पटना,रजनीश कुमार। बिहार के लोगों ने शायद ही कभी पुलिस का मानवीय चेहरा
भी देखा हो। शायद यही कारण है कि कोई भी व्यक्ति यह नहीं चाहता कि कोई
पुलिस अधिकारी या जवान उसका पड़ोसी हो। लेकिन जब ऐसा हादसा हो ही जाए तो
कोई क्या करे। बिहार पुलिस के वरिष्ठतम अधिकारियों में से एक रेल पुलिस
अधीक्षक जमालपुर (मुंगेर) श्री अमिताभ कुमार दास के द्वारा न्यू
पाटलिपुत्रा कोलोनी, पटना के स्काईज अपार्टमेंट में एक फ्लैट खरीदा गया है,
जहाँ उनका स्थायी आवास है। दुर्भाग्यवश उसी अपार्टमेंट में संवाददाता के
बहनोई के भी दो फ्लैट हैं। श्री दास जबसे पड़ोसी बने हैं तभी से उन्होंने
अपने साथ करीब दस सिपाहियों को स्थायी रूप से रखा हुआ है, जिन्हें वे अपने
फ्लैट में न रखकर नीचे पार्किंग एरिया में रखते हैं। सिपाहियों ने
अपार्टमेन्ट के पार्किंग एरिया को बाकायदे टेंट लगाकर घेर लिया गया है और
गाड़ी लगाने के जगह को अवैध रूप से कब्जे में कर लिया है।
इतना ही नहीं इनके ड्राईवर हरेन्द्र ने अपार्टमेन्ट की सबसे ऊपरी मंजिल पर स्थित लिफ्ट-रूम को अपने कब्जे में कर रखा है तथा उसे अपने कमरे की तरह व्यवहार में लाते हैं। श्री दास के पास दो-दो सूमो गाड़ियाँ हैं, जिन्हें वे दूसरों के पार्किंग में लगाते हैं। अपने पार्किंग एरिया में अपने सिपाहियों को रखते हैं और दूसरों की जगह पर अपनी गाड़ी लगाते हैं। साथ ही गेस्ट के लिए निर्धारित पार्किंग एरिया को भी कब्जाए हुए हैं।
दोनों गाड़ियों से साहब के डेरे में अनजान महिलाओं का आना-जाना अक्सर लगा रहता है जिससे यहाँ का सामाजिक वातावरण दूषित हो रहा है। इसके चलते अन्य फ्लैट मालिकों को यहाँ पारिवारिक डेरा लेने से पहले हजार बार सोचना पड़ रहा है।
आते-जाते रास्ते पर इस अत्यंत छोटे से अपार्टमेन्ट में इतनी अधिक संख्या में अनावश्यक रूप से सिपाहियों के रहने के कारण भी लोगों को असहज लगता है और हालत यह है कि यहाँ अब फ्लैट भी कोई किराए पर लेने को तैयार नहीं।
एक सीनियर आईपीएस अधिकारी के इस प्रकार के अशोभनीय चरित्र और रवैये ने उनके पड़ोसियों का जीना मुहाल कर दिया है। ये अपने पद और मिली सुविधाओं का दुरूपयोग अपने पड़ोसियों को परेशान करने में कर रहे हैं। ऐसे पदाधिकारी जो सुविधाओं का दुरूपयोग करे की पोस्टिंग तो ऐसी जगह होनी चाहिए थी, जहाँ इसके दुरूपयोग की कोई गुजाईश ही न रहे। इनके इस कारनामे से बिहार पुलिस की बदनामी तो हो ही रही है, वे इस अपार्टमेन्ट के फ्लैट-धारकों के लिए स्थायी तनाव का कारण बन गए हैं और ऐसा वे केवल इस कारण कर पा रहे हैं क्योंकि वे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी हैं।
(हाजीपुर टाईम्स पर भी प्रकाशित)
इतना ही नहीं इनके ड्राईवर हरेन्द्र ने अपार्टमेन्ट की सबसे ऊपरी मंजिल पर स्थित लिफ्ट-रूम को अपने कब्जे में कर रखा है तथा उसे अपने कमरे की तरह व्यवहार में लाते हैं। श्री दास के पास दो-दो सूमो गाड़ियाँ हैं, जिन्हें वे दूसरों के पार्किंग में लगाते हैं। अपने पार्किंग एरिया में अपने सिपाहियों को रखते हैं और दूसरों की जगह पर अपनी गाड़ी लगाते हैं। साथ ही गेस्ट के लिए निर्धारित पार्किंग एरिया को भी कब्जाए हुए हैं।
दोनों गाड़ियों से साहब के डेरे में अनजान महिलाओं का आना-जाना अक्सर लगा रहता है जिससे यहाँ का सामाजिक वातावरण दूषित हो रहा है। इसके चलते अन्य फ्लैट मालिकों को यहाँ पारिवारिक डेरा लेने से पहले हजार बार सोचना पड़ रहा है।
आते-जाते रास्ते पर इस अत्यंत छोटे से अपार्टमेन्ट में इतनी अधिक संख्या में अनावश्यक रूप से सिपाहियों के रहने के कारण भी लोगों को असहज लगता है और हालत यह है कि यहाँ अब फ्लैट भी कोई किराए पर लेने को तैयार नहीं।
एक सीनियर आईपीएस अधिकारी के इस प्रकार के अशोभनीय चरित्र और रवैये ने उनके पड़ोसियों का जीना मुहाल कर दिया है। ये अपने पद और मिली सुविधाओं का दुरूपयोग अपने पड़ोसियों को परेशान करने में कर रहे हैं। ऐसे पदाधिकारी जो सुविधाओं का दुरूपयोग करे की पोस्टिंग तो ऐसी जगह होनी चाहिए थी, जहाँ इसके दुरूपयोग की कोई गुजाईश ही न रहे। इनके इस कारनामे से बिहार पुलिस की बदनामी तो हो ही रही है, वे इस अपार्टमेन्ट के फ्लैट-धारकों के लिए स्थायी तनाव का कारण बन गए हैं और ऐसा वे केवल इस कारण कर पा रहे हैं क्योंकि वे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी हैं।
(हाजीपुर टाईम्स पर भी प्रकाशित)
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