17 सिंतबंर,2014,हाजीपुर,ब्रजकिशोर सिंह। मित्रों,यह कितना बड़ा संयोग
है कि आज एक तरफ तो देवशिल्पी भगवान विश्वकर्मा के पूजन का दिन है तो वहीं
दूसरी ओर आज भारत के प्रधानमंत्री जिन्होंने नवीन और ऊर्जावान भारत के
निर्माण का बीड़ा उठाया है उन नरेंद्र मोदी का जन्म दिन भी है। यह सही है
कि लोकतंत्र की अपनी मजबूरियाँ होती हैं लेकिन फिर भी नरेंद्र मोदी अबतक
जिस तरह से सरकार का संचालन किया है वह भारत के उज्ज्वल भविष्य की ओर संकेत
करने के लिए पर्याप्त है।
मित्रों,मैंने भी मोदी मंत्रिमंडल के गठन के समय कुछ मंत्रियों को मंत्री बनाए जाने को लेकर आपत्ति की थी लेकिन कल यूपी के लोकसभा और विधानसभा उपचुनावों के जो परिणाम आए हैं उनसे पता चलता है कि कहीं-न-कहीं मोदी जी को भी वोटबैंक का ख्याल रखना पड़ता है। जब तक हमारे देश की जनता मूर्ख है तबतक मोदी जी जैसा देश का भला चाहनेवाला,सिर्फ देश के लिए जीने और मरनेवाला व्यक्ति भी लाचार रहेगा।
मित्रों,क्या कारण है कि कोई राजपूत दलितों का लाख हितैषी होने पर भी उनका नेता,उनके वोटों का ठेकेदार नहीं बन पाता? क्या कारण है कि कोई यादव राजपूत मतों पर अपना दावा नहीं कर पाता? क्या कारण है कि कोई ब्राह्मण बनियों को नेतृत्व नहीं दे पाता? कारण बस एक ही है और वह हमारे मतदाताओं की अपरिपक्वता जो आज भी अपनी जाति के लोगों को अपना नेता मानते हैं भले ही वह दशकों से उनको धोखा देता आ रहा हो। मैंने लोकसभा चुनावों के समय भाजपा के लोजपा के साथ जाने का विरोध किया था लेकिन भाजपा नहीं मानी क्योंकि उसके समक्ष और कोई चारा ही नहीं था। बिहार के दुसाधों के लिए रामविलास पासवान ही एकमात्र नेता हैं और दुसाधों का वोट चाहिए तो रामविलास पासवान को साथ में रखना ही होगा चाहे उनपर भ्रष्टाचार के कितने भी आरोप क्यों न हों।
मित्रों,इसलिए नरेंद्र मोदी को भी कई दागियों को मंत्रिमंडल में रखना पड़ा। लेकिन वाहवाही की बात तो यह है कि नरेंद्र मोदी ने उनलोगों को मनमानी करने की छूट नहीं दी है बल्कि पूरी तरह से शिकंजे में करके रखा है। वास्तविकता तो यह है यह सरकार पूरी तरह से एक ही व्यक्ति पर केंद्रित है और वह हैं नरेंद्र मोदी। मोदी जानते हैं कि अगर सरकार की वाहवाही होगी तो वह भी उनकी ही होगी और अगर बदनामी होगी तो वह भी केवल उनकी ही होगी।
मित्रों,इसलिए शपथ-ग्रहण से पहले कामकाज शुरू कर देनेवाले भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं नरेंद्र मोदी। यह उनकी अच्छी नीतियों का ही परिणाम है कि इस समय महंगाई दर पाँच साल के न्यूनतम स्तर पर पहुँच गई है,विकास-दर ने कुलांचे भरना शुरू कर दिया है,बिजली के उत्पादन में 22 प्रतिशत की तेज वृद्धि हुई है,पूँजी-निवेश के क्षेत्र में धन-वर्षा के आसार बनने लगे हैं,भारत के भिखारियों तक के अच्छे दिन आते हुए दिखाई देने लगे हैं,सरकार में गति आई है,कुशलता आई है और 5 सालों तक सरकारविहीन रहे भारत में एक काम करती हुई सरकार नजर आने लगी है।
