गुरुवार, 3 फ़रवरी 2022

राहुल गांधी की ऐतिहासिक बकवास

मित्रों, भारतीय राजनीति में राहुल गाँधी एक ऐसे शख्स हैं जिनको अगर हम भारतीय राजनीति का सबसे बड़ा विदूषक कहें तो गलत नहीं होगा. कभी यह आदमी आलू को सोना बनाने लगता है तो कभी पिछत्तिस बोलकर नई अंक प्रणाली की स्थापना करता है तो कभी भारत की आबादी को १०० अरब बता देता है. यह आदमी कब क्या बोल जाए कोई नहीं जानता हालांकि इसके बोलने से भारत की जनता का मुफ्त में मनोरंजन जरूर हो जाता है. मित्रों, कल माननीय राष्ट्रपति के अभिभाषण के जवाब में इसने जो भाषण संसद में किया वो भी किसी बकवास से किसी भी तरह से कम नहीं था. इसने वर्तमान प्रधानमंत्री मोदी जी को शहंशाह और अलोकतांत्रिक कहा जबकि सच्चाई यह है कि किसानों पर सैंकड़ों बार गोलीबारी कांग्रेस ने करवाई, सैंकड़ों बार विरोधी दलों की सरकारों को राष्ट्रपति शासन लगाकर बर्खास्त नेहरु और इंदिरा ने किया, यहाँ तक कि साधू-संतों पर भी इंदिरा गाँधी ने संसद के सामने गोलीबारी करवाई, देश में एक मात्र बार आतंरिक आपातकाल भी इंदिरा गाँधी ने लगाया फिर भी शहंशाह मोदी हो गए. मोदी तो इतने लोकतान्त्रिक हैं कि बंगाल और केरल में अपने कार्यकर्ताओं को हत्या तक को मूकदर्शक बने देख रहे हैं राष्ट्रपति शासन नहीं लगा रहे,शाहीन बाग़ और सिंघू बोर्डर भी उनसे खाली नहीं होता. मित्रों, राहुल जी ने अपने भाषण में एक आरोप यह लगाया है कि भारत सरकार की गलत नीतियों के कारण चीन और पाकिस्तान आज एक हो गए हैं. हद है यार चीन और पाकिस्तान कब एक नहीं थे जो आज हो गए? फिर चीन की 2025 में ताइवान और 2040 में अरुणाचल पर कब्जा करने की योजना है इसे सारी दुनिया जानती है लेकिन राहुल जी नहीं जानते तभी तो उन्होंने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ २००८ में समझौता किया था. मित्रों, राहुल जी ने यह आरोप भी लगाया है कि भारत कभी राष्ट्र नहीं था और आज भी नहीं है बल्कि राज्यों का संघ है तो हम राहुल जी बता देना चाहेंगे कि आज से हजारों साल पहले श्रीमद विष्णु पुराण में घोषणा की गई थी कि उत्तरं यत्समुद्रस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणम् । वर्षं तद् भारतं नाम भारती यत्र संततिः ।। मित्रों, अपनी एक अन्य पंक्ति में राहुल जी ने आरोप लगाया कि दलितों का ३००० सालों से शोषण हो रहा है. लगता है राहुल जी ने सिर्फ इटली का इतिहास पढ़ा है भारत का नहीं पढ़ा. जो ८०० सालों तक ख़ुद गुलाम रहे और धर्म और प्रजा की रक्षा के लिए शहादत देते रहे वो भला कैसे दूसरों का शोषण करेंगे? चाहे तैमूर से युद्ध हो या नादिरशाह या अब्दाली से या फिर शिवाजी या महाराणा प्रताप की सेना हो इतिहास गवाह है कि ब्राह्मणों से लेकर दलितों तक ने एकजुट होकर विधर्मियों का सामना किया. १८५७ के विद्रोह में गंगू मेहतर उर्फ़ गंगाराम पहलवान के योगदान को भला कोई कैसे भुला सकता है? मित्रों, रही बात राहुल जी के परनाना नेहरु की जेलयात्रा की तो नेहरूजी किस तरह जेल में रहे पूरी दुनिया जानती है. इस सम्बन्ध में मेरे मित्र श्री इन्द्रेश उनियाल जी ने अपने एक आलेख नाभा का नाटक में लिखा है कि नेहरु जी को जब सितम्बर 22, 1923 को नाभा की रियासत में अवैध रूप से प्रवेश करने और आंदोलन मे भाग लेने के लिये 2 वर्ष की कैद की सजा सुनाई गई तब मोतीलाल नेहरु खासे परेशान हो गए और गिरफ़्तारी के ३ दिन बाद ही वायसराय से बात कर नेहरु जी के लिए नाभा जेल में पांच सितारा सुविधा उपलब्ध करवाई. कहाँ नेहरू और कहाँ सावरकर की जेल यात्रा! मित्रों, राहुल जी ने दावा किया है कि उनकी दादी और उनके पिता देश के लिए शहीद हुए जबकि सच्चाई यह है कि उनकी दादी और पिता खुद उनके द्वारा पैदा किए गये आतंकवाद की भेंट चढे. राहुल जी यह भी नहीं भूलना चाहिए कि आज भी उनकी पार्टी जेहादी और खालिस्तानी आतंकियों का खुलकर समर्थन करती है. मित्रों, रही बात बढती बेरोजगारी की तो जब तक जनसँख्या को कानून बनाकर कठोरतापूर्वक नियंत्रित नहीं किया जाएगा कोई माई का लाल भारत से बेरोजगारी दूर नहीं कर सकता. फिर कोरोना काल में भारत सरकार लोगों की जान बचाए या नौकरी दे? फिर सरकारी क्षेत्र में नौकरी की गुन्जाईश है ही कितनी? मित्रों, राहुल जी ने अपने भाषण में भाजपा सांसद कमलेश पासवान के बारे में कहा है कि वो गलत पार्टी में सही व्यक्ति हैं जबकि सच्चाई यह है कि राहुल जी खुल गलत पार्टी में गलत व्यक्ति हैं. वर्षों पहले जब अटल जी के बारे में भी ऐसा ही कहा गया था तब अटल जी ने कहा था कि वे सही पार्टी में सही व्यक्ति हैं क्योंकि बबूल के पेड़ पर आम नहीं फलता. मित्रों, अंत में मैं एक ऐतिहासिक घटना का जिक्र करना चाहूँगा. नेहरू आइन्सटीन से मिलने गए. मुलाकात के बाद पत्रकारों ने जब पूछा कि दोनों में क्या बातचीत हुई तो नेहरु जी ने कहा कि उन्होंने भी बकवास की और बदले में मैंने भी बकवास की. कहने का तात्पर्य यह है कि राहुल गाँधी खानदानी बकवासी है और अब तक एक-से-एक ऐतिहासिक बकवास कर चुके हैं और निश्चित रूप से आगे भी करते रहेंगे.