बुधवार, 16 अप्रैल 2014

क्या एशिया का सबसे बड़ा बूचड़खाना कपिल सिब्बल की पत्नी का नहीं है?

16-04-2014,हाजीपुर,ब्रजकिशोर सिंह। क्या कपिल सिब्बल को हिंदू माना जा सकता है? कानून उनको या उनकी पत्नी को भले ही एशिया का सबसे बड़ा कत्लखाना खोलने से नहीं रोकता है लेकिन एक हिन्दू होने के नाते क्या उनको ऐसा करना चाहिए था? वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव के समय श्री सिब्बल द्वारा दायर किए गए हलफनामे से पता चलता है साहिबाबाद स्थित एशिया का सबसे बड़ा बूचड़खाना जिसका नाम पहले अरिहंत एक्सपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड था की मालकिन कोई और नहीं बल्कि केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल की पत्नी है। हालाँकि इस बार के हलफनामे में श्री सिब्बल ने इसका जिक्र न जाने क्यों नहीं किया है जिसकी शिकायत भाजपा ने चुनाव आयोग से की भी है।
विदित हो कि सबसे पहले यह गोवधशाला तब चर्चा में आया था जब इसका नाम अरिहंत एक्सपोर्ट प्राइवेट रखे जाने के खिलाफ जैन मुनि तरुण सागर जी महाराज ने ऐलान किया था कि वो २ अक्टूबर.2013 को अहमदाबाद मे लाखों लोगों की बड़ी रैली निकालेंगे और कांग्रेस को वोट न देने की अपील करेंगे। बाद में 16-17 सितंबर को दैनिक भास्कर में एक समाचार प्रकाशित हुआ जिसमें केप इंडिया के संयोजक डॉ.संदीप जैन ने एक बयान जारी कर केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल की पत्नी प्रोमिला सिब्बल द्वारा खोले गए बूचडख़ाने का नाम बदलने को जैन समाज की जीत बताया। डॉ.जैन ने बताया कि यह कारखाना साहिबाबाद में है और इसकी कंपनी अरिहंत एक्सपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड का कार्यालय दिल्ली में है। उन्होंने बताया कि 24 जैन तीर्थंकरों को अरिहंत के नाम से जाना जाता है, इसलिए यह शब्द जैन धर्म में पूजनीय है। मांस के व्यापार वाली कम्पनी के नाम से अरिहंत शब्द जुडऩे से जैन समाज की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंच रही थी।
(हाजीपुर टाईम्स पर भी प्रकाशित)

3 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

सर हर नेता का कही न कही कोई बिजनेस है

ब्रजकिशोर सिंह ने कहा…

सर जी तब तो आपराधिक छवि वाले नेता भी व्यवसायी हुए?

Unknown ने कहा…

चार दिन की जिंदगी,और आपके पापों का हिसाब आपके बच्चों को चुकाना होगा, जीवन की विलासिता की हवस की कामना पूर्ति के लिए मूक गौ माता का निर्ममता के साथ वध करना और फिर उसके माँस का कारोबार करने का अक्षम्य पाप करना,ऐसे पापियों का और उसके बच्चों का अन्त बहुत दर्दनाक होना चाहिए, ऐसी प्रार्थना हम गौ माता से करते हैं, कलयुग का अर्थ यह कतई नहीं हो सकता कि कोई निर्दय पापी पाप करते रहेगा और ईश्वर उसके पापों का हिसाब किताब नहीं करेगा ।