मित्रों,वैश्विक स्तर पर भी पिछले 100 दिनों में भारत का सिर ऊँचा हुआ है। आज चीन के राष्ट्रपति भारत आ रहे हैं और 100 अरब डॉलर के निवेश के प्रस्ताव ला रहे हैं वहीं दूसरी तरफ हमारे देश के राष्ट्रपति इस समय वियतनाम में हैं और उन्होंने तेल खोज से संबंधित ऐसे प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं जो निश्चित रूप से चीन को नागवार गुजरेगा लेकिन नरेंद्र मोदी की तो पॉलिसी ही है कि न हम सिर झुकाकर बात करेंगे और न ही सिर पर चढ़कर बल्कि हम आँखों में आँखें डालकर बराबरी के स्तर पर बातचीत करेंगे फिर चाहे सामने रूस हो,अमेरिका हो या चीन हो।
मित्रों,हमारे प्रधानमंत्री पुराने पिट चुके ढर्रे पर काम करने के बिल्कुल भी पक्षधर नहीं हैं तभी तो उन्होंने योजना आयोग नामक बेकार हो चुकी संस्था को समाप्त कर दिया,कई कैबिनेट समितियों का अंत कर दिया और कई ऐसे मंत्रालयों को मिलाकर एक-एक मंत्री ऱख दिया जिनके कामकाज एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। फाइलों को अब पैसे देकर चलवाना नहीं पड़ता बल्कि फाइलें खुद ही चलती हैं स्वचालित मोड में। हमारे प्रधानमंत्री चाहते हैं कि चाहे रक्षा-क्षेत्र हो या इलेक्ट्रॉनिक्स या फिर उपभोक्ता वस्तुएँ सबका उत्पादन भारत में हो और भारत में न केवल इनका निर्माण हो बल्कि पूरी दुनिया में भारत के बने सामान छा जाएँ। उनकी मेक इन इंडिया योजना अगर सफल रहती है तो इससे हमारी अर्थव्यवस्था को तो पर लगेंगे ही साथ ही बेरोजगारी की समस्या का भी स्वतः समाधान हो जाएगा।
मित्रों,कृषि,शिक्षा,पुलिसिंग,न्यायपालिका,खेल,शासन-प्रशासन,आधारभूत संरचना आदि हरेक क्षेत्र में देश में आमूल-चूल परिवर्तन करने की जरुरत है और हमारे प्रधानमंत्री भी यही चाहते हैं कि अब देश सही मायनों में बदले। हमारे बिहार में एक कहावत है कि रास्ता बताओ तो आगे चलो। उनका अभी तक का काम तो यही बताता है कि वे न केवल देश को रास्ता दिखा रहे हैं बल्कि खुद उस रास्ते पर चल भी रहे हैं। जब गांधीनगर से नई दिल्ली आने लगे तो मुख्यमंत्री के रूप में प्राप्त वेतन को अपने चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों के बीच बाँट दिया और आज जब माँ ने जन्मदिन के आशीर्वाद के तौर पर 5001 रु. दिया तो उसे भी वतन पर न्योछावर कर दिया। वे सचमुच सबका साथ लेकर सबके विकास पर चल रहे हैं। उनकी संवेदनाओं के दायरे में भारत के युवा,किसान,हस्तशिल्पी,इंजीनियर,डॉक्टर यहां तक कि भिखारी भी हैं,जीव-जंतु भी हैं। न तो रोम एक दिन में बना था और न तो सौ दिनों में एक बर्बाद देश दुनिया का सबसे समृद्ध राष्ट्र बन सकता है। शीघ्रता तो की जा रही है लेकिन शीघ्रता को भी तो समय चाहिए। न तो हमारे चाहने से समय से पहले वृक्ष फल देने लगेगा और न ही रातों-रात हजारों फैक्ट्रियाँ खुल जाएंगी,चुटकियों में हजारों किमी सड़कें बन जाएंगी और न तो भारत में सरप्लस बिजली का उत्पादन होने लगेगा। इसलिए आईए हम सभी प्रार्थना करें परमपिता परमेश्वर से कि भगवान करें कि नए भारत के स्वप्नद्रष्टा को इतनी शक्ति मिले,इतनी लंबी आयु मिले कि वह अपने सपनों को अपने हाथों अपनी आँखों से साकार होता हुआ देख सके। आमीन!!!!
