रविवार, 24 अप्रैल 2022

कबीरा आप ठगाईए

मित्रों, मुझे पूरा यकीन है कि आप भी संत कबीर के इस दोहे से परिचित होंगे- कबीरा आप ठगाईए और न ठगिए कोय, आप ठगे सुख उपजे और ठगे दुख होय. सो मैंने बचपन में जबसे इस दोहे को पढ़ा इसे अपना जीवन-मंत्र बना लिया. बार-बार मुझे ठगा गया लेकिन मैंने कभी किसी को नहीं ठगा. लेकिन अब तो स्थिति भयावह हो चली है. अब ठगी एक कला बन गई है, योग्यता का पैमाना बन गई है और इस कला को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया है भारत के सॉफ्टवेयर ईंजिनियरों ने. एक वेबसाइट बना लिया और हफ्ते-दो-हफ्ते तक लोगों को लूटने के बाद बंद कर दिया. झारखण्ड का जामतारा इनकी राजधानी है. वैसे तो मुझे अभिमान था कि मेरे साथ अब तक साईबर ठगी नहीं हो पाई है लेकिन पिछले वर्ष वह अभिमान भी खंड-खंड हो गया. मित्रों, वैसे तो मेरा पूरा जीवन धूप में छाँव के ठंडे साए खोजते हुए बीता है लेकिन साल २०२१ में तो जैसे मुझ पर गम के इतने पहाड़ एक साथ टूटे कि रोजाना मुझे रिश्तों के नए-नए रूप देखने को मिले. पिताजी इस नाफानी दुनिया से दूर जा चुके थे कुल ८५ हजार की जमा पूँजी यानी अपने एक महीने के पेंशन के बराबर पैसा छोड़कर. माँ के बक्से से मात्र १९ हजार रूपये निकले. किसी तरह से हमने अपने बल पर पिताजी का श्राद्ध किया लेकिन उसके तत्काल बाद मेरे सामने वही सबसे बड़ा सवाल मुंह बाए खड़ा था कि अब आगे दाल-रोटी कैसे चलेगी. मेरी बेचैनी चरम पर थी. पिताजी के पिछले माह के पेंशन में से तीस हजार रूपये मेरे खाते में थे लेकिन हमारा एक महीने का मकान का किराया ही १० हजार था, फिर खाने-पीने, कपड़े, बच्चे की स्कूल फीस. ऐसा लगता था जैसे किसी भी समय मेरे सर के सौ टुकड़े हो जाएंगे. मित्रों, फिर मैंने सोंचा कि क्यों न टाइम्स जॉब से संपर्क किया जाए सो मैंने टाइम्स जॉब की वेबसाइट पर जाकर नौकरी के लिए आवेदन दिया. अभी चौबीस घंटे भी नहीं बीते थे कि १ फरवरी, २०२१ को मेरे पास 7440268569 नंबर से एक लड़की का फोन आया कि क्या आपने कल टाइम्स जॉब पर नौकरी के लिए आवेदन दिया था? फिर उसने वो सारे विवरण मुझे बताए जो मैंने अपने आवेदन में भरे थे. फिर उसने बताया कि आपके लिए कई सारे ऑफर आए हैं बस आपको हम एक लिंक एसएमएस कर रहे हैं आप उस पर जाकर १०० रूपये का ऑनलाइन पेमेंट कर दीजिए. फिर मुझे इसी नंबर से एक लिंक timejobsservice.com भेजा गया. जब मैंने सौ रूपये का पेमेंट करने के लिए मेरे बैंक आईसीआईसीआई द्वारा भेजा गया ओटीपी डाला तब मेरे खाते से १०० रूपये के बदले १९८५६ रूपये कट गए. सबसे आश्चर्य की बात तो यह थी कि बैंक द्वारा भेजे गए ओटीपी वाले एसएमएस में खाते से कितनी राशि निकलनेवाली है का जिक्र ही नहीं था जबकि सरकारी बैंकों से आनेवाले इस तरह के एसएमएस में राशि का भी जिक्र होता है. जैसे ही आईसीआईसीआई बैंक से १९८५६ रूपये कटने का एसएमएस आया मैं समझ गया कि मेरे साथ साईबर फ्रॉड हुआ है. इसके बाद जब मैंने 7440268569 पर फोन किया तो लड़की जो अपना नाम नेहा बता रही थी मुझे पैसा वापस कर देने का झूठा दिलासा देने लगी. जब मैं उस पर नाराज हो गया तो बोली जाओ नहीं करते पैसे वापस क्या कर लोगे? मित्रों, फिर मैं भागा-भागा आईसीआईसीआई की हाजीपुर शाखा में गया लेकिन मैनेजर ने किसी भी तरह का आवेदन लेने से मना कर दिया. फिर मैंने बैंक के कस्टमर केयर पर फोन कर मेरे साथ हुई घटना की सूचना दी. कस्टमर केयर ने बताया कि आपकी शिकायत जांच के लिए दर्ज कर ली गई है कुछ दिनों में समाधान भी हो जाएगा. इस बीच मेरे खाते में १९८५६ रूपये भी डाल दिए गए मगर वो पैसा सिर्फ दीखता था मैं उसे निकाल नहीं सकता था. मित्रों, इसके बाद मैं नगर थाना हाजीपुर गया और मामले की एफआईआर कर