24 दिसंबर,2014,हाजीपुर,ब्रजकिशोर सिंह। मित्रों,आपको याद होगा कि वर्ष
2014 के पहले ही दिन वैशाली जिले के जुड़ावनपुर थाने के प्रभारी अनिल कुमार
की अपराधियों ने थाने में घुसकर कर दी थी। इतना ही नहीं उन्होंने एक
स्थानीय ग्रामीण की भी हत्या कर दी थी और पैदल ही आराम से भाग निकले थे। तब
अनिल कुमार के शव के सामने वैशाली के पुलिस अधीक्षक सुरेश प्रसाद चौधरी ने
हत्यारों को सजा दिलाने की कसमें खाई थीं। मगर हुआ इसका उल्टा। न जाने किस
दबाव में और किसके दबाव में वैशाली पुलिस ने सिर्फ एक ही अभियुक्त को
गिरफ्तार किया और उसको भी बाद में हाईकोर्ट से जमानत ले लेने दिया। इस
प्रकार शहीद अनिल कुमार को मरने के बाद भी खुद उनके सहयोगी ही न्याय नहीं
दिला सके या जानबूझकर इसके लिए प्रयास ही नहीं किया। न तो कोई गवाह ही
जुटाया गया और न ही हत्या में इस्तेमाल हथियार को ही बरामद किया गया। इतना
ही नहीं वैशाली पुलिस एक साल में अपने ही जवानों से लूटे गए हथियारों को ही
बरामद कर पाई। जाहिर है कि पुलिस के ऐसे रवैये से पुलिस के जवानों का नहीं
बल्कि अपराधियों का मनोबल बढ़ा।
मित्रों,कुछ ऐसे ही वादे कल सूबे के अपर पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडे ने बिहार की जनता और शहीद के परिजनों से किए। मेरी मानिए तो इस बार भी बिहार पुलिस अपने के शहीद सहकर्मी को मरणोपरांत न्याय नहीं दिला सकेगी। फिर से वही पैरवी का खेल चलेगा और अपराधी पकड़े जाने के बाद भी बाईज्जत बरी हो जाएंगे। जिस तरह से वर्ष 2014 में जुड़ावनपुर थाने के थानेदार की हत्या के मुख्य नामजद अभियुक्त श्रीकांत राय का बैंड बाजे के साथ जमानत पर रिहा होने के बाद गांव में स्वागत किया गया फिर से संजय कुमार तिवारी के हत्यारों का भी नए साल में भी स्वागत किया जाएगा।
मित्रों,सवाल उठता है कि जो बिहार पुलिस अपने ही सहकर्मियों के हत्यारों को सजा नहीं दिलवा पा रही है उस पर कैसे यकीन किया जाए कि वो बिहार के आम गरीब-दबे-कुचले नागरिकों को इंसाफ दिलवाएगी? मैं कई बार अपने पूर्व के आलेखों पुलिस वाला लुटेरा अथवा वर्दी वाला गुंडा,दरिंदा बनता सिस्टम,क्या मैं आपकी सहायता कर सकता हूँ?,दुश्शासनों के भरोसे सुशासन में निवेदन कर चुका हूँ कि या तो पुलिस के रवैये को बदलिए नहीं तो इस संगठन को समाप्त ही कर दीजिए क्योंकि यह अपराधियों की रक्षक और शरीफ लोगों की भक्षक बन गई है। ऐ भाई,ऐ भाई,नरेंद्र मोदी जी ! सुन रहे हो क्या? बिहार सरकार तो बहरी है भाई!
(हाजीपुर टाईम्स पर भी प्रकाशित)
मित्रों,कुछ ऐसे ही वादे कल सूबे के अपर पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडे ने बिहार की जनता और शहीद के परिजनों से किए। मेरी मानिए तो इस बार भी बिहार पुलिस अपने के शहीद सहकर्मी को मरणोपरांत न्याय नहीं दिला सकेगी। फिर से वही पैरवी का खेल चलेगा और अपराधी पकड़े जाने के बाद भी बाईज्जत बरी हो जाएंगे। जिस तरह से वर्ष 2014 में जुड़ावनपुर थाने के थानेदार की हत्या के मुख्य नामजद अभियुक्त श्रीकांत राय का बैंड बाजे के साथ जमानत पर रिहा होने के बाद गांव में स्वागत किया गया फिर से संजय कुमार तिवारी के हत्यारों का भी नए साल में भी स्वागत किया जाएगा।
मित्रों,सवाल उठता है कि जो बिहार पुलिस अपने ही सहकर्मियों के हत्यारों को सजा नहीं दिलवा पा रही है उस पर कैसे यकीन किया जाए कि वो बिहार के आम गरीब-दबे-कुचले नागरिकों को इंसाफ दिलवाएगी? मैं कई बार अपने पूर्व के आलेखों पुलिस वाला लुटेरा अथवा वर्दी वाला गुंडा,दरिंदा बनता सिस्टम,क्या मैं आपकी सहायता कर सकता हूँ?,दुश्शासनों के भरोसे सुशासन में निवेदन कर चुका हूँ कि या तो पुलिस के रवैये को बदलिए नहीं तो इस संगठन को समाप्त ही कर दीजिए क्योंकि यह अपराधियों की रक्षक और शरीफ लोगों की भक्षक बन गई है। ऐ भाई,ऐ भाई,नरेंद्र मोदी जी ! सुन रहे हो क्या? बिहार सरकार तो बहरी है भाई!
(हाजीपुर टाईम्स पर भी प्रकाशित)
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