(हाजीपुर टाईम्स पर भी प्रकाशित)
मित्रों,मैंने भी मोदी मंत्रिमंडल के गठन के समय कुछ मंत्रियों को मंत्री बनाए जाने को लेकर आपत्ति की थी लेकिन कल यूपी के लोकसभा और विधानसभा उपचुनावों के जो परिणाम आए हैं उनसे पता चलता है कि कहीं-न-कहीं मोदी जी को भी वोटबैंक का ख्याल रखना पड़ता है। जब तक हमारे देश की जनता मूर्ख है तबतक मोदी जी जैसा देश का भला चाहनेवाला,सिर्फ देश के लिए जीने और मरनेवाला व्यक्ति भी लाचार रहेगा।
मित्रों,क्या कारण है कि कोई राजपूत दलितों का लाख हितैषी होने पर भी उनका नेता,उनके वोटों का ठेकेदार नहीं बन पाता? क्या कारण है कि कोई यादव राजपूत मतों पर अपना दावा नहीं कर पाता? क्या कारण है कि कोई ब्राह्मण बनियों को नेतृत्व नहीं दे पाता? कारण बस एक ही है और वह हमारे मतदाताओं की अपरिपक्वता जो आज भी अपनी जाति के लोगों को अपना नेता मानते हैं भले ही वह दशकों से उनको धोखा देता आ रहा हो। मैंने लोकसभा चुनावों के समय भाजपा के लोजपा के साथ जाने का विरोध किया था लेकिन भाजपा नहीं मानी क्योंकि उसके समक्ष और कोई चारा ही नहीं था। बिहार के दुसाधों के लिए रामविलास पासवान ही एकमात्र नेता हैं और दुसाधों का वोट चाहिए तो रामविलास पासवान को साथ में रखना ही होगा चाहे उनपर भ्रष्टाचार के कितने भी आरोप क्यों न हों।
मित्रों,इसलिए नरेंद्र मोदी को भी कई दागियों को मंत्रिमंडल में रखना पड़ा। लेकिन वाहवाही की बात तो यह है कि नरेंद्र मोदी ने उनलोगों को मनमानी करने की छूट नहीं दी है बल्कि पूरी तरह से शिकंजे में करके रखा है। वास्तविकता तो यह है यह सरकार पूरी तरह से एक ही व्यक्ति पर केंद्रित है और वह हैं नरेंद्र मोदी। मोदी जानते हैं कि अगर सरकार की वाहवाही होगी तो वह भी उनकी ही होगी और अगर बदनामी होगी तो वह भी केवल उनकी ही होगी।
मित्रों,इसलिए शपथ-ग्रहण से पहले कामकाज शुरू कर देनेवाले भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं नरेंद्र मोदी। यह उनकी अच्छी नीतियों का ही परिणाम है कि इस समय महंगाई दर पाँच साल के न्यूनतम स्तर पर पहुँच गई है,विकास-दर ने कुलांचे भरना शुरू कर दिया है,बिजली के उत्पादन में 22 प्रतिशत की तेज वृद्धि हुई है,पूँजी-निवेश के क्षेत्र में धन-वर्षा के आसार बनने लगे हैं,भारत के भिखारियों तक के अच्छे दिन आते हुए दिखाई देने लगे हैं,सरकार में गति आई है,कुशलता आई है और 5 सालों तक सरकारविहीन रहे भारत में एक काम करती हुई सरकार नजर आने लगी है।
मित्रों,वैश्विक स्तर पर भी पिछले 100 दिनों में भारत का सिर ऊँचा हुआ है। आज चीन के राष्ट्रपति भारत आ रहे हैं और 100 अरब डॉलर के निवेश के प्रस्ताव ला रहे हैं वहीं दूसरी तरफ हमारे देश के राष्ट्रपति इस समय वियतनाम में हैं और उन्होंने तेल खोज से संबंधित ऐसे प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं जो निश्चित रूप से चीन को नागवार गुजरेगा लेकिन नरेंद्र मोदी की तो पॉलिसी ही है कि न हम सिर झुकाकर बात करेंगे और न ही सिर पर चढ़कर बल्कि हम आँखों में आँखें डालकर बराबरी के स्तर पर बातचीत करेंगे फिर चाहे सामने रूस हो,अमेरिका हो या चीन हो।
