गुरुवार, 31 दिसंबर 2020
अलविदा २०२० स्वागत २०२१
मित्रों, मुझे याद आ रहा है जब एक साल पहले २०२० की शुरुआत हो रही थी तब मैंने अपने ज्येष्ठ पुत्र भगत सिंह को मजाकिया लहजे में कहा था कि इसका तो नाम ही २०-२० है सो ये साल तो देखते-देखते चुटकियों में बीत जाएगा. मुझे तो क्या भारत में किसी को पता नहीं था कि यह साल इस तरह भयानक तरीके से बीतनेवाला है.
मित्रों, होली तक तो सब ठीक था लेकिन फिर जैसे अचानक सबकुछ बदल गया. गाड़ियों का परिचालन बंद हो गया, फैक्ट्रियां बंद हो गई, स्कूल, दुकानें, मॉल सब बंद. सड़कों पर मजदूरों का सैलाब. हर कोई जहाँ भी था जल्दी-से-जल्दी अपने गाँव और घर पहुँच जाना चाहता था. हजारों लोग तो हजारों किमी पैदल चलकर घर गए. कई सारे मजदूर रेल की पटरी पर सोते हुए ट्रेन से कटकर मर गए. कई जेठ की दोपहरी में पैदल चलते-चलते मौत की गोद में सो गए.
मित्रों, जाहिर है कि जब सब कुछ बंद था तो अर्थव्यवस्था की तो बाट लगनी ही थी. सो लगी. इस बीच चीन उसी चीन ने जिसने बड़े ही सोचे-समझे तरीके से दुनिया को कोरोना की आग में झोंक दिया था भारत-चीन सीमा पर घुसपैठ कर दी. मजबूरन भारत को भी अपनी सेना सीमा पर भेजनी पड़ी और कई सारे नए सियाचिन पैदा हो गए जो भविष्य में वर्षों तक भारत की जेब पर भारी पड़नेवाले हैं.
मित्रों, बच्चे घर में बैठे-बैठे उब गए, हजारों नौकरीपेशा लोग जिनमें हजारों पत्रकार भी शामिल थे को या तो नौकरी से हाथ धोना पड़ा या फिर वेतन कटौती झेलनी पड़ी. दूसरी तरफ बहुत सारे व्यवसायियों के सामने जीवन-मृत्यु का प्रश्न खड़ा हो गया. एक तरह आमदनी का पूरी तरह बंद या कम हो जाना और दूसरी तरफ कमरतोड़ लगातार बढती महंगाई और बैंक की किश्तें.
मित्रों, इन सबके बीच बस एक ही बात भारतीयों के लिए संतोषजनक थी और वो यह थी कि सिर्फ भारत ही नहीं चीन को छोड़कर पूरी दुनिया २०२० में परेशान रही. जर्मनी, इटली, स्पेन आदि देशों में तो शवों के ढेर लग गए जबकि भारत में अपेक्षाकृत कोरोना से मरनेवालों को संख्या कम रही.
मित्रों, अब जबकि २०२० समाप्त होनेवाला है तब भी भारत में कई चीजें बंद हैं. बच्चे अभी भी घरों में ही कैद हैं. इस बीच इंग्लैण्ड में कोरोना का नया स्ट्रेन सामने आया है जो भारत में भी प्रवेश कर चुका है. उम्मीद करनी चाहिए कि इसका भारत पर कम-से-कम असर होगा और जल्दी ही भारत में जीवन और अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट आएंगे. निराशा का कोई कारण नहीं है क्योंकि मानवता इससे पहले इससे भी बुरा समय और दौर देख चुकी है. हम पहले भी जीते थे और इस बार भी जीतेंगे चीन, पाकिस्तान, तुर्की जैसे देशों, इस्लाम जैसे मजहब और माओवाद जैसी विचारधारा की मौजूदगी के बावजूद जीतेंगे. जरुरत है तो बस धैर्य बनाए रखने की. स्वागत २०२१.
नए साल का,नया सबेरा,
जब, अम्बर से धरती पर उतरे,
तब,शान्ति,प्रेम की पंखुड़ियाँ,
धरती के कण-कण पर बिखरे.
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