जाँच करने के लिए आवेदन दिया. मुंशी बोले कि अभी थानेदार फिल्ड में हैं आवेदन दे दीजिए और कल आकर पता कर लीजिएगा. फिर तो जैसे टहलाने का सिलसिला ही चल पड़ा. पहले तो थानेदार सुबोध सिंह ने कहा कि मामला छोटा है, बीस हजार का ही है, मुंशी से पता कर लीजिए कि एफआईआर हुआ कि नहीं. जब मैं मुंशी के पास गया तो उसने कहा कि उसे कुछ भी पता नहीं है थानेदार से पूछिए. कई दिनों की भागदौड़ के बाद जब मैं थानेदार पर बरस पड़ा तो उसने टका-सा जवाब दिया कि शहर में इतनी हत्या-चोरी-लूटपाट की घटनाएँ हो रही है हम उनको देखें या आपके केस को देखें. फिर मैंने बिहार पुलिस से उम्मीद ही छोड़ दी. मैं कोई प्रधानमंत्री की भतीजी तो था नहीं कि थानेदार मेरे पैसों को वापस दिलाने का जीतोड़ प्रयास करता. मित्रों, इससे पहले मैं घटना की शाम ही हाजीपुर के हिंदुस्तान कार्यालय का दरवाजा भी खटखटा चुका था. २००००रू की रकम पुलिस की नजर में भले ही बहुत छोटी हो लेकिन मेरे लिए काफी बड़ी थी. मैंने सोंचा कि पहले मैं हिंदुस्तान, पटना में रहा हूँ और हाजीपुर, हिंदुस्तान के कई स्टाफ तब मेरे सहकर्मी थे इसलिए पुलिस न सही मेरे पुराने साथी तो मेरे लिए कुछ-न-कुछ अवश्य करेंगे. लेकिन वहां भी मुझसे सारी सूचनाएँ ले ली गईं मगर मेरे साथ हुई घटना को अख़बार में स्थान नहीं दिया गया. शायद उनको मुझसे भी पैसों की उम्मीद थी. मित्रों, मेरे भीतर क्रोध का ज्वालामुखी फट रहा था. मैंने तत्काल घर लौटते ही पहले 1 फरवरी को नमो ऐप पर और फिर २ फरवरी को केन्द्रीय गृह मंत्रालय की वेबसाइट पर जाकर साईबर क्राइम सेल में अपनी शिकायत दर्ज कराई. मित्रों, इस बीच दिनांक ६ फरवरी को मेरे खाते से बैंक ने १९८५६ रूपये निकाल लिए. फिर मैंने बैंक के नोडल अधिकारी के पास ऑनलाइन शिकायत की. लेकिन दिनांक १९ फरवरी को उन्होंने भी मेरे पैसा वापस करने के आवेदन को रद्द कर दिया. फिर मैंने पटना स्थित रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के बैंकिंग लोकपाल के पास शिकायत की. लेकिन ३१ जुलाई, २०२२ को उन्होंने भी मेरे दावे को नकार दिया. मैंने उससे यह भी निवेदन किया था कि वो बैंक को आदेश दे कि वो ओटीपी के साथ निकलनेवाली राशि को भी एसएमएस में शामिल करे लेकिन उसने ऐसा कोई आदेश भी नहीं दिया. मित्रों, इस बीच १४ फरवरी को मुझे वैशाली लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने फोन करके बुलाया और कहा कि आपने जो केन्द्रीय गृह मंत्रालय के साईबर अपराध सेल में शिकायत की थी उसका निस्तारण कर दिया गया है. उन्होंने मुझे यह भी बताया कि ऐसे मामलों में कुछ नहीं होता है. मित्रों, मेरे कहने का तात्पर्य यह है कि इस समय भारत की स्थिति क्या है मेरा मामला इसका लिटमस टेस्ट है? वर्तमान भारत में सबकुछ जैसे माया है, दिखावा है. अगर आप प्रधानमंत्री की भतीजी नहीं हैं तो देश में आपकी कोई सुननेवाला नहीं है. मुझे अपने पैसे खोने का गम तो है लेकिन उससे भी बड़ा गम इस बात का है कि भविष्य में दूसरे लोगों के साथ ऐसा न हो इसके लिए इंतजाम भी नहीं किए जा रहे हैं. क्या कोई टाइम्स जॉब से पूछेगा कि जो सूचना उनके पास थी ठगों के पास कैसे चली गई? क्या कोई भारत के बैंकों को इस बात के निर्देश देगा कि भविष्य में जब ओटीपी भेजी जाए तो उसके साथ खाते से निकलनेवाली राशि का ब्यौरा भी भेजा जाए? या फिर ग्राहकों के साथ ठगों द्वारा फ्रॉड होने के बाद सरकार द्वारा भी फ्रॉड किया जाता रहेगा? सिर्फ औपचरिकता से कुछ नहीं होगा सरकार को अपनी नीयत ठीक करनी पड़ेगी. मोदी जी को यह साबित करना होगा कि अब तक जो चल रहा था वो सचमुच नहीं चलेगा. परित्राणाय साधूनाम् विनाशाय च दुष्कृताम्.

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