मित्रों,हमारे प्रधानमंत्री पुराने पिट चुके ढर्रे पर काम करने के बिल्कुल भी पक्षधर नहीं हैं तभी तो उन्होंने योजना आयोग नामक बेकार हो चुकी संस्था को समाप्त कर दिया,कई कैबिनेट समितियों का अंत कर दिया और कई ऐसे मंत्रालयों को मिलाकर एक-एक मंत्री ऱख दिया जिनके कामकाज एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। फाइलों को अब पैसे देकर चलवाना नहीं पड़ता बल्कि फाइलें खुद ही चलती हैं स्वचालित मोड में। हमारे प्रधानमंत्री चाहते हैं कि चाहे रक्षा-क्षेत्र हो या इलेक्ट्रॉनिक्स या फिर उपभोक्ता वस्तुएँ सबका उत्पादन भारत में हो और भारत में न केवल इनका निर्माण हो बल्कि पूरी दुनिया में भारत के बने सामान छा जाएँ। उनकी मेक इन इंडिया योजना अगर सफल रहती है तो इससे हमारी अर्थव्यवस्था को तो पर लगेंगे ही साथ ही बेरोजगारी की समस्या का भी स्वतः समाधान हो जाएगा।
मित्रों,कृषि,शिक्षा,पुलिसिंग,न्यायपालिका,खेल,शासन-प्रशासन,आधारभूत संरचना आदि हरेक क्षेत्र में देश में आमूल-चूल परिवर्तन करने की जरुरत है और हमारे प्रधानमंत्री भी यही चाहते हैं कि अब देश सही मायनों में बदले। हमारे बिहार में एक कहावत है कि रास्ता बताओ तो आगे चलो। उनका अभी तक का काम तो यही बताता है कि वे न केवल देश को रास्ता दिखा रहे हैं बल्कि खुद उस रास्ते पर चल भी रहे हैं। जब गांधीनगर से नई दिल्ली आने लगे तो मुख्यमंत्री के रूप में प्राप्त वेतन को अपने चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों के बीच बाँट दिया और आज जब माँ ने जन्मदिन के आशीर्वाद के तौर पर 5001 रु. दिया तो उसे भी वतन पर न्योछावर कर दिया। वे सचमुच सबका साथ लेकर सबके विकास पर चल रहे हैं। उनकी संवेदनाओं के दायरे में भारत के युवा,किसान,हस्तशिल्पी,इंजीनियर,डॉक्टर यहां तक कि भिखारी भी हैं,जीव-जंतु भी हैं। न तो रोम एक दिन में बना था और न तो सौ दिनों में एक बर्बाद देश दुनिया का सबसे समृद्ध राष्ट्र बन सकता है। शीघ्रता तो की जा रही है लेकिन शीघ्रता को भी तो समय चाहिए। न तो हमारे चाहने से समय से पहले वृक्ष फल देने लगेगा और न ही रातों-रात हजारों फैक्ट्रियाँ खुल जाएंगी,चुटकियों में हजारों किमी सड़कें बन जाएंगी और न तो भारत में सरप्लस बिजली का उत्पादन होने लगेगा। इसलिए आईए हम सभी प्रार्थना करें परमपिता परमेश्वर से कि भगवान करें कि नए भारत के स्वप्नद्रष्टा को इतनी शक्ति मिले,इतनी लंबी आयु मिले कि वह अपने सपनों को अपने हाथों अपनी आँखों से साकार होता हुआ देख सके। आमीन!!!!
(हाजीपुर टाईम्स पर भी प्रकाशित)
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