकिन है सिर्फ एक नारा है इसमें कोई सच्चाई नहीं. कम-से-कम सीबीआई के मामले में तो स्थिति मनमोहन काल से भी ज्यादा चिंताजनक है. हम मोदी जी से हाथ जोड़कर विनती करते हैं कि या तो आप सीबीआई की स्थिति को सुधारिए या फिर उसे समाप्त ही कर दीजिए. वैसे भी आपको स्थापित संस्थाओं को समाप्त करने में महारत हासिल है. मोदी है तो मुमकिन